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अर्यमा बिना छुट्‌टी लिए गायब,नोटिस भेजने की तैयारी में विभाग:36 घंटे लापता रहने के बाद ससुराल-हसबैंड से बातचीत बंद, ऑफिस जॉइन नहीं किया

पटना की कृषि विभाग की लापता अधिकारी अर्यमा दीप्ति अपनी बहन के घर हैं। अब इस पूरे घटनाक्रम में पति शुभम का दर्द सामने आया है। उनका कहना है कि चार दिन से हमारी अर्यमा से कोई बात नहीं हो रही है। हम उनके परिवार वालों के संपर्क में हैं। इस बीच जानकारी मिली है कि वो हजारीबाग के किसी इंजीनियर के संपर्क में है। हमारी कोशिश है कि मामला सुलझे और बातचीत शुरू हो। इधर, विभागीय स्तर पर भी सवाल खड़े हो गए हैं क्योंकि अर्यमा पिछले 31 दिनों से ऑफिस नहीं गई हैं। अब कृषि विभाग की ओर से नोटिस भेजने की तैयारी है। इधर, हमने पति के आरोपों पर अर्यमा से भी उनका पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन उनका फोन बंद आया। अब पढ़िए शुभम ने भास्कर को जो बताया, उन्हीं की जुबानी शुभम ने बताया कि, ‘मैं अब भी समझने की कोशिश कर रहा हूं कि आखिर मेरी पत्नी के मन में क्या चल रहा है। शादी के शुरुआती दिन बिल्कुल सामान्य थे। हम दोनों ने परिवार की मर्जी से शादी की थी। मेरी मां की तबीयत बिगड़ चुकी है। परिवार में हर कोई परेशान है। मैंने कभी उस पर कोई दबाव नहीं डाला। अगर उसे कुछ कहना था, तो मुझे कह सकती थी। आज भी मेरी यही इच्छा है कि वह सुरक्षित रहे और सच सामने आए। ” शादी की 3 तस्वीरें देखिए जीवनसाथी डॉट कॉम से हम मिले, पहले एक दूसरे पर भरोसा किया शादी से जुड़ी बातचीत पर पहले तो वह बचते हैं और मां का हवाला देकर कैमरे पर आने से मना कर देते हैं। हमने फिर भी उनके मन की बात बाहर लाने की कोशिश की और उनकी पत्नी के बारे में पूछा तो सकुचाते हुए पूरी कहानी बताने लगे। शुभम कहते हैं, ‘आर्यम दीप्ति का बायोडाटा चर्चित वैवाहिक प्लेटफॉर्म जीवनसाथी डॉट कॉम पर डाला गया था। हमारे परिवार ने भी बायोडाटा जीवनसाथी डॉक पर अपलोड कर रखा था। जब हमारे पास अर्यमा का बायोडाटा और फोटो आई तो मुझे पसंद आ गई। मैंने सोचा अर्यमा दीप्ति, विजयनगर पटना की रहने वाली हैं। कृषि विभाग में BTM के पद पर तैनात हैं। वह काफी पढ़ी-लिखी, आत्मनिर्भर थी, तो हमें लगा कि इमोशनली और प्रोफेशनली हमारी ट्यूनिंग ठीक बन जाएगी। इसलिए हमने भी हां कर दी और परिवारों ने एक दूसरे बातचीत शुरू कर दी। मैंने भी CA कर रखा है और पटना में जॉब कर रहा हूं। उनके परिवार वालों को मेरा प्रोफाइल पसंद आ गया। एक दूसरे में बातचीत भी शुरू हो गई। पहली मुलाकात में ही हम सब ने उनका जवाब पूछा शुभम बताते हैं, ‘जब परिवार वालों ने हमारी शादी फाइनल कर दी तो हम दोनों की मुलाकात फिक्स की गई। तीन महीने पहले हम दोनों की बातचीत शुरू हो गई। शुरुआती दौर में बातचीत बहुत औपचारिक थी। हमने