पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं ने तीन साल की बच्ची अवंतिका की मौत के मामले में न्यायिक जांच की मांग को लेकर सड़क पर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। अधिवक्ताओं ने पीएमसीएच के दोषी डॉक्टरों के खिलाफ आक्रोश मार्च निकाला। यह मार्च पटना उच्च न्यायालय के गेट संख्या- 4 से इनकम टैक्स गोलंबर तक निकाला गया। अवंतिका रॉय को दोनों पैर में फ्रैक्चर होने के बाद 27 नवंबर को पटना के PMCH में एडमिट कराया गया था।जब एनेस्थीसिया के डबल डोज के कारण 6 दिनों के बाद 6 दिसंबर सुबह 11:45 मिनट पर इलाज के क्रम में अवंतिका की मौत हो गई। इसके बाद अवंतिका के परिजनों ने पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) के डॉक्टरों पर लापरवाही का घोर आरोप लगाया था। परिजनों ने इसे हत्या करार दिया था। जिसके बाद 9 तारीख को नाना राम संदेश रॉय ने पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. आई.ए.एस. ठाकुर से मुलाकात कर शिकायत की थी, जिसके बाद अधीक्षक ने चार सदस्यीय समिति का गठन किया गया। इस समिति को सात दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन कथित लापरवाह डॉक्टरों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। बच्ची के नाना ने घटना को हत्या बताया था अवंतिका के नाना राम संदेश रॉय, जो पटना उच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं, ने इसे हत्या बताते हुए न्यायिक जांच की मांग की है। इसी क्रम में शुक्रवार शाम को पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं ने आक्रोश मार्च निकाला और न्यायिक जांच की मांग दोहराई। अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल पीएमसीएच इलाज का केंद्र नहीं, बल्कि ‘दलालों का केंद्र’ बन गया है, जहां पैसे लेकर मरीजों के जीवन से खिलवाड़ किया जाता है, जिससे उनकी मौत हो जाती है। अधिवक्ताओं ने न्यायिक जांच के साथ-साथ तीन प्रमुख मांगें रखी 1. पीएमसीएच को दलाल डॉक्टरों और बिचौलियों से मुक्त किया जाए। 2. मासूम अवंतिका की मौत के दोषी डॉक्टर महेश प्रसाद और एनेस्थीसिया के डॉक्टर पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजा जाए। 3. मासूम अवंतिका की मौत की न्यायिक जांच हो।
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