अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोदमीर जेलस्की से मुलाकात की। इसके बाद डोनाल्ड ट्रंप इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ बैठक कर रहे थे। लेकिन उसी वक्त अचानक डोनाल्ड ट्रंप के पास एक फोन आया। फोन रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन का था। पुतिन ने गुस्से में ट्रंप से कहा कि मेरे ऊपर हमला हुआ है। मेरे ऊपर यानी सही में मेरे घर के ऊपर। इस घटना ने पूरी दुनिया में नया बवाल खड़ा कर दिया है। दरअसल रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिनके घर पर 91 ड्रोंस से हमला किया गया है। रूस ने कहा है कि यह हमला यूक्रेन ने कराया है। रूस ने गुस्से में बयान जारी करते हुए कहा है कि हमारे एयर डिफेंस सिस्टम ने इस हमले को तो नाकाम कर दिया है लेकिन अब हम पलटवार करने का ऐलान करते हैं।
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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर बयान देते हुए कहा है कि वह बहुत चिंतित हैं। पीएम मोदी ने कहा है कि दुनिया को जंग रोकने के लिए प्रयास जारी रखने चाहिए। इस तरह के हमलों से बचना चाहिए। ट्रंप ने भी कहा है कि यह मामला बहुत पेचीदा हो गया है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि पुतिन के घर पर यूक्रेन से यह हमला किसने करवाया है? दरअसल एक रूसी चैनल को इंटरव्यू देते हुए अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के एक पूर्व अधिकारी ने दावा किया है कि पुतिन के घर पर यह हमला ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी MI6 के इशारे पर हुआ है। यह दावा इसलिए किया गया है क्योंकि हाल ही में MI6 की पहली महिला चीफ बनी ब्लेज़ मैट्रवेली ने पहली बार कैमरे पर आकर बयान दिया कि हम पुतिन को यह बताना चाहते हैं कि उन्हें कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। हम यूक्रेन के साथ हैं।
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नाटो हमेशा यूक्रेन का साथ देता रहेगा। जानकारी के लिए बता दें कि ब्लेज़ मैट्रवली यूक्रेनियन मूल की ही हैं। उन्होंने पुतिन को धमकी देते हुए यह बयान 15 दिसंबर को ही दिया है और आज पुतिन के घर पर हमला हो भी गया। इस बात में कोई शक नहीं है कि नाटो देश नहीं चाहते कि रूस और यूक्रेन के बीच शांति हो। पीएम मोदी और डॉनल्ड ट्रंप तो चाहते हैं कि रूस यूक्रेन जंग रुक जाए लेकिन नाटो देश इसके पक्ष में नहीं है। नाटो जानता है कि उनके लिए भी जंग महंगी साबित हो रही है। लेकिन रूस को फंसाए रखने के लिए वह यह कीमत उठाने को तैयार हैं। । नाटो को दशकों बाद जेलस्की जैसा बेवकूफ इंसान मिला है। नाटो देश जेलस्की के कंधे का इस्तेमाल करके रूस को जंग में उलझाए रख रहे हैं।
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जंग की वजह से रूस का पैसा भी बर्बाद हो रहा है और सैनिक भी मर रहे हैं। जंग नहीं होती तो रूस अपनी ताकत का इस्तेमाल कहीं और करता। रूस अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करता, सेना को मजबूत करता। लेकिन रूस को आगे बढ़ने का मौका ही नहीं दिया जा रहा। जब-जब शांति डील पर बात आगे बढ़ती है, उसी दौरान नाटो देश पूरा खेल बिगाड़ देते हैं। नाटो देश लगातार रूस को एंगेज करके रखना चाहते हैं।
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