“मैं आज भी खुद से यही पूछ रहा हूं, क्या कहीं मैं कुछ समझ नहीं पाया? हमने शादी परिवार की रजामंदी से की, हर बात खुलकर हुई। अर्यमा ने कहा था कि वह खुश है। फिर उस दिन अचानक 36 घंटे के लिए गायब हो जाना, मोबाइल बंद, कोई खबर नहीं। मैं पति हूं, लेकिन जवाब ढूंढते-ढूंढते थक गया हूं। अब दो दिन खुद को संभालकर सोचूंगा, फिर कोई फैसला लूंगा। अभी मैं कोई फैसला लेने की स्थिति में नहीं हूं।” ये कहना है अर्यमा के पति शुभम का। शुभम इन दिनों काफी परेशान हैं। बेगूसराय में अपनी मां की देखरेख कर रहे हैं। दरअसल, अर्यमा-शुभम की शादीशुदा जिंदगी महज 20 दिन में संकट में आ गई। 26 दिसंबर को अर्यमा लापता हुईं। 28 को छपरा के मसरख से बरामदगी हुई। कोर्ट में बयान के बाद वह बहन के घर चली गई। अर्यमा-शुभम की मुलाकात कैसे हुई, दोनों की शादी किसने करवाई? कितने दिनों तक एक दूसरे से अंडरस्टैंडिंग बनाते रहे? ये जानने के लिए भास्कर रिपोर्टर ने बेगूसराय में शुभम से बात की। शुभम काफी हताश हैं, वो कैमरे पर तो नहीं आए पर शादी की पूरी कहानी बताई। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले शादी की 3 तस्वीरें देखिए जीवनसाथी डॉट कॉम से हम मिले, पहले एक दूसरे पर भरोसा किया शादी से जुड़ी बातचीत पर पहले तो वह बचते हैं और मां का हवाला देकर कैमरे पर आने से मना कर देते हैं। हमने फिर भी उनके मन की बात बाहर लाने की कोशिश की और उनकी पत्नी के बारे में पूछा तो सकुचाते हुए पूरी कहानी बताने लगे। शुभम कहते हैं, ‘आर्यम दीप्ति का बायोडाटा चर्चित वैवाहिक प्लेटफॉर्म जीवनसाथी डॉट कॉम पर डाला गया था। हमारे परिवार ने भी बायोडाटा जीवनसाथी डॉक पर अपलोड कर रखा था। जब हमारे पास अर्यमा का बायोडाटा और फोटो आई तो मुझे पसंद आ गई। मैंने सोचा अर्यमा दीप्ति, विजयनगर पटना की रहने वाली हैं। कृषि विभाग में BTM के पद पर तैनात हैं। वह काफी पढ़ी-लिखी, आत्मनिर्भर थी, तो हमें लगा कि इमोशनली और प्रोफेशनली हमारी ट्यूनिंग ठीक बन जाएगी। इसलिए हमने भी हां कर दी और परिवारों ने एक दूसरे बातचीत शुरू कर दी। मैंने भी CA कर रखा है और पटना में जॉब कर रहा हूं। उनके परिवार वालों को मेरा प्रोफाइल पसंद आ गया। एक दूसरे में बातचीत भी शुरू हो गई। पहली मुलाकात में ही हम सब ने उनका जवाब पूछा शुभम बताते हैं, ‘जब परिवार वालों ने हमारी शादी फाइनल कर दी तो हम दोनों की मुलाकात फिक्स की गई। तीन महीने पहले हम दोनों की बातचीत शुरू हो गई। शुरुआती दौर में बातचीत बहुत औपचारिक थी। हमने एक दूसरे को जानने की कोशिश की। इस दौरान मैंने अर्यमा से बहुत स्पष्ट पूछा था कि शादी का कोई दबाव तो नहीं? तुम्हें कोई और पसंद है तो साफ बता दो, हम परिवारों के दबाव में शादी नहीं करेंगे। अर्यमा ने भी हर सवाल का सीधा जवाब दिया। उसने कहा, “मैं आपसे शादी के लिए तैयार हूं और हम एक दूसरे के जीवन साथी बनकर रहेंगे। इसके बाद तीन महीने तक हम दोनों की बातें होती रहीं, हम एक दूसरे की पसंद, ना पसंद को समझते रहे। कभी प्रोफेशन को लेकर बातचीत होती तो कभी निजी जिंदगी पर। आगे लाइफ कैसे चलेगी, परिवार में कैसे बैलेंस बनाएंगे। हम दोनों नौकरी करेंगे तो कैसे चीजें सेटल होंगी, यहां तक बातचीत होती रही और फिर शादी की डेट फाइनल हो गई।’ ‘बहुत धूमधाम से हमारी शादी हुई, 500 बाराती पहुंचे’ शुभम के परिवार वाले बताते हैं, ‘शुभम की शादी बहुत धूमधाम से हुई थी। बड़ी बात यह थी कि अर्यमा पटना की रहने वाली थी, लेकिन उसके परिवार वाले शादी करने के लिए बेगूसराय आ गए थे। 4 दिसंबर की शाम पनहांस रिसॉर्ट में शुभम दूल्हा बनकर पहुंचे। करीब 500 बाराती, रातभर रस्में चलीं। सुबह तक फेरे पूरे हुए। परंपरा के मुताबिक, सूर्योदय के बाद दुल्हन ससुराल नहीं जाती, इसलिए होटल में कमरा बुक हुआ। 5 दिसंबर को सूर्यास्त के बाद अर्यमा ससुराल पहुंचीं। यहां मां और अन्य लोगों ने बहुत ही शानदार स्वागत किया। एक सप्ताह तक घर के सारे रस्म रिवाज पूरे किए गए। घर की छोटी बहू थी, सास और ननद की दुलारी थी। रिश्तेदार लौट गए, लेकिन घर में खुशियों का दौर चलता रहा। कुछ दिन बाद दोनों नेपाल हनीमून पर निकल गए।’ नेपाल में हनीमून, परिवार घूमने की तस्वीरें भेजी घर में मौजूद शुभम के दोस्त बताते हैं, ‘शादी के कुछ दिन बाद शुभम और अर्यमा नेपाल में हनीमून के लिए निकल गए। वहां से अर्यमा ने अपने परिवार वालों को घूमने की कई तस्वीरें भेजीं।’ शुभम कहते हैं ‘अर्यमा वहां बहुत खुश थी, ऐसी कोई नाराजगी या बातचीत समझ नहीं आई, जिससे वो अचानक चली जाए। हम करीब चार दिन नेपाल में रहे और फिर बेगूसराय वापस आ गए। इसके बाद अर्यमा के मम्मी पापा भी हमारे पास आए और दो दिन तक रुके। वो लोग बेटी को ससुराल में काम काज के तरीके भी समझा रहे थे। इसके बाद हम दोनों को नौकरी जॉइन करनी थी। मैं उसे लेकर पटना आ गया।’ ‘ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए 25 को पटना आया’ शुभम बताते हैं कि अर्यमा ने 20 दिसंबर तक शादी की छुट्टी ले रखी थी। हम कुछ दिन लेट हो गए थे। 25 दिसंबर को अर्यमा को लेकर बख्तियारपुर पहुंचा। अथमलगोला ब्लॉक में जा रही थी। अर्यमा ने कहा, ब्लॉक तक चलिए। शुभम रुके, सोचा नौकरी का मामला है। वह छत्रसाल बाबा नगर के किराए के घर में ठहरे। महीने का आखिरी चल रहा था। 26 की सुबह मैं अर्यमा को छोड़कर पटना लौट आया। शाम को खबर मिली, मोबाइल बंद है।’ 36 घंटे का सस्पेंस-पुलिस को बताया फ्रेंड को सरप्राइज देने गई थी खबर मिलते ही शुभम बख्तियारपुर पहुंचे। मायके वाले भी आ गए। पुलिस को सूचना दी गई। 27 दिसंबर पूरा सर्च ऑपरेशन चलता रहा। कॉल डिटेल, लोकेशन और अर्यमा को जानने वाले लड़के की डिटेल निकाली गई। 28 दिसंबर को सूचना मिली अर्यमा छपरा के मसरख से बरामद हुई हैं। पुलिस ने बताया- दोस्त के जन्मदिन पर सरप्राइज देने गई थीं। मोबाइल डिस्चार्ज हो गया। बिजली की समस्या के कारण संपर्क नहीं हो सका। बरामदगी के बाद कोर्ट में बयान दर्ज हुए। अर्यमा ने ससुराल या मायके जाने के बजाय बहन के यहां चली गईं। इस दौरान उन्होंने पति से बात भी नहीं की। शुभम अब असमंजस में हैं कि अगर दोस्त को सरप्राइज देने गई थीं तो मुझे तो बता सकती थीं। क्योंकि उनका मोबाइल दो बार ऑन हुआ और किसी लड़के की आखिरी कॉल आई। शुभम कहते हैं, ‘अभी मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूं, एक दो दिन बात उनसे बात करूंगा।’
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