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उमा भारती बोलीं-बिहार में मोदी को जनसमर्थन:प्रयागराज में पांच डुबकियों का संकल्प गिनाया

उमा भारती ने संगम तट पर ‘श्रद्धा संकल्प अभियान’ का शुभारंभ करते हुए भक्ति और संकल्प का संगम प्रस्तुत किया। पांच पवित्र डुबकियों के माध्यम से उन्होंने न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों का आभार जताया। बल्कि गंगा और यमुना के प्रति अपनी अटूट आस्था भी प्रकट की। प्रयागराज को अपना “मामा का घर” बताते हुए उमा भारती ने कहा कि यहां उनका आगमन राजनीतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक है। मां गंगा की अविरलता और निर्मलता के प्रति समर्पित इस अभियान से उन्होंने श्रद्धालुओं को भी स्वच्छ और पावन गंगा के प्रति प्रेरित किया। पूरी बातचीत पढ़िए सवाल जवाब के क्रम में… सवाल: आपने संगम से ‘श्रद्धा संकल्प अभियान’ का शुभारंभ किया है। गंगा प्रेमियों और भक्तों के लिए आपका क्या संदेश है? आपने पांच डुबकियां भी लगाईं, मां गंगा और मां यमुना से क्या कामना की? जवाब: पहली डुबकी में मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद दिया, जिन्होंने कुंभ की व्यवस्था को अत्यंत सुचारू और भव्य बनाया। दूसरी डुबकी संत समाज के लिए थी, जो हमारी आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र है। तीसरी डुबकी प्रयागराजवासियों के प्रति कृतज्ञता के लिए थी, जिन्होंने इतने सद्भाव से सहयोग दिया। चौथी डुबकी उन सभी श्रद्धालुओं के लिए थी जो तपस्या करके करोड़ों की संख्या में यहां आए। और पांचवीं डुबकी हमारे संकल्प की थी—गंगा को अविरल, निर्मल और निरंतर बनाए रखने की, ताकि गंगा सागर तक उसका प्रवाह शुद्ध बना रहे। सवाल: आपने 2029 में झांसी से चुनाव लड़ने की बात कही थी। क्या इस बार आपने मां गंगा-यमुना से राजनीति में सक्रिय होने को लेकर भी कुछ मांगा? जवाब: यह तो बिना मांगे नहीं रहा। पार्टी हमेशा कहती है कि चुनाव लड़ो। लेकिन यहां मैं राजनीतिक बातें नहीं कर रही, मैंने प्रयाग में रहना तय किया है। अगर मैं यहां से चुनाव की बात करती, तो लोग कहते कि मैं अब प्रयाग से चुनाव लड़ूंगी। मैंने झांसी का नाम सिर्फ इसीलिए लिया ताकि प्रयागराज के कार्यकर्ताओं का मन न टूटे और कोई भ्रम न फैले। सवाल: आपने यहां क्या विशेष संकल्प लिया? जवाब: मैं कोई नया संकल्प नहीं लेती। मैं गंगा मां की हूं, भारतवर्ष की हूं, नदियों और पर्वतों की हूं। जब मैं पहले से ही मां गंगा की हूं, तो अलग से कुछ संकल्प की आवश्यकता नहीं। सवाल: आप पहले कहती थीं कि हिमालय आपका मायका है। प्रयागराज से आपका कौन-सा संबंध है? जवाब: प्रयागराज मेरे मामा का घर है। यहां नंदीजी हैं, वासुकी नाग हैं, ये सब शिवजी के गले में रहते हैं। नंदी मेरे बड़े भाई हैं, वासुकी नाग भी मेरे बड़े भाई, और गणेश जी भी यहीं हैं। इसलिए प्रयाग मेरे लिए परिवार का स्थान है। सवाल: क्या प्रयागराज से आपकी कोई राजनीतिक संभावना भी जुड़ी है? जवाब: इसी संभावना से बचने के लिए ही तो मैंने झांसी का नाम दोहराया। अगर मैं कह दूं कि मैं यहां रहूंगी, तो जो लोग चुनाव की तैयारी कर रहे हैं, उनका मन टूट जाएगा। इसलिए मैंने पहले ही साफ कहा था कि प्रयाग में रहना मेरा आध्यात्मिक निर्णय है, राजनीतिक नहीं। सवाल: अब बिहार चुनाव सामने हैं। आपको क्या लगता है, इस बार एनडीए कितनी मजबूती से मुकाबले में है? जवाब: सब जनता के हाथ में है, और जनता पूरी तरह प्रधानमंत्री मोदी के साथ है। सब मोदी हो गए हैं—अमित रूप प्रकट काला जटा जो कृपाळा। बिहार में भी जनसमर्थन अभूतपूर्व है, हमें वहां स्पष्ट जीत मिलेगी। सवाल: विपक्ष के नेताओं अखिलेश यादव, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की ताकत को कैसे देखती हैं? जवाब: इनकी विश्वसनीयता समाप्त हो चुकी है। अखिलेश उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था और जातिवाद पर नियंत्रण नहीं रख पाए। राहुल गांधी को लोकतंत्र की महिमा समझ नहीं आई—लोकतंत्र पर प्रहार तो उनके ही परिवार ने किया था। और तेजस्वी यादव अभी भी अपने माता-पिता पर लगे मामलों से आगे नहीं बढ़ पाए हैं। वे केस इतने स्पष्ट और जायज थे कि हर सरकार में टिके रहे। ऐसे में इन तीनों को अब प्रायश्चित करना होगा, तभी शायद उनकी आने वाली पीढ़ियां सत्ता का मुंह देख सकें।


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