केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने सोमवार को गाजियाबाद और नोएडा में वायु प्रदूषण से निपटने के उद्देश्य से बनाई गई कार्य योजनाओं की विस्तृत समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। एनसीआर में शहर-विशिष्ट कार्य योजनाओं पर समीक्षा बैठकों की श्रृंखला में यह पहली समीक्षा थी, जिसका समापन आने वाले दिनों में राज्य स्तरीय समीक्षा के साथ होगा। यह समीक्षा निर्धारित प्रारूप में की जा रही है, जैसा कि मंत्री ने 3 दिसंबर को हुई पिछली समीक्षा बैठक में प्रगति का आकलन करने और जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन को मजबूत करने के लिए कहा था।
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पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, दोनों शहरों के वरिष्ठ अधिकारियों ने की गई कार्रवाई पर विस्तृत प्रस्तुतियाँ दीं। कार्य योजनाओं की विस्तृत समीक्षा निम्नलिखित प्रमुख मापदंडों के आधार पर की गई, जिनमें वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए स्मार्ट यातायात प्रबंधन प्रणालियों को अपनाना; औद्योगिक इकाइयों द्वारा निर्धारित प्रदूषण मानकों का अनुपालन; वाणिज्यिक इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बेड़े की स्थिति और चार्जिंग अवसंरचना की उपलब्धता; संपूर्ण सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों और पार्किंग सुविधाओं को सुदृढ़ करना शामिल है।
इसमें निर्माण एवं विध्वंस (सी एंड डी) अपशिष्ट और नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (एमएसडब्ल्यू)/पुराने अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए अवसंरचना संवर्धन; धूल उत्पादन को कम करने के लिए सड़कों का संपूर्ण पक्कीकरण/टाइलिंग; यांत्रिक सड़क सफाई मशीनों (एमआरएसएम) की तैनाती और एंटी-स्मॉग गन/वॉटर स्प्रिंकलर के उपयोग की स्थिति; पगडंडियों और खुले क्षेत्रों का हरियालीकरण; और जन भागीदारी पहल, जिनमें आईईसी गतिविधियाँ और ऐप-आधारित शिकायत निवारण तंत्र आदि शामिल हैं, भी शामिल थे।
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यादव ने दिल्ली-एनसीआर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से अनुरोध किया कि वे शहर कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए उपयोग किए जाने वाले मापदंडों को और बेहतर बनाएं और आने वाले दिनों में दिल्ली-एनसीआर की समग्र प्रगति की समीक्षा के लिए उन्हें संकलित करें। उन्होंने बेहतर प्रदर्शन करने वाले शहरों को धन का तर्कसंगत आवंटन सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के मापदंडों को उन्नत करने की आवश्यकता पर बल दिया। मंत्री ने कार्य योजनाओं और हरित गतिविधियों के जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन में जन प्रतिनिधियों और नागरिकों की सक्रिय भागीदारी पर भी बल दिया, ताकि प्रदूषण नियंत्रण एक सच्चा जनभागीदारी आंदोलन बन सके।
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