एक दूसरे को जानने की कोशिश की। इस दौरान मैंने अर्यमा से बहुत स्पष्ट पूछा था कि शादी का कोई दबाव तो नहीं? तुम्हें कोई और पसंद है तो साफ बता दो, हम परिवारों के दबाव में शादी नहीं करेंगे। अर्यमा ने भी हर सवाल का सीधा जवाब दिया। उसने कहा, “मैं आपसे शादी के लिए तैयार हूं और हम एक दूसरे के जीवन साथी बनकर रहेंगे। इसके बाद तीन महीने तक हम दोनों की बातें होती रहीं, हम एक दूसरे की पसंद, ना पसंद को समझते रहे। कभी प्रोफेशन को लेकर बातचीत होती तो कभी निजी जिंदगी पर। आगे लाइफ कैसे चलेगी, परिवार में कैसे बैलेंस बनाएंगे। हम दोनों नौकरी करेंगे तो कैसे चीजें सेटल होंगी, यहां तक बातचीत होती रही और फिर शादी की डेट फाइनल हो गई।’ बहुत धूमधाम से हमारी शादी हुई, 500 बाराती पहुंचे शुभम के परिवार वाले बताते हैं, ‘शुभम की शादी बहुत धूमधाम से हुई थी। बड़ी बात यह थी कि अर्यमा पटना की रहने वाली थी, लेकिन उसके परिवार वाले शादी करने के लिए बेगूसराय आ गए थे। 4 दिसंबर की शाम पनहांस रिसॉर्ट में शुभम दूल्हा बनकर पहुंचे। करीब 500 बाराती, रातभर रस्में चलीं। सुबह तक फेरे पूरे हुए। परंपरा के मुताबिक, सूर्योदय के बाद दुल्हन ससुराल नहीं जाती, इसलिए होटल में कमरा बुक हुआ। 5 दिसंबर को सूर्यास्त के बाद अर्यमा ससुराल पहुंचीं। यहां मां और अन्य लोगों ने बहुत ही शानदार स्वागत किया। एक सप्ताह तक घर के सारे रस्म रिवाज पूरे किए गए। घर की छोटी बहू थी, सास और ननद की दुलारी थी। रिश्तेदार लौट गए, लेकिन घर में खुशियों का दौर चलता रहा। कुछ दिन बाद दोनों नेपाल हनीमून पर निकल गए।’ नेपाल में हनीमून, परिवार घूमने की तस्वीरें भेजी घर में मौजूद शुभम के दोस्त बताते हैं, ‘शादी के कुछ दिन बाद शुभम और अर्यमा नेपाल में हनीमून के लिए निकल गए। वहां से अर्यमा ने अपने परिवार वालों को घूमने की कई तस्वीरें भेजीं।’ शुभम कहते हैं ‘अर्यमा वहां बहुत खुश थी, ऐसी कोई नाराजगी या बातचीत समझ नहीं आई, जिससे वो अचानक चली जाए। हम करीब चार दिन नेपाल में रहे और फिर बेगूसराय वापस आ गए। इसके बाद अर्यमा के मम्मी पापा भी हमारे पास आए और दो दिन तक रुके। वो लोग बेटी को ससुराल में काम काज के तरीके भी समझा रहे थे। इसके बाद हम दोनों को नौकरी जॉइन करनी थी। मैं उसे लेकर पटना आ गया।’ 31 दिन से ऑफिस से गायब, अब विभागीय कार्रवाई की तैयारी अर्यमा दीप्ति की निजी जिंदगी के साथ-साथ अब उसकी नौकरी भी सवालों के घेरे में आने लगी है। बख्तियारपुर प्रखंड में बीटीएम के पद पर तैनात अर्यमा पिछले 31 दिनों से ऑफिस नहीं गई हैं। विभागीय रिकॉर्ड के मुताबिक उसने पहले 20 दिनों की छुट्टी ली थी, लेकिन तय अवधि खत्म होने के बाद भी उसने न तो जॉइनिंग दी और न ही कोई सूचना भेजी। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नियमों के तहत किसी भी कर्मचारी को तय छुट्टी के बाद ड्यूटी पर लौटना अनिवार्य होता है। लगातार गैरहाजिरी को गंभीरता से लिया जाता है। अर्यमा के मामले में अब यह अवधि 31 दिन तक पहुंच चुकी है, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। सूत्रों के मुताबिक विभाग जल्द ही अर्यमा को कारण बताओ नोटिस भेजने की तैयारी में है। नोटिस में पूछा जाएगा कि बिना सूचना के इतने दिनों तक अनुपस्थित रहने का क्या कारण है। यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है, तो आगे अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। इसमें वेतन रोकने से लेकर सेवा शर्तों के तहत कड़ी कार्रवाई तक शामिल है। अधिकारियों का कहना है कि मामला संवेदनशील जरूर है, लेकिन सरकारी सेवा के अपने नियम होते हैं। व्यक्तिगत कारणों से लंबे समय तक अनुपस्थित रहने के लिए लिखित सूचना और अनुमति जरूरी होती है। फिलहाल अर्यमा की ओर से कोई आधिकारिक पत्र या आवेदन विभाग को नहीं मिला है। अर्यमा ने पूछताछ में उस युवक को अपनी चचेरी मौसी का बेटा बताया है। तमाम पूछताछ के बाद अर्यमा अपने पति के साथ ससुराल नहीं गई हैं, ऐसे में सवाल फिर खड़े हो गए हैं। अर्यमा छपरा तक कैसे पहुंचीं..? पुलिस को क्या बयान दर्ज कराए..? पति का क्या कहना है और ससुराल वाले क्या कह रहे हैं…पढ़िए पूरी थ्योरी..? थ्योरी–1 पुलिस का दावा: दोस्त को सरप्राइज देने गई, मोबाइल डिस्चार्ज हो गया सबसे पहले जानिए अर्यमा ने पुलिस को क्या बयान दर्ज कराए हैं। कॉल डिटेल और मोबाइल लोकेशन के आधार पर अर्यमा को पुलिस ने छपरा से 36 घंटे बाद बरामद कर लिया। रविवार सुबह उन्हें थाने लाया गया और पांच घंटे तक पूछताछ की गई। इस दौरान उनके पति, परिवार वाले साथ रहे। बख्तियारपुर पुलिस को अर्यमा ने पूछताछ के दौरान बताया कि वह अपनी सहेली को जन्मदिन का सरप्राइज देने गई थीं। इस दौरान मोबाइल फोन डिस्चार्ज हो गया, जिससे परिजनों से संपर्क नहीं हो सका और भ्रम की स्थिति बन गई। पुलिस के अनुसार, बयान में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं दिखाई दे रही। इसके बाद अर्यमा को कोर्ट में पेश किया गया, जहां 164 के बयान दर्ज कराए गए। इन बयानों में अर्यमा ने क्या कहा- इस बात की जानकारी पुलिस नहीं दे पाई है। बयान दर्ज कराने के बाद अर्यमा न मायके गई हैं और ना ही अपने ससुराल। अब जानिए 26 दिसंबर के गायब होने से बरामदगी का सर्च ऑपरेशन 26 दिसंबर की सुबह अर्यमा रोज की तरह तैयार हुईं। पति शुभम ने उन्हें घर से ऑफिस के लिए छोड़ा। पति के मुताबिक रास्ते में कोई बहस नहीं हुई, अर्यमा सामान्य थीं और ड्यूटी की बात कर रही थीं। लेकिन ऑफिस के रिकॉर्ड बताते हैं कि वह उस दिन दफ्तर पहुंचीं ही नहीं। न अर्यमा की अटेंडेंस लगी और न कोई मीटिंग। दोपहर करीब 2 बजे अर्यमा की पति से बात होती है। वह कहती हैं “ऑफिस के काम से घर आई हूं।” इसके