राज्य के ज्यादातर विश्वविद्यालय नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (नैक) से मूल्यांकन नहीं करा रहे हैं। इस बीच नैक ने मूल्यांकन का मानदंड भी बदल दिया है। इसलिए राज्य सरकार ऐसे संस्थानों के नोडल अधिकारियों को ट्रेनिंग देगी ताकि विवि मूल्यांकन को आगे आएं और बदले हुए मानदंड के अनुसार अपनी तैयारी करें। साथ ही ई-लाइब्रेरी और रिसर्च से जुड़े प्लेटफॉर्म शोधगंगा का काम बेहतर हो सके। वजह यह कि नैक और शोधगंगा के स्तर पर अधिकतर विवि का रिकॉर्ड खराब है। ट्रेनिंग बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद देगी जिसकी तिथि तय होनी है। इस काम के लिए विभाग ने 31.10 लाख रुपए स्वीकृत किए हैं। इस ट्रेनिंग की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि नैक मूल्यांकन और शोध गंगा पर छात्रों के रिसर्च पेपर, शोध थीसिस अपलोड करने में बिहार के अधिकतर विश्वविद्यालय पीछे हैं। लोकभवन और शिक्षा विभाग लगभग 10 वर्षों से यह प्रयास कर रहे हैं कि राज्य के सभी विवि का नैक से मूल्यांकन हो। लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिली। इस बीच एनईपी 2020 लागू होने और इसमें संस्थान की गुणवत्ता पर अधिक फोकस होने के कारण अब नैक मूल्यांकन को लेकर गतिविधि तेज करनी पड़ी है। शोध कार्यों के लिए इंफ्लिबनेट (सूचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क) के साथ 2023 में शिक्षा विभाग का करार हुआ। लेकिन अब तक काम धीमा है। नैक की ट्रेनिंग को लेकर टीएमबीयू में इंटर्नल क्वालिटी एश्योरेंस सेल (आईक्यूएसी) के समन्वयक प्रो. जगधर मंडल ने कहा कि इससे नैक ने जो मानदंड बदले हैं उसकी जानकारी मिलेगी। जैसे अभी तक विवि का मूल्यांकन मेच्योर बेस्ड सिस्टम से होता था जिसमें ग्रेड मिलता था। जिन संस्थानों का मूल्यांकन पहले हुआ है लेकिन अगला मूल्यांकन बाकी है, वे मेच्योर बेस्ड सिस्टम से मूल्यांकन के लिए आवेदन करेंगे। लेकिन जिन संस्थानों का कभी मूल्यांकन नहीं हुआ उन्हें पहले बाइनरी सिस्टम के लिए आवेदन करना होगा। इसमें संस्थानों का सिर्फ मूल्यांकन होगा। इसके बाद इन संस्थानों को मेच्योर बेस्ड सिस्टम के लिए जाना होगा तब ग्रेड मिलेगा। मूल्यांकन कराने से ये होंगे फायदे नैक के नए मानदंड की मिलेगी जानकारी, गुणवत्ता सुधरेगी इंफ्लिबनेट की ट्रेनिंग ई-लाइब्रेरी, शोध में लाएगी सुधार इंफ्लिबनेट शिक्षा मंत्रालय के तहत यूजीसी का अंतर विश्वविद्यालय केंद्र है जो देश के विश्वविद्यालयों और संस्थानों के पुस्तकालयों को जोड़ने और उन्हें आधुनिक बनाने के लिए तैयार किया गया है। यह एक कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से पुस्तकालयों को जोड़ता है और शोध गंगा जैसी सेवा प्रदान करता है। टीएमबीयू में इसके प्रभारी डॉ. आनंद कुमार झा ने बताया कि इंफ्लिबनेट के जरिए हरेक विवि की ई-लाइब्रेरी एक-दूसरे के छात्रों व शिक्षकों के लिए उपलब्ध होंगे। शोध गंगा पर रिसर्च पेपर व थीसिस अपलोड होने से एक-दूसरे विवि के शिक्षक और छात्र शोध में चल रही गतिविधियों से अपडेट रहेंगे। इससे शोध में नकल रुकेगी और गुणवत्ता सुधरेगी। 17 विवि में सिर्फ इनका नैक मूल्यांकन पटना विवि, सेंट्रल विवि साउथ बिहार, चाणक्या नेशनल लॉ विवि, नालंदा खुला विवि, संदीप विवि मधुबनी, जीएनएस विवि रोहतास का मूल्यांकन
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