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उद्योगपति मगनभाई पटेल का HIV पीड़ितों के लिए बड़ा योगदान

हाल ही में “विश्व एड्स दिवस” के मौके पर अहमदाबाद के चांगोदर में स्थित श्रीमती एन.एम.पडलिया फार्मेसी कॉलेज में “HIV डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट में तरक्की: कला का एक नया दौर” विषय पर एक नेशनल सेमिनार कॉलेज के मैनेजिंग ट्रस्टी, मगनभाई पटेल की अध्यक्षता में आयोजीत किया गया। इस सेमिनार में मुख्य अतिथि के तौर पर मंजूइंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी,पीपलज,गांधीनगर के प्रोफेसर एव प्रिंसिपल डॉ.हिरेनभाई चौधरी और गुजरात स्टेट को-ऑपरेटिव एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट बैंक के बोर्ड ऑफ डिरेक्टर एव बावला,डिस्ट्रिक्ट : अहमदाबाद मार्केट यार्ड के 35 साल से चेयरमैन रह चुके कानभा गोहिल विशेष रूप से उपस्थित थे।इस सेमिनार में कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. जितेंद्र भंगाले,ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी प्रो.नेहल त्राम्बडिया,प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर डॉ.भूमि रावल और प्रो.सूरज चौहान भी मौजूद थे। सेमिनार की शुरुआत उपस्थित महानुभावो ने दिप प्रज्वलित कर के की।
इस सेमिनार अध्यक्ष एव इस कॉलेज के मैनेजिंग ट्रस्टी मगनभाई पटेलने “विश्व एड्स दिवस” के इस मौके पर अपने संबोधन में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा की ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) से फैलनेवाली बीमारी को एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (AIDS) कहते हैं। यह एक तरह का रेट्रोवायरस है जो व्यक्ति के इम्यून सिस्टम पर हमला करता है, जिससे इम्यून सिस्टम खराब हो जाती है जिससे व्यक्ति के शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो व्यक्ति इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम यानी AIDS समेत कई बीमारियों का शिकार हो जाता है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसे रोका जा सकता है, इसे इलाज के ज़रिए कंट्रोल किया जा सकता है। वर्ष 1980 के दशक की शुरुआत में डॉक्टरोंने गे पुरुषों में अजीब इन्फेक्शन और कैंसर के बारे में बताया। इन पुरुषों को न्यूमोसिस्टिस और कपोसी जैसे केन्सर की वजह से अजीब निमोनिया हो गया और शरीर के इम्यून सिस्टम में गंभीर कमी के कारण उनकी मौत हो गई।वर्ष 1982 तक सीडीसीएने इस बीमारी का नाम AIDS रखा और वर्ष 1984 में साइंटिस्ट ल्यूक मोंटेग्नियर और रॉबर्ट गैलो ने AIDS के कारण के तौर पर ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) का पता लगाया। जब HIV से इन्फेक्टेड व्यक्ति का इम्यून सिस्टम बहुत कमज़ोर हो जाता है, तो उसके शरीर में CD4 सेल्स नाम के कुछ इम्यून सेल्स की संख्या 200 सेल्स/mm3 से कम हो जाती है और उसे AIDS हो जाता है। AIDS HIV का सबसे गंभीर स्टेज है। HIV इन्फेक्शन का पता मरीज़ के खून में HIV के एंटीबॉडीज़ की जांच करके लगाया जाता है। एड्स के इलाज के लिए कई टेस्ट किए जाते हैं जो वायरल DNA और CD4 सेल काउंट की मौजूदगी का पता लगाते हैं।