नवादा के अकबरपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) में केसरी देवी (75) की मौत के बाद उनके शव को स्ट्रेचर पर ले जाने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इस वीडियो के सामने आने के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठे थे। वायरल वीडियो में मृतका के परिजनों ने आरोप लगाया था कि उन्हें एंबुलेंस नहीं मिली और स्ट्रेचर के बदले बहू-पोते को ‘गिरवी’ रखने की शर्त रखी गई थी। मामले ने तूल पकड़ा तो स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक कानन प्रिया को निलंबित कर दिया। साथ ही, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. राजेश कुमार, डॉ. गौरव कुमार और जीएनएम जगदीश ज्ञानी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। PHC के CCTV फुटेज की गहनता से जांच की मामले की जांच के लिए पटना से एक पांच सदस्यीय टीम नवादा पहुंची। टीम ने PHC के CCTV फुटेज की गहनता से जांच की, जिसमें डॉक्टर अपनी ड्यूटी पर मौजूद पाए गए। टीम ने अस्पताल कर्मचारियों से पूछताछ के अलावा मृतका की बहू पूनम कुमारी से भी बात की। ‘सास की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो चुकी’ पूनम कुमारी ने जांच टीम को एक लिखित आवेदन दिया, जिसमें उन्होंने वीडियो में लगाए गए सभी आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने अपने बयान में कहा कि अस्पताल से उन्हें बेहतर सुविधाएं मिली थीं और डॉक्टरों ने मां को बचाने का पूरा प्रयास किया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। पूनम ने यह भी बताया कि उनकी सास की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो चुकी थी और शव को स्ट्रेचर पर ले जाना उनका अपना निर्णय था। प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की नवादा के सिविल सर्जन डॉ. विनोद कुमार चौधरी ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर चल रहे आरोप गलत साबित हुए हैं। CCTV फुटेज में डॉक्टरों की मौजूदगी और किसी भी तरह की लापरवाही नहीं पाई गई। हालांकि, अनुशासनात्मक कार्रवाई के तौर पर निलंबन और कारण बताओ नोटिस जारी रहेंगे।
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