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आंगनबाड़ी केंद्र पर चावल नहीं, फिर भी वितरण का आदेश:सीवान के कई प्रखंड में 2 माह से सप्लाई बंद, CDPO बोले-कार्यालय को भेजी थी सूचना

समाज कल्याण विभाग अंतर्गत संचालित आईसीडीएस के सीवान जिला प्रोग्राम कार्यालय में नियमों से अधिक मनमानी हावी होती दिख रही है। विभागीय प्रक्रियाओं को दरकिनार कर मन मुताबिक कार्य कराने का ताज़ा उदाहरण गुरुवार को सामने आया। निवर्तमान जिला पदाधिकारी के हस्ताक्षर से एक आदेश निर्गत हुआ, जिसमें जिले के 19 प्रखंडों के आंगनबाड़ी लाभुकों को नवंबर माह का टेक-होम राशन (THR) 11 दिसंबर को वितरण कराने की बात अंकित थी। आदेश में संबंधित प्रखंडों के वरीय अधिकारियों को निरीक्षण की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी। लेकिन जब दैनिक भास्कर की टीम ने विभिन्न प्रखंडों के आंगनबाड़ी केंद्रों का स्थलीय निरीक्षण किया तो मामला बिल्कुल उलट निकला। जिन प्रखंडों में वितरण का दावा किया गया था, वहां चावल उपलब्ध ही नहीं था। 2 माह से सप्लाई बंद अधिकांश प्रखंडों में पिछले दो माह से चावल की सप्लाई बंद है। बावजूद इसके जिला प्रोग्राम पदाधिकारी द्वारा वितरण और निरीक्षण का आदेश जिला पदाधिकारी से जारी कराया गया, जो सीधे तौर पर कोरम पूरा करने की जल्दबाजी और संभावित गड़बड़ी का संकेत देता है। कई प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि “जब चावल है ही नहीं तो वितरण क्या होगा और हम निरीक्षण क्या करेंगे।” कम दर पर उपलब्ध कराया जाता है चावल अधिकारियों के अनुसार, चावल राज्य खाद्य निगम द्वारा बेहद कम दर पर उपलब्ध कराया जाता है। परंतु सप्लाई न होने के कारण वितरण में परेशानी होगी परियोजनाओं ने पहले ही जिला कार्यालय को इसकी जानकारी भेज दी थी। इसके बावजूद DPO द्वारा जिला पदाधिकारी से आदेश निर्गत करवा लिया गया। अब सवाल उठ रहा है कि क्या जिला पदाधिकारी को चावल न होने की जानकारी छुपाई गई। वहीं कई CDPO ने स्वीकार किया कि चावल की उपलब्धता नहीं होने की सूचना उन्होंने जिला कार्यालय को भेजी थी। इसके बावजूद जिला प्रोग्राम पदाधिकारी द्वारा “डीएम का आदेश” दिखाकर किसी भी तरह THR वितरण करवाने का निर्देश दिया जाता है। ऐसे में सेविकाओं पर मजबूरन हमे भी वितरण करने का दबाव बनाया जाता है। खरीदकर चावल वितरण करने को कहते अधिकारी सेविकाओं ने बताया कि दो महीने से चावल नहीं है। जिला कार्यालय हमें बाजार से 23 रुपए किलो चावल खरीदकर वितरण करने को कहता है। विभागीय दर पर यह संभव नहीं, इसलिए बाकी पोषाहार में कटौती करनी पड़ती है। बाजार से खरीदारी करने से न केवल लागत बढ़ती है, बल्कि बच्चों को मिलने वाले पोषण पर भी असर पड़ रहा है। इस गंभीर मामले पर जब जिला प्रोग्राम पदाधिकारी तरणि कुमारी से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। चावल की अनुपलब्धता के बावजूद THR वितरण का आदेश जारी होना, निरीक्षण का दावा और जमीनी हकीकत यह सब मिलकर पूरे मामले में प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की आशंका गहरा रहे हैं।


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