पीएमसीएच में इलाज के दौरान 3 साल की अवंतिका रॉय की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन, डॉक्टरों की कार्यशैली और ओटी सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। बच्ची को एनेस्थीसिया की डबल डोज दी गई, जिसके बाद वह होश में नहीं आई। आरोप है कि ऑपरेशन के पहले कॉडल ब्लॉक के बाद टीवा यानी टोटल इंट्रावीनस एनेस्थीसिया दिया गया। यह डॉक्टरों द्वारा तैयार ईएमआर रिपोर्ट में भी दर्ज है। यह खबर छपने के बाद पीएमसीएच प्रशासन ने चार सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है, जो बच्ची की मौत की जांच करेगी। दरअसल, गोपालगंज के कटेया पुरानी बाजार निवासी शैलेश राय की बेटी अवंतिका 27 नवंबर को खेलने के दौरान गिर गई थी। उसके दोनों पैर फ्रैक्चर हो गए थे। उसे रात 11 बजे पीएमसीएच की इमरजेंसी यूनिट में भर्ती कराया गया। एक्स-रे के बाद डॉक्टरों ने दो दिसंबर को हड्डी रोग विभाग के डॉ. महेश प्रसाद की यूनिट में ऑपरेशन तय किया। ऑपरेशन के दौरान ही बच्ची की मौत हो गई। ओटी दो, पर बेहोशी की मशीन एक ही अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि ओटी-5 में दो ऑपरेशन थिएटर हैं, लेकिन बेहोशी की मशीन एक है। एक मरीज को मशीन से तो दूसरे को मैनुअल एनेस्थीसिया दिया जाता है। कहा कि मशीन भी कई दशक पुरानी है। इसे बदलने की मांग कई बार उठी है, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। विशेषज्ञों के अनुसार, मैनुअल एनेस्थीसिया में डोज का सटीक नियंत्रण कठिन होता है। परिजन पहुंचे हाईकोर्ट, आयोग जाने की तैयारी
बच्ची के नाना राम संदेश राय, जो वरिष्ठ वकील हैं, ने कहा कि वह स्वस्थ थी, लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही ने उसे हमसे छीन लिया। कहा कि वह इस मामले से पटना हाईकोर्ट के जज को अवगत करा चुके हैं। अब मानवाधिकार आयोग और कोर्ट में अपील दायर करने की तैयारी कर रहे हैं। उनका आरोप है कि ऑपरेशन जूनियर डॉक्टरों की निगरानी में चल रहा था। वहीं, डॉ. महेश प्रसाद ने इस तरह के किसी भी ऑपरेशन से इन्कार कर दिया। मौत का कारण जानेगी कमेटी, एक हफ्ते में देगी रिपोर्ट
परिजनों के आरोपों के बाद अस्पताल अधीक्षक डॉ. आईएस ठाकुर ने संबंधित विभागों से रिपोर्ट प्राप्त कर प्राथमिक जांच की। इसके आधार पर चार सदस्यीय कमेटी बनाई। इसमें हड्डी रोग, शिशु रोग सहित वरिष्ठ डॉक्टर शामिल हैं। यह टीम जांचेगी कि सर्जरी के दौरान बच्ची की स्थिति बिगड़ने के पीछे वास्तविक कारण क्या थे। कमेटी को एक हफ्ते में जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। इसे स्वास्थ्य विभाग को भेजा जाएगा। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी। गहरी बेहोशी की दवा दी गई, ऑपरेशन के दौरान ही बिगड़ी तबीयत
ईएमआर रिपोर्ट के अनुसार, ऑपरेशन के पहले बच्ची को कॉडल ब्लॉक दिया गया। यह बच्चों की सर्जरी में इस्तेमाल होने वाला क्षेत्रीय एनेस्थीसिया है। इसके बाद टीवा दिया गया। साथ ही प्रोपोफोल, कैटामाइन और ब्यूपिवाकेन दवा भी दी गई। ये सभी दवाएं गहरी बेहोशी के लिए इस्तेमाल होती हैं। एनेस्थीसिया देने के 30-45 मिनट बाद ही बच्ची की तबीयत बिगड़ने लगी। ऑपरेशन के दौरान ही बच्ची का दिल धड़कना बंद हो गया। इसके बाद डॉक्टरों ने सीपीआर दिया। बैग एवं मास्क वेंटिलेशन दिया गया। चेस्ट कॉम्प्रेशन भी की गई। इसके बावजूद वह नहीं बच सकी। छह दिसंबर को दोपहर 11:45 बजे उसे मृत घोषित कर दिया गया।
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