आज छठ महापर्व का दूसरा दिन है। कार्तिक शुक्ल पंचमी रविवार को खरना पूजा की जाएगी। आज ज्येष्ठा और मूल नक्षत्र में रवियोग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। खरना में व्रती पूरे दिन उपवास कर शाम में भगवान भास्कर की पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेंगे। पूजा के बाद व्रती 36 घंटे के निर्जला अनुष्ठान का संकल्प लेंगे। खरना पूजा का मुहूर्त संध्या 05:35 बजे से 08:22 बजे तक है। पूरे दिन उपवास के बाद होगा खरना ज्योतिषाचार्य राकेश झा ने बताया कि, छठ महापर्व के दूसरे दिन पूजा के लिए मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से प्रसाद के लिए खीर और रोटी बनाई जाएगी। फिर संध्या में इस प्रसाद को सूर्य देव और छठी मइया को भोग लगाकर, स्वयं व्रती इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगे। इसके बाद व्रतियों का अगले 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा। छठ पूजा से पहले खरना की परंपरा उन्होंने आगे कहा कि, खरना का प्रसाद व्रती के लिए एक प्रकार का अंतिम सात्विक भोजन है, जो व्रती को कठोर 36 घंटे के उपवास के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करता है। इसके बाद व्रती पूरी तरह से सूर्यदेव की भक्ति में लीन हो जाते हैं। खरना के प्रसाद से दूर होते हैं सारे कष्ट ज्योतिषी राकेश झा ने कहा कि, छठ महापर्व के चतुर्थ दिवसीय अनुष्ठान के तहत दूसरे दिन खरना के प्रसाद में ईख के कच्चे रस, गुड़ के सेवन से त्वचा रोग, आंख की पीड़ा, शरीर के दाग-धब्बे समाप्त हो जाते है। वही इसके प्रसाद से तेजस्विता, निरोगता और बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है। पारंपरिक गीत के बीच तैयार होगा प्रसाद छठ महापर्व के खरना पूजा का प्रसाद बनाते समय व्रती और उनके परिजन घरों में पूरी शुद्धता व पवित्रता के साथ पारंपरिक लोकगीत गाते हुए तैयार करते हैं। छठ की पूजा सामग्री के रूप में व्रती सिंदूर, चावल, बांस की टोकरी, धूप, शकरकंद, पत्ता लगा हुआ गन्ना, नारियल, कुमकुम, कपूर, सुपारी, हल्दी, अदरक, पान, दीपक, घी, गेहूं, गंगाजल आदि का उपयोग करते हैं। इस महापर्व में मुख्य प्रसाद के लिए ठेकुआ का विशेष महत्व है।
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