उत्तराखंड के हरिद्वार में राजाजी टाइगर रिजर्व में एक हाथी के बच्चे की ट्रेन से कटकर मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक, हरिद्वार-देहरादून रेल मार्ग पर सुबह करीब साढ़े 5 बजे के बाद हावड़ा दून एक्सप्रेस की चपेट में हाथी का बच्चा आ गया था। ट्रेन को दो घंटे तक मौके पर रोके रखा और जब वन अधिकारी आए तब ट्रेन चली। इस दौरान यात्री घबरा गए और कोच से नीचे उतर गए। इस दौरान 6 ट्रेनें लेट हो गई। घटना मोतीचूर और रायवाला स्टेशन के बीच राजाजी टाइगर रिजर्व की हरिद्वार रेंज में हुई। सूचना मिलते ही राजाजी टाइगर रिजर्व के अधिकारियों और कर्मचारियों की टीम मौके पर पहुंची और हाथी के शव को कब्जे लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। राजाजी टाइगर रिजर्व के ACF अजय लिंगवाल ने बताया कि ट्रेन की टक्कर लगते ही हाथी गिर पड़ा और उसके ऊपर से ट्रेन की बोगी उतर गई। ट्रेन के नीचे हाथी का शव पड़ा रहा और करीब दो घंटे तक रेल यातायात प्रभावित रहा। घटना के 3 PHOTOS… सिलसिलेवार ढंग से पढ़िए पूरी खबर… पश्चिम बंगाल से आई ट्रेन वन अधिकारियों के मुताबिक, ट्रेन का नाम हावड़ा दून एक्सप्रेस (13009) है। पश्चिम बंगाल के हावड़ा से 30 नंवबर की रात 8:30 बजे के आसपास निकली थी और आज यानी एक दिसंबर को सुबह 7:15 मिनट पर ऋषिकेश पहुंची। ट्रेन को पायलट खुशीराम मौर्य और कोपाइलट दीपक कुमार चला रहे थे। ट्रेन लेट हो गई थी और सुबह 5:30 के बाद हरिद्वार से निकली ही थी कि कुछ देर बाद हादसे की सूचना मिली। इस दौरान देहरादून से दिल्ली आनन्द विहार जा रही वंदे भारत ट्रेन और उपासना एक्सप्रेस को रायवाला स्टेशन रोका गया। राजाजी टाइगर रिजर्व के ACF अजय लिंगवाल ने बताया कि मृतक शिशु हाथी है, जिसकी उम्र करीब 3 से 4 साल के बीच है। ट्रेन से टक्कर लगकर हाथी की मौत हुई है। सूचना मिलते ही राजाजी टाइगर रिजर्व की टीम मौके पर पहुंची और कड़ी मशक्कत के बाद हाथी के शव को ट्रैक से बाहर निकाला गया। शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम कराया जा रहा है। हाथी की मौत के बाद लोको पायलट समेत दो के खिलाफ मुकदमा दर्ज प्राथमिक जांच में सामने आया है कि हादसे से पहले ट्रेन की स्पीड निर्धारित स्पीड से ज्यादा थी। राजाजी टाइगर रिजर्व प्रशासन की ओर से अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। मोतीचूर रेंज अधिकारी महेश सेमवाल ने बताया कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। धुंध के कारण हुई घटना प्रथम दृष्टा सामने आया है कि धुंध के कारण घटना हुई है। धुंध अधिक होने के कारण हाथियों का झुंड दूर से नहीं दिख पाया था। पास आते ही इमरजेंसी ब्रेक लगाई, लेकिन शिशु हाथी रेलवे ट्रेक नहीं पार कर पाया, जबकि साथ में मौजूद चार अन्य हाथी रेलवे ट्रैक पार कर चुके थे। ट्रेनों की रफ्तार नहीं हो रही नियंत्रित पूर्व में इस ट्रैक पर कई हाथियों की ट्रेन हादसों में मौत हो चुकी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रायवाला और मोतीचूर क्षेत्र हाथियों के नियमित मूवमेंट वाला इलाका है, लेकिन ट्रेनों की रफ्तार नियंत्रित नहीं रहती। उन्होंने आरोप लगाया कि रेलवे और वन विभाग के बीच समन्वय की कमी के चलते ऐसे हादसे बार बार हो रहे हैं।
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