आरबीआई ने कर दिए ये 5 ऐलान, जिससे इकोनॉमी में आएगा पैसा ही पैसा

आरबीआई ने कर दिए ये 5 ऐलान, जिससे इकोनॉमी में आएगा पैसा ही पैसा

भले ही रिजर्व बैंक की एमपीसी ने रेपो रेट में कोई बदलाव ना किया हो, लेकिन ऐसे कई ऐलान किए हैं, जिससे आने वाले दिनों में देश की इकोनॉमी को बूस्ट मिल सकता है. भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को रियल इकोनॉमी में कर्ज के फ्लो में सुधार लाने के लिए कई कई उपायों की घोषणा की है. जिसमें प्रमुख रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने लोन को बढ़ावा देने और फाइनेंसिंग कॉस्ट कम करने के लिए पांच प्रमुख ऐलान किए हैं. आइए आपको भी बताते हैं आरबीआई ने लोन को बढ़ावा देने के लिए कौन कौन से ऐलान किए हैं…

आरबीआई गवर्नर ने किए ये 5 बड़े ऐलान

कॉर्पोरेट अधिग्रहण के लिए लोन: भारतीय कंपनियों को अधिग्रहण करने के लिए जिस फाइनेंस की जरुरत पड़ती है, वो बैंकों से मिलता है. उस कर्ज के लिए आरबीआई ने स्ट्रांग स्ट्रक्चर बनाने का ऐलान किया है. इस स्ट्रक्चर से लोन देने के अवसर बढ़ेंगे और एक्सपेंशन और कंसोलिडेशन को बढ़ावा मिलेगा.

कैपिटल मार्केट लोन: आरबीआई ने लिस्टेड डेट सिक्योरिटीज पर लोन की रेगुलेटरी लिमिट को हटाने का ऐलान किया है. साथ ही शेयरों पर लोन देने की लिमिट प्रति व्यक्ति 20 लाख रुपए से बढ़कर 1 करोड़ करने की बात कही गई है. जबकि आईपीओ फाइनेंसिंग लिमिट प्रति व्यक्ति 10 लाख रुपए से बढ़कर 25 लाख रुपए की जाएगी.

खत्म होगा 2016 के ढांचा: आरबीआई 2016 में शुरू किए गए उस ढांचे को समाप्त करेगा जिसने बैंकों को 10,000 करोड़ रुपए से अधिक की लोन लिमिट वाले उधारकर्ताओं को लोन देने से हतोत्साहित किया था.

इंफ्रा प्रोजेक्ट्स के लिए फाइनेंस: चालू, हाई क्वालिटी के इंफ्रा प्रोजेक्ट्स को दिए जाने वाले एनबीएफसी लोन के रिस्क को कम करने का ऐलान किया गया है. एनबीएफसी के लिए ये एक बड़ा कदम है. जिससे एनबीएफसी को तो बूस्ट मिलेगा ही, साथ ही कैपिटल एक्सपेंडिचर में भी इजाफा होगा. जिसकी वजह से इकोनॉमी को बूस्ट मिलेगा.

शहरी सहकारी बैंक: 2004 से रुकी हुई नई शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) को लाइसेंस देना फिर से शुरू हो सकता है. आरबीआई इस क्षेत्र में सुधार और हितधारकों की बढ़ती मांग को दर्शाते हुए एक चर्चा पत्र जारी करेगा.

ये भी हुए ऐलान

अन्य चल रहे सुधारों में 1 अप्रैल, 2027 से एक्सपेक्टिड क्रेडिट लॉस यानी ईसीएल फ्रेमवर्क और रिवाइज्ड बेसल III नॉर्म्स लागू करना, और फेमा नियमों के तहत एक्सटरनल कमर्शियल बोरोअंग से संबंधित प्रमुख प्रावधानों को युक्तिसंगत बनाना शामिल है. स्ट्रांग रिस्क मैनेज्मेंट को प्रोत्साहित करने के लिए रिस्क बेस्ड डिपॉजिट इंश्योरेंस प्रीमियम भी शुरू करने का ऐलान हुआ है. गवर्नर मल्होत्रा ​​ने कहा कि इन उपायों का उद्देश्य लोन का विस्तार करना, प्रायोरिटी वाले क्षेत्रों को सपोर्ट करना और और ब्रोडर इकोनॉमिक ग्रोथ को मज़बूत करना है.

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