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन (WHO) के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2016 के आखिर तक दुनिया भर में 36.7 मिलियन लोग HIV से इन्फेक्टेड थे। इसके अलावा  1.6 मिलियन मौतें AIDS के कारण हुई हैं। अफ्रीका महाद्वीप सबसे ज़्यादा प्रभावित है। AIDS को अभी एक महामारी बताया जा रहा है। विकासशील देशों के लोग सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं क्योंकि HIV इन्फेक्शन से इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक HIV इन्फेक्शनवाले 95 प्रतिशत लोग विकासशील देशों में रहते हैं। गरीबी, दूसरी गंभीर बीमारियाँ, सही मेडिकल केर न मिलना और अज्ञानता इन देशों में AIDS का खतरा बढ़ाती हैं।
इस वायरस के फैलने के बारे में मगनभाई पटेलने आगे कहा कि यह एक तरह का फैलनेवाला वायरस है जिसका मुख्य कारण यह है कि किन्हीं दो लोगों के बीच ज़्यादातर पेनिट्रेटिव सेक्स से इस वायरस के फैलने का खतरा ज़्यादा होता है। HIV पॉज़िटिव महिलाओं और पुरुषों, पुरुषों और महिलाओं, और पुरुषों और पुरुषों के बीच असुरक्षित शारीरिक संपर्क से तेज़ी से फैलता है। इसके अलावा, दूसरे कारण जैसे गैर-कानूनी ड्रग्स लेनेवालों के बीच इन्फेक्टेड सुइयों या निडिल का बार-बार इस्तेमाल, इन्फेक्टेड खून को किसी स्वस्थ व्यक्ति में चढ़ाना (ब्लड ट्रांसफ्यूजन), प्रेग्नेंसी या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान HIV पॉज़िटिव माँ से उसके बच्चे में इस वायरस के फैलने की ज़्यादा संभावना होती है, जिसे पेरिनेटल ट्रांसमिशन कहते हैं। इसके अलावा यह वायरस बिना स्टेरिलाइज़ की हुई निडिल, सुई, इंट्रावीनस (IV) और दूसरे मेडिकल इंजेक्शन के दोबारा इस्तेमाल से भी फैलता है। असुरक्षित इंजेक्शन के तरीकों में एक ही सिरिंज, सुई, या इंजेक्शन की शीशी का कई लोगों के लिए इस्तेमाल, सिंगल-यूज़ सिरिंज का दोबारा इस्तेमाल और इस्तेमाल की हुई सुइयों और नुकीली चीज़ों का गलत तरीके से डिस्पोज़ल शामिल है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन (WHO) के अनुसार करीब 5% HIV इन्फेक्शन असुरक्षित इंजेक्शन के तरीकों से होते हैं। खराब सिरिंज और सुइयों के इस्तेमाल से इन्फेक्टेड व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में HIV फैलने का खतरा बढ़ जाता है। यह वायरस शेविंग के लिए इस्तेमाल होनेवाले ब्लेड या रेज़र से भी फैल सकता है, लेकिन कुछ मेडिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि क्योंकि वायरस बाहरी माहौल में 7 सेकंड तक ज़िंदा रह सकता है, इसलिए यह मानना कि शेविंग के सामान से वायरस फैल सकता है,यह संभावना बहुत कम है। HIV छींकने, खांसने, आंसू या लार, पसीना,गले लगने, किस करने जैसी चीज़ों से नहीं फैलता है। जब यह वायरस इंसान के शरीर में जाता है, तो यह CD4-T सेल्स नाम के इम्यून सेल्स से जुड़ जाता है। इस वायरस की सतह पर ग्लाइकोप्रोटीन नाम के कुछ स्पाइक्स होते हैं जो CD4-T सेल्स की सतह पर रिसेप्टर्स के साथ इंटरैक्ट करते हैं। CD4-T सेल्स एक तरह के व्हाइट ब्लड सेल्स