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अरुणाचल में जासूसी नेटवर्क और बॉर्डर गतिविधियों से एजेंसियां सतर्क:पाकिस्तान से जुड़े नेटवर्क का खुलासा, चीन की हलचल पर भी नजर

अरुणाचल प्रदेश में जासूसी नेटवर्क के खुलासे और सीमा से जुड़ी गतिविधियों ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। पुलिस ने पिछले दस दिनों में पाकिस्तान से जुड़े जासूसी नेटवर्क के चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। इसी बीच, स्थानीय लोगों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास चीनी सेना की मौजूदगी और संभावित घुसपैठ की जानकारी दी है। पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपी सेना की गतिविधियों और अन्य संवेदनशील सूचनाएं पाकिस्तानी हैंडलर्स तक भेज रहे थे। शुरुआती जांच में इस नेटवर्क के चीन से जुड़े होने के संकेत भी मिले हैं। सुरक्षा विशेषज्ञ इसे ‘हाइब्रिड वॉर’ की रणनीति से जोड़कर देख रहे हैं, जिसमें जासूसी, घुसपैठ और सैन्य दबाव को एक साथ इस्तेमाल किया जाता है। राज्य के गृह मंत्री मामा नातुंग ने कहा है कि जासूसी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी और राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। LAC के पास चीनी गतिविधियां, कैंप बनाने का दावा स्थानीय लोगों का दावा है कि सितंबर 2024 से चीनी सेना ने अंजाव जिले के कपापु क्षेत्र में करीब 60 किमी अंदर तक कैंप बनाए हैं। उनका कहना है कि हालात 2022 जैसे हैं। हालांकि, सरकार की ओर से इसे ‘ओवरलैपिंग पेट्रोलिंग’ बताया जा रहा है। इसी दौरान तिब्बत के ल्हुंजे एयरबेस पर चीन की गतिविधियों पर भी नजर रखी जा रही है। यहां मैकमोहन लाइन से करीब 40 किमी दूर 36 हार्डेंड एयरक्राफ्ट शेल्टर्स बनाए जाने और स्टेल्थ जेट्स की तैनाती की जानकारी सामने आई है। स्लीपर सेल खड़ा करने की आशंका जांच एजेंसियों के मुताबिक पकड़े गए संदिग्ध स्थानीय मुस्लिम समुदायों में घुल-मिलकर स्लीपर सेल विकसित करने की कोशिश कर रहे थे। कुछ बांग्लादेशी युवकों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। वेस्ट सियांग के एसपी का कहना है कि यह मामला असम और अरुणाचल से जुड़े एक बड़े जासूसी मॉड्यूल का हिस्सा हो सकता है। एजेंसियां इसे ऐसी रणनीति से जोड़कर देख रही हैं, जिसमें पाकिस्तान प्रॉक्सी की भूमिका निभा सकता है। ईटानगर से गिरफ्तारी, असम तक नेटवर्क एन्क्रिप्टेड चैनलों से सूचनाएं भेजने का आरोप जांच एजेंसियों का कहना है कि आरोपी एन्क्रिप्टेड टेलीग्राम चैनलों के जरिए सीमा पार सूचनाएं साझा कर रहे थे। रक्षा विशेषज्ञ 1999 के करगिल युद्ध का हवाला देते हुए पूर्वोत्तर में संभावित ‘टू-फ्रंट’ दबाव की आशंका जता रहे हैं। उनके मुताबिक, भारत ने लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में करीब 1.20 लाख सैनिक तैनात किए हैं। इसके बावजूद जासूसी नेटवर्क का फैलाव सुरक्षा के लिहाज से गंभीर चुनौती माना जा रहा है। एजेंसियों की कार्रवाई तेज —————–


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