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एकल बोरवेल व स्प्रिंकलर बोरिंग कराने पर 40-80 फीसदी तक मिलेगा अनुदान

जिले के किसानों के लिए यह वर्ष खास खुशखबरी लेकर आया है। कृषि विभाग की उद्यान शाखा ने घोषणा की है कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के अंतर्गत बोरवेल तथा सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली स्थापित करने वाले किसानों को अब बड़ी मात्रा में अनुदान प्रदान किया जाएगा। जिले में खेती योग्य भूमि का एक बड़ा हिस्सा सिंचाई सुविधाओं के अभाव में पूरी क्षमता तक इस्तेमाल नहीं हो पाता है। ऐसे में यह योजना छोटे और सीमांत किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित होने जा रही है। विभाग के अनुसार, एकल बोरवेल तथा स्प्रिंकलर बोरिंग कराने वाले किसानों को कुल लागत का 40 से 80 प्रतिशत तक अनुदान प्राप्त होगा। बोरिंग करवाना और सूक्ष्म सिंचाई उपकरण लगाना अब किसानों के लिए काफी आसान हो गया है, क्योंकि विभाग ने आवेदन की पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया है। इच्छुक किसान कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर निर्धारित प्रपत्र भर सकते हैं। अनुदान पूरी तरह पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर दिया जाएगा। वर्ष 2025-26 के लिए जिले में कुल 83 किसानों को इस योजना का लाभ देने का लक्ष्य रखा गया है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले के कई प्रखंडों में भूजल स्तर कम होने और पारंपरिक सिंचाई तरीकों की वजह से किसानों को काफी खर्च उठाना पड़ता है। ऐसे में आधुनिक सिंचाई प्रणालियों का उपयोग न केवल लागत घटाएगा बल्कि उत्पादन में भी वृद्धि करेगा। विभाग की उद्यान शाखा किसानों को जागरूक करने के लिए विभिन्न पंचायतों में शिविर आयोजित कर रही है, ताकि अधिक से अधिक किसान इस योजना से जुड़ सकें। जिला उद्यान पदाधिकारी ने बताया कि बोरिंग और स्प्रिंकलर प्रणाली का उपयोग करने से लगभग 60 प्रतिशत तक पानी की बचत संभव है। पारंपरिक सिंचाई तरीके में अक्सर पानी की काफी मात्रा बर्बाद हो जाती है, जबकि ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी सूक्ष्म सिंचाई तकनीक फसलों की जड़ों तक सीमित और नियंत्रित मात्रा में पानी पहुंचाती हैं। इससे न केवल जल संरक्षण होता है बल्कि फसलों को आवश्यकतानुसार पौष्टिक तत्व भी बेहतर ढंग से मिलते हैं। उन्होंने कहा कि सब्जियों, फलों तथा बागवानी फसलों में सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली तेजी से लोकप्रिय हो रही है। इससे पौधों की वृद्धि अधिक समान रूप से होती है। आय बढ़ेगी, लागत कम होगी कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, आधुनिक सिंचाई तकनीकों से खेती की लागत में 30 से 35 फीसदी तक की कमी आती है। पानी, श्रम और खाद का उपयोग कम होता है, जिससे किसानों को प्रति एकड़ लाभ में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। बदलते मौसम और अनियमित वर्षा के दौर में सूक्ष्म सिंचाई तकनीक किसानों के लिए एक सुरक्षित विकल्प मानी जा रही हैं। किसानों का कहना है कि यदि सरकार पूर्ण सहयोग दे और योजनाओं की जानकारी समय पर मिले, तो खेती को लाभकारी बनाया जा सकता है। कई किसानों ने इसे खेती में एक सकारात्मक बदलाव बताया और कहा कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ेगा।


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