अरवल जिला पदाधिकारी अमृषा बैंस के निर्देश पर वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए जीवनांक (जन्म-मृत्यु) सांख्यिकी कार्यों को प्रभावी, पारदर्शी और जनहितकारी बनाने हेतु एक दिवसीय जिला स्तरीय क्षमतावर्धन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ उप विकास आयुक्त शैलेश कुमार, जिला पंचायती राज पदाधिकारी विनोद कुमार, जिला सांख्यिकी पदाधिकारी इंद्रजीत कुमार और जिला जनसंपर्क पदाधिकारी माला कुमारी ने दीप प्रज्वलित कर किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला सांख्यिकी पदाधिकारी ने बताया कि अरवल जिले में कुल 72 रजिस्ट्रीकरण इकाइयां कार्यरत हैं, जिनमें 69 ग्रामीण और 3 शहरी इकाइयां शामिल हैं। जन्म एवं मृत्यु का निबंधन तथा प्रमाणपत्