करीब दो घंटे बाद, शाम 4 बजे भाई से उनकी आखिरी बातचीत होती है। भाई ने बातचीत में सिर्फ हालचाल पूछा, जिसमें अर्यमा ने कोई खतरे की बात नहीं बताई। इसके बाद अचानक फोन बंद हो जाता है। कॉल नहीं लगती, मैसेज का जवाब भी नहीं मिलता। गुमशुदगी की रिपोर्ट और कॉल ट्रेसिंग शुरू शाम होते-होते पति की ओर से बख्तियारपुर थाने में सूचना दी जाती है। पुलिस तत्काल संज्ञान लेती है। CDR, लोकेशन और तकनीकी इनपुट खंगाले जाते हैं। जांच में सामने आता है कि शुक्रवार को अर्यमा की आखिरी लोकेशन उस्मानपुर (अथमलगोला थाना क्षेत्र) में थी। इसके बाद शनिवार सुबह फोन एक बार ऑन होता है और लोकेशन फतुहा की मिलती है। पुलिस के अनुसार लोकेशन बदलने से साफ संकेत मिला कि या तो अर्यमा मूवमेंट में थीं या फोन किसी और के पास था। कॉल डिटेल से पता चलता है कि आखिरी बातचीत एक युवक से हुई थी। पुलिस इस नंबर को ट्रेस करती है। संभावना जताई जाती है कि युवक या तो अर्यमा से मिलने आया था या उसे रिसीव करने। इसी कड़ी में एक युवक को हिरासत में लेकर पूछताछ की जाती है। इसी बीच एक वीडियो सामने आता है। वीडियो 26 दिसंबर का है, जिसमें अर्यमा नकाब लगाए बख्तियारपुर स्टेशन पर आगे-आगे चलती दिख रही हैं और एक युवक उनके पीछे है। पुलिस का दावा है कि युवक रिश्तेदार है और वीडियो में किसी तरह की जबरदस्ती या असहज स्थिति नहीं दिखती। पहले वो दोनों साथ खड़े होते हैं, फिर आगे पीछे होकर चलने लगते हैं। थ्योरी–2: ससुराल पक्ष का आरोप: बिना बताए चली गई पति के साथ आई भी नहीं थाने में पहुंचे ससुराल पक्ष वालों का आरोप है कि अगर सिर्फ सरप्राइज देना था तो घरवालों को बताए बिना क्यों गईं। फोन दो बार ऑन तब भी तो पति को फोन कर सूचना दी जा सकती थी। या अपने परिवार को ही बताया होता, जिससे हमें लगता कि सही में दोस्त के यहां गई हैं। इस घटनाक्रम के बाद अर्यमा की सास की तबीयत बिगड़ गई है। उन्हें बेगूसराय के अस्पताल में भर्ती कराया गया। परिवार का आरोप है कि इस पूरे मामले ने घर की इज्जत और मानसिक शांति दोनों पर असर डाला है। पति के एक दोस्त कृष्णा ने बताया कि अर्यमा अपने पति को छोड़कर बहन के घर चली गई हैं। यह सुनते ही पति की मां बेहोश हो गईं। दोस्त का दावा है कि परिवार सदमे में है और पति बुरी तरह टूट चुका है। परिवार के लोग कहते हैं कि शादी 4 दिसंबर को हुई थी, वह भी पूरी तरह अरेंज मैरिज। शादी के बाद पति-पत्नी नेपाल हनीमून पर गए थे। इसके बाद लौटकर ड्यूटी जॉइन की। सब कुछ सामान्य चल रहा था। फिर अचानक 26 दिसंबर को यह घटना समझ से परे है। ससुराल पक्ष के अनुसार, अर्यमा ने साफ कहा है कि वह फिलहाल न मायके में रहेंगी और न ससुराल में। वो शुभम के साथ रहना नहीं चाहतीं। इतनी बात होने के बाद भी वह अपनी बहन के यहां चली गई हैं।


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