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उत्तराखंड से 10 हजार लोगों ने देखा कैलाश पर्वत:भावुक हुआ एक श्रद्धालु, जानिए कैसे बिना तिब्बत गए हुए शिव के दर्शन

यह साल आदि कैलाश जाने वाले यात्रियों के लिए सुखद रहा। भगवान शिव के प्राचीन निवास स्थल आदि कैलाश आने वाले 30 हजार यात्रियों में 10 हजार यात्री ऐसे थे जिन्हें तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत के दर्शन करने का सौभाग्य मिला। इनमें से एक शिवभक्त तो भारत से ही तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत के दर्शन कर भावुक हो गया और रोने लगा, युवक का वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। दरअसल, आदि कैलाश के दर्शनों के लिए आने वाले पर्यटक ओम पर्वत देखने भी जाते हैं। इस वर्ष 30 मई से शुरू हुई आदि कैलाश यात्रा में नाभीढांग में सेना की अनुमति मिलने के बाद विभिन्न प्रदेशों से आए यात्रियों ने 200 मीटर की कठिन चढ़ाई कर 18,800 फुट की ऊंचाई पर स्थित ओल्ड लिपुपास दर्रे में पहुंचकर कैलाश पर्वत के दर्शन किए। अब ओल्ड लिपुपास दर्रे के बारे में जानिए… ओल्ड लिपुपास समुद्रतल से 18,800 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यात्रियों को गुंजी से नाभीढांग तक 20 किलोमीटर की सड़क यात्रा करनी होती है, जिसके बाद 200 मीटर की कठिन पैदल चढ़ाई चढ़कर चोटी पर पहुंचा जाता है। तेज हवाओं के कारण यात्रियों को दर्शन के लिए केवल आधे घंटे का समय मिलता है। मौसम साफ होने पर ही कैलाश पर्वत दिखाई देता है, इसलिए चोटी पर यात्रा बहुत चुनौतीपूर्ण मानी जाती है। यात्रा बंद होने के कारण पड़ी ओल्ड लिपुपास से दर्शन की जरूरत चीन से सीमा विवाद और कोरोना के कारण 2019 के बाद से कैलाश मानसरोवर यात्रा बंद थी। इससे श्रद्धालु निराश थे। इसे देखते हुए पर्यटन विभाग ने ओल्ड लिपुपास से दो किमी ऊपर खड़ी चढ़ाई पर 18 हजार फुट से कैलाश के दर्शन कराने के लिए योजना बनाई। इस संबंध में पर्यटन विभाग ने रक्षा मंत्रालय से अनुमति मांगी थी। रक्षा मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद पर्यटन विभाग ने कैलाश दर्शन स्थल का निरीक्षण किया था। इसके बाद दर्शन कराने के लिए एसओपी बनाने का निर्णय लिया गया। साल 2023 में भी बड़ी संख्या में यात्रियों ने ओल्ड लिपुपास से कैलाश के दर्शन किए थे। शिव के दर्शन कर भावुक हुए श्रद्धालु गुजरात से आए श्रद्धालु रूबिन चोटी पर पहुंचते ही भावुक हो उठे और रोने लगे। उन्होंने कहा कि उन्हें साक्षात शिव के दर्शन का अनुभव हुआ और यात्रा उनके जीवन की अद्भुत स्मृति बन गई। मुरादाबाद से आए यात्री यशपाल सिंह और उनके 23 साथी भी कठिन चढ़ाई के बाद पूजा अर्चना कर मानसिक शांति और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त कर सके। सड़क बनने से यात्रा हुई सुगम बीआरओ अधिकारियों और कर्मचारियों ने विषम परिस्थितियों में गुंजी से ज्योलिंगकांग और नाभीढांग तक सड़क बनाई है। इस कारण यात्रियों और स्थानीय ग्रामीणों के लिए आवाजाही आसान हुई। सड़क निर्माण से यात्रा में सुविधा आई और प्रतिवर्ष अधिक पर्यटक आदि कैलाश पहुंच रहे हैं, जिससे पर्यटन गतिविधियां क्षेत्र में तेजी से बढ़ रही हैं। पर्यटन के साथ बढ़ रहा स्थानीय रोजगार ओम टूर एंड ट्रैवल्स के संचालकों हरीश कुटियाल और सोमित नबियाल के अनुसार इस वर्ष तक उन्होंने 5000 यात्रियों को आदि कैलाश और ओम पर्वत का दर्शन कराया। इसके अलावा लगभग 1000 यात्रियों को कैलाश पर्वत तक पहुंचाया गया। उन्होंने कहा पर्यटन बढ़ने से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर खुल गए हैं और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में सुधार आया है।


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