होते हैं, जो इम्यून सिस्टम में ज़रूरी भूमिका निभाते हैं। वे नुकसानदायक माइक्रोऑर्गेनिज्म पर हमला करते हैं और हमें इन्फेक्शन और बीमारी से बचाते हैं। HIV वायरस CD4-T सेल्स में जाता है और इन सेल्स के अंदर बढ़ता है। ये सेल्स वायरस से डैमेज हो जाते हैं। इसलिए, CD4T-सेल्स की संख्या धीरे-धीरे कम होती जाती है, जिससे इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो जाता है। AIDS में, कैंसर से बचाव भी कमज़ोर हो जाता है और मरीज़ को कई कैंसर हो जाते हैं। शुरुआती स्टेज में, HIV इन्फेक्शन के कोई लक्षण नहीं दिखते। जैसे-जैसे शरीर का इम्यून सिस्टम धीरे-धीरे कमज़ोर होता जाता है, HIV इन्फेक्शन के लक्षण दिखने लगते हैं। शुरुआती इन्फेक्शन से लेकर पूरे AIDS तक बीमारी के बढ़ने में कई साल लग जाते हैं।
मगनभाई पटेलने इस वायरस के निदान के लिए अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) HIV के इलाज का एक तरीका है। इसमें खानेवाली दवाओं को कई गोलियों के बजाय एक ही गोली या कैप्सूल में मिलाकर हर दो हफ़्ते से छह महीने में इंजेक्शन से दिया जाता है, जो HIV वाले लोगों के लिए सही है। HIV वाले हर किसी को ART लेने की सलाह दी जाती है ताकि वायरस को बढ़ने से रोका जा सके, जिससे शरीर में HIV की मात्रा (जिसे वायरल लोड कहते हैं) कम हो जाती है। शरीर में HIV का लेवल कम होने से इम्यून सिस्टम सुरक्षित रहता है और HIV को AIDS बनने से रोकता है। ART HIV का इलाज नहीं कर सकता, लेकिन यह HIV वालेलोगों को लंबी और स्वस्थ ज़िंदगी जीने में  मदद ज़रूर कर सकता है। ART HIV फैलने का चांस कम करता है। ART किसी व्यक्ति के वायरल लोड को ऐसे लेवल तक कम कर सकता है जिसका पता न चले। HIV वाले लोग जिनका वायरल लोड पता न चले,उन्हें सेक्स के ज़रिए अपने पार्टनर को HIV फैलने का खतरा नहीं होता। इसे Undetectable = Untransmittable या U=U के नाम से जाना जाता है। प्रेग्नेंसी, बच्चे के जन्म और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ली जाने वाली HIV दवाएं भी पेरिनेटल HIV फैलने का चांस कम कर सकती हैं। अनजान वायरल लोड के साथ ब्रेस्टफीडिंग कराने पर पेरिनेटल ट्रांसमिशन का चांस 1 % से भी कम होता है। बच्चों को मिल्क बैंक से ठीक से तैयार किया गया फ़ॉर्मूला या पाश्चुराइज़्ड दूध देने से पेरिनेटल HIV ट्रांसमिशन का चांस पूरी तरह खत्म हो सकता है।
यहां बताना ज़रूरी है कि साल 1998 में गुजरात के अहमदाबाद से 60 km दूर साणंद तालुका के ग्रामीण इलाके में देव-धोलेरा गांव के मंदिर में मगनभाई पटेल और उनकी पत्नी श्रीमती शांताबेन मगनभाई पटेलने मेघा मेडिकल चेक-अप केम्प लगाया था। यह मेडिकल केम्प शाम सेवा फाउंडेशनने लगाया था, जो मगनभाई पटेल का पारिवारिक ट्रस्ट है। इस केम्प में करीब 7 एक्सपर्ट डॉक्टर्स और उनकी टीम ने अलग-अलग बीमारियों का डायग्नोसिस किया, जिसमें आसपास के करीब 10 गांवों के लोगों ने इस केम्प में भाग लिया । जिसमें उन्हें आने-जाने की सुविधा भी दी गई थी। इस केम्प में 3000 से ज़्यादा मरीज़ों का निः शुल्क मेडिकल चेकअप किया गया और मुफ़्त दवाइयां बांटी गईं। इस केम्प में आंख,नाक,कान, गले के डॉक्टर, बच्चों के डॉक्टर और गर्भवती महिलाओं के लिए गायनेकोलॉजिस्ट की टीम ने सेवाएं दीं। इस केम्प के दौरान डॉ.