उत्तराखंड में ज्यादातर क्षेत्र जंगल से जुड़े हुए हैं। जिसमें हजारों की संख्या में वन्यजीव मौजूद हैं, लेकिन कुछ वन्य जीव ऐसे होते हैं जो आमजन के लिए खतरा बन जाते हैं। ऐसे में इन वन्यजीवों को पकड़कर हरिद्वार के चिड़ियापुर स्थित रेस्क्यू सेंटर में रखा जाता है। रेस्क्यू सेंटर में सिर्फ भोजन पर ही खर्च नहीं होता, बल्कि इनकी दवाइयों, मेडिकल जांच, बाड़ों की साफ-सफाई, सुरक्षा व्यवस्था और सेंटर के संपूर्ण रखरखाव पर भी अलग से खर्च आता है। रेस्क्यू सेंटर में जानवरों की गतिविधियों और व्यवहार पर वन्यजीव विशेषज्ञों और डॉक्टरों की टीम लगातार निगरानी रखती है। इनकी देखरेख में खर्चा इतना अधिक है कि इनकी डाइट में ही 1200 रुपए प्रतिदिन खर्च किए जाते हैं और बात सालाना की करें तो एक करोड़ से अधिक पूरे साल रेस्क्यू सेंटर में इन वन्य जीवों की देखरेख में खर्च हो जाते हैं। 3 प्वाइंट्स में समझिए खर्चे के मुख्य कारण… एक करोड़ सालाना आ रहा खर्चा
हरिद्वार के डीएफओ स्वप्निल अनिरुद्ध ने बताया कि एक गुलदार की डाइट में प्रतिदिन 1200 रुपए का खर्च आ जाता है। महीने की बात की जाए तो एक गुलदार पर 50 हजार रुपए के करीब खर्चा किया जाता है और सालाना में 6 लाख एक गुलदार पर खर्च होते हैं। मौजूदा समय में रेस्क्यू सेंटर में 21 गुलदार मौजूद हैं। एक करोड़ से अधिक इस रेस्क्यू सेंटर में गुलदारों की डाइट और मेडिसिन में ही खर्च हो जाते हैं। मंगलवार को रखा जाता है उपवास
डीएफओ स्वप्निल अनिरुद्ध ने बताया कि डॉक्टर द्वारा इन गुलदारों का डाइट प्लान बनाया गया है। जिसमें दो दिन इन्हें बकरे का मांस दिया जाता है तो दो दिन बीफ इन्हें दिया जाता है। इसी के साथ ही दो दिन इन्हें चिकन खाने के लिए दिया जाता है और मंगलवार को इनका पूरी तरह उपवास रहता है। इसी के साथ ही 24 घंटे इन्हें जंगल जैसा एटमॉस्फेयर वेयर देने की कोशिश की जाती है। जिसमें गर्मियों के सीजन में इन्हें कूलर की व्यवस्था की जाती है, तो वहीं सर्दियों में हीटर इत्यादि की भी व्यवस्था उनके लिए की जाती है।
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