हरिद्वार में 2027 के अर्धकुंभ से पहले संतों और अखाड़ों के बीच छिड़ी खींचतान पर काली सेना प्रमुख स्वामी आनंद स्वरूप ने बड़ा बयान दिया है। दैनिक भास्कर एप से बातचीत में उन्होंने स्पष्ट कहा कि कुंभ जैसे पावन और वैश्विक आयोजन को विवादों में घसीटना परंपरा और संत समाज, दोनों के लिए ठीक नहीं है। स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि कुंभ सदियों से राजा-महाराजाओं के संरक्षण में भव्य रूप से होता आया है। अखाड़े और संत ही कुंभ की असली शोभा हैं। सरकार अगर भव्य आयोजन चाहती है तो सभी को उसमें बढ़-चढ़कर शामिल होना चाहिए। छोटी-छोटी बातों पर विवाद करना किसी भी परिस्थिति में उचित नहीं है उन्होंने कुछ संतों द्वारा उठाए जा रहे विवादों को निरर्थक बताते हुए कहा कि आज स्थिति ऐसी है कि यदि कोई राम बोलेगा तो दूसरा रावण बोलने के लिए तैयार रहता है। हर बात में विवाद पैदा करना और मीडिया में बने रहने की इच्छा गलत प्रवृत्ति है। स्वामी आनंद स्वरूप बोले- कुंभ से आती है समृद्धि, मिलती है विकास की राह स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि कुंभ केवल धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि राज्य में समृद्धि और विकास का अवसर भी है। कुंभ के दौरान बेहतर सड़कें, साफ-सफाई और विकास कार्य होता है। देश-विदेश से लोग आते हैं, जिससे राज्य समृद्ध होता है। उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड एक सांस्कृतिक हिंदू राज्य है और कई संत इसे हिंदू राज्य घोषित करने की मांग कर रहे हैं। “कुंभ हमारे लिए मंथन का अवसर है कि प्रदेश को कैसे धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन का केंद्र बनाया जाए।” अखाड़ों के निर्णय पर भी जताई नाराजगी महामंडलेश्वर को हटाए जाने के हालिया विवाद पर उन्होंने कहा कि यह निर्णय जल्दबाजी में लिया गया। इतनी जल्दी किसी को दंडित करना उचित नहीं था। पहले बातचीत होनी चाहिए थी। डोली संस्कृति को मिला विशेष महत्व प्रयागराज कुंभ की तुलना पर उन्होंने कहा कि हरिद्वार का आकार भले छोटा हो, लेकिन यहां की ‘देव डोली’ संस्कृति अद्भुत है। उन्होंने याद किया कि 2010 के महाकुंभ में भी देव डोलियों ने सामूहिक स्नान किया था। “डोलियों में देवता चलायमान हो जाते हैं, नृत्य करते हैं, आशीर्वाद देते हैं यह अद्भुत दृश्य दुनिया को चमत्कार जैसा अनुभव कराता है। सरकार ने यदि इस बार डोलियों को विशेष रूप से आमंत्रित किया है तो यह पूरे उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है।” अर्धकुंभ 2027 में ‘एक स्थान पर सभी देव डोलियों’ का अनोखा अवसर उन्होंने कहा कि जो लोग पहाड़ों में जाकर डोलियां नहीं देख पाते, उन्हें कुंभ में एक ही स्थान पर सभी देव डोलियों को देखने और स्नान करने का अनूठा अवसर मिलेगा। यह आयोजन पूरे विश्व के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। ————————————- उत्तराखंड में 14 जनवरी से होगा अर्धकुंभ:4 शाही स्नान सहित 10 मुख्य स्नान की तिथियां तय; CM और 13 अखाड़ों की बैठक में फैसला उत्तराखंड में 2027 में होने वाले अर्धकुंभ की तिथियां तय हो गई हैं। हरिद्वार में होने वाला ये भव्य आयोजन 14 जनवरी से शुरू होगा और 20 अप्रैल को खत्म होगा। 97 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में 10 प्रमुख स्नान शामिल हैं। जिसमें पहली बार चार शाही अमृत स्नान भी होंगे, जिसे एक ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा है। (यहां पढ़िए पूरी खबर)
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