अंबरीशभाई त्रिपाठी ने HIV टेस्टिंग की, जिसमें कुछ मरीज़ HIV पॉज़िटिव पाए गए और उन्हें अहमदाबाद के कंसर्न हॉस्पिटल में लाकर डायग्नोसिस किया गया इस के साथ अन्य बीमारीवाले लोगो को भी अहमदाबाद लाया गया और उनका इलाज किया गया । इस मेगा मेडिकल चेक-अप केम्प का पूरा खर्च मगनभाई पटेल और श्रीमती शांताबेन मगनभाई पटेलने उठाया था । इस केम्प की खबर गुजरात के 60 से ज़्यादा अखबारोंने ली थी। इस केम्प के दौरान HIV पॉजिटिव मरीज़ मिलने के कारण  मगनभाई पटेलने डॉ.अंबरीशभाई त्रिपाठी को HIV पॉजिटिव लोगों के लिए काम करने के लिए एक ट्रस्ट बनाने का सुझाव दिया और फिर ह्यूमैनिटी चैरिटेबल ट्रस्ट और भारतीय एजुकेशन ट्रस्ट का निर्माण हुआ।
गुजरात के अहमदाबाद में ह्यूमैनिटी चैरिटेबल ट्रस्ट और भारतीय एजुकेशन ट्रस्ट वर्ष 1998 से लगातार HIV से प्रभावित लोगों के लिए काम कर रहा हैं, जिसके पेट्रन चेरमेन मगनभाई पटेल हैं। इस ट्रस्ट के प्रमुख के रूप में डॉ.अंबरीश त्रिपाठी और सचिव भरतभाई पटेल, मगनभाई पटेल की वित्तीय सहायता से, विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से HIV प्रभावित परिवारों की मदद करते रहते हैं, जिसमें HIV प्रभावित परिवारों के बच्चों को शैक्षिक सहायता, स्कूल फीस, वर्दी, स्टेशनरी, नोटबुक इत्यादि शामिल हैं। इसके साथ विविध त्योहार के दौरान मिठाई, कपड़े, पतंग-डोर, पटाखे, मिठाई मगनभाई पटेल की अध्यक्षता में कार्यक्रमों का आयोजन करके वितरित किए जाते हैं। हाल ही में इस ट्रस्ट के पेट्रन चेरमेन मगनभाई पटेल की एक मुलाकात में मगनभाई पटेलने इस ट्रस्ट को बड़ी मात्रा में वित्तीय सहायता प्रदान की। इस वित्तीय सहायता से मगनभाई पटेल की अध्यक्षता में अलग-अलग स्कूल,कॉलेज और सामाजिक संगठनों में अक्सर अलग-अलग सेमिनार आयोजित किए जाते हैं, ताकि HIV से प्रभावित लोगों को सरकार की अलग-अलग योजनाओं के बारे में बताया जा सके और  और जागरूकता फैलाई जा सके।
आज इस ट्रस्ट से 3500 से ज़्यादा HIV प्रभावित परिवार जुड़े हुए हैं। इस ट्रस्ट के प्रमुख डॉ.अंबरीशभाई त्रिपाठी ने इस सेक्टर में काम करने के अपने अनुभव के बारे में बताया कि HIV पीड़ित प्रेग्नेंट महिलाओं को डिलीवरी से पहले गोद भराई के समय बहुत घबराहट होती थी। इन महिलाओं को चिंता होती थी कि उनका होनेवाला बच्चा भी HIV पीड़ित न हो। फिर इस शक को दूर करने के लिए HIV एक्सपर्ट डॉक्टरों की एक टीम ने उनकी काउंसलिंग की और यह शक दूर किया  और सबसे खुशी की बात यह है कि इन महिलाओं के स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया जिसके कई उदाहरण हैं। डॉ.अंबरीशभाई त्रिपाठीने आगे कहा कि आज मगनभाई पटेल की वित्तीय सहायता से इस सेक्टर में बहुत परिणामलक्षी कार्य हो रहे है। उन्होंने हमें हिम्मत दी और कहा कि आप पैसे की चिंता किए बिना जरूरतमंद HIV पीड़ित परिवारों की सेवा करे और अलग-अलग बैनर, सेमिनार और सोशल मीडिया के ज़रिए अवेयरनेस प्रोग्राम करते रहेंगे तो निश्चित रूप से इस सेक्टर में परिणामलक्षी कार्य हो सकता है।
Ends Aids in India के एक सर्वे के मुताबिक भारत में करीब 2.3 मिलियन पुख्तवय और बच्चे HIV से पीड़ित हैं, जो दुनिया में दूसरे नंबर पर है। वर्ष 2019 में लगभग 70,000 नए HIV इन्फेक्शन के मामले सामने आए, जिसमें 5 में से 2 प्रेग्नेंट औरतें HIV पॉजिटिव पाई गईं। सभी HIV पॉजिटिव लोगों को AIDS नहीं होता क्योंकि HIV कई सालों तक छिपा रह सकता है। अगर इसका पता न चले या इसका इलाज न किया जाए, तो AIDS होने का ख़तरा बढ़ जाता है, जिसे CD4+ लिम्फोसाइट काउंट 200 सेल्स/μl के तौर पर बताया गया है। HIV ठीक नहीं हो सकता लेकिन इसका इलाज किया जा सकता है और इसके फैलने को रोका जा सकता है। HIV का इलाज नए इन्फेक्शन को रोक सकता है, जो आखिरकार AIDS को हराने का एक सही तरीका है।
इस सेमिनार के मुख्य अतिथि गुजरात स्टेट को-ऑपरेटिव एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट बैंक के बोर्ड ऑफ़ डिरेक्टर कानभा गोहिल,जो एक सोशल वर्कर भी हैं और जिन्होंने मगनभाई पटेल के साथ अहमदाबाद के बावला और उसके आस-पास के ग्रामीण इलाकों के डेवलपमेंट के लिए कई कोशिशें की हैं, जिसमें डेयरी इंडस्ट्री,एनिमल हसबैंड्री, माइक्रो और कॉटेज के साथ-साथ एग्रीकल्चर सेक्टर में उनका अहम योगदान भी शामिल है। हम आनेवाले आर्टिकल में उनके बारे में विस्तृत जानकारी देंगे। उन्होंने अपनी स्पीच में कहा कि यह दिन हर साल HIV/AIDS के बारे में अवेयरनेस फैलाने, गलतफहमियों को दूर करने और मरीजों के प्रति इंसानियत और बराबरी की भावना बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। उन्होंने HIV/AIDS पर जानकारी देते हुए कहा की सेफ्टी, समय पर डायग्नोसिस और सही इलाज से इस वायरस से बचा जा सकता है। उन्होंने सोशल मेलजोल और इंसानी वैल्यूज़ पर भी ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि समाज धर्म, जाति,और  आर्थिक भेदभाव से ऊपर है और इंसानियत के आधार पर हर इंसान बराबर है। उन्होंने बताया की “डायवर्सिटी हमारी ताकत है और तरक्की तभी मुमकिन है जब हम सब एक साथ आएं और इज्ज़त के साथ आगे बढ़ें।” उन्होंने स्टूडेंट्स को कलंक और भेदभाव को दूर करके जागरूक नागरिक के तौर पर समाज में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया। उनके संवेदनशील और मानवीय अभिगम से भरी बातचीतने प्रोग्राम में स्टूडेंट्स को साइंटिफिक ज्ञान के साथ-साथ सामाजिक ज़िम्मेदारी की दिशा में सोचने के लिए प्रेरित किया।
डॉ.हिरेन चौधरी जो गांधीनगर के मंजुइंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी में प्रोफेसर और प्रिंसिपल हैं,उन्हें इस सेशन के पहले की-नोट स्पीकर के तौर पर बुलाया गया था। अपने 20 साल से ज़्यादा के लंबे एकेडमिक और प्रोफेशनल करियर में उन्होंने रिसर्च, साइंटिफिक पब्लिकेशन, मेंटरिंग और अलग-अलग प्रोफेशनल सर्विस के ज़रिए फार्माकोलॉजी के फील्ड में अहम योगदान दिया है और एकेडमिक दुनिया में एक मज़बूत पहचान बनाई है। उनकी मेंटरशिप और अनुभवने कई रिसर्चर, स्टूडेंट और प्रोफेशनल को प्रेरित किया है। डॉ.हिरेन आर.चौधरीने “HIV का एक कॉम्प्रिहेंसिव ओवरव्यू: मॉडर्न अंडरस्टैंडिंग, ट्रीटमेंट और पेशेंट काउंसलिंग अप्रोच” टॉपिक पर एक बहुत जानकारी देनेवाला प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने सबसे पहले HIV इन्फेक्शन की शुरुआत, वायरस के काम करने का तरीका, बीमारी का बढ़ना और इम्यून सिस्टम पर इसके असरदार असर के बारे में विस्तृत में बताया। फिर उन्होंने HIV डायग्नोसिस के पारंपरिक और मॉडर्न तरीकों पर भी चर्चा हुई,नई टेक्नोलॉजी और उनके असर पर रोशनी डाली। उन्होंने एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART), नई दवाईया और थेराप्यूटिक स्ट्रेटेजी के फील्ड में हाल के डेवलपमेंट पर डिटेल में चर्चा की। खास तौर पर उन्होंने इलाज के दौरान मरीज़ को नियमों का पालन करने, कोमोरबिड कंडीशन, स्टिग्मा और कोड ऑफ़ कंडक्ट से जुड़े मुद्दों का ज़िक्र किया। उन्होंने मरीज़ की काउंसलिंग, साइकोलॉजिकल सपोर्ट और कम्युनिटी में जागरूकता बढ़ाने के महत्व पर भी ज़ोर दिया, जो लंबे समय में मरीज़ की ज़िंदगी की क्वालिटी को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने साइंटिफिक जानकारी के साथ प्रैक्टिकल उदाहरण और लेटेस्ट स्टैटिस्टिक्स पेश करके सेशन को और असरदार बनाया।
इस सेमिनार में अपने विचार रखते हुए कॉलेज प्रिंसिपल डॉ.जितेंद्र भंगालेने कहा कि जब इम्यून सिस्टम रिस्पॉन्ड करता है, तो वह एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देता है। जब ऐसा होता है, तो HIV टेस्ट पॉजिटिव आ जाते हैं, इस प्रोसेस को सीरोकनवर्जन कहते हैं। HIV वाले कुछ लोग पहले फ्लू जैसे लक्षण दिखने के बाद कई सालों तक हेल्दी रह सकते हैं। लेकिन इस दौरान, HIV इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकता है। इम्यून सिस्टम को हुए नुकसान को मापने का एक तरीका है CD4 सेल्स को गिनने के लिए ब्लड टेस्ट करना। इन सेल्स को T-हेल्पर सेल्स भी कहा जाता है, जो इम्यून सिस्टम का एक ज़रूरी हिस्सा हैं। स्वस्थ लोगों के एक ml ब्लड में 500-1,500 CD4 सेल्स होते हैं। बिना इलाज के HIV लोगों में अक्सर CD4 सेल काउंट कम होता है। उनमें HIV बीमारी के लक्षण जैसे बुखार, रात में पसीना आना,डायरिया या सूजन हो सकते हैं। इलाज से CD4 सेल काउंट ठीक हो सकता है या नॉर्मल रह सकता है। ऑपर्च्युनिस्टिक इन्फेक्शन (OIs) ऐसे इन्फेक्शन हैं जो कमज़ोर इम्यून सिस्टमवाले लोगों में अक्सर होते हैं। कमज़ोर इम्यून सिस्टमवाले लोगों में HIV का खतरा ज़्यादा होता है। HIV वाले लोगों में होनेवाले कुछ ऑपर्च्युनिस्टिक इन्फेक्शन (OIs) में कैंडिडिआसिस, साल्मोनेला इन्फेक्शन, टोक्सोप्लाज़मोसिस और ट्यूबरकुलोसिस (TB) शामिल हैं। कुछ मामलों में लोगों को पहले से ही लेटेंट ट्यूबरकुलोसिस हो सकता है जो HIV जैसी बिना इलाजवाली बीमारियों की वजह से एक्टिव हो जाता है। इस सेमिनार में दूसरे की-नोट स्पीकर के तौर पर डॉ.अदिति बारिया,डॉ.धवल पटेलने भी अपने विचार रखे। इस प्रोग्राम में क्विज़ कॉम्पिटिशन के साथ-साथ एलोक्यूशन कॉम्पिटिशन भी ऑर्गनाइज़ किया गया। प्रोग्राम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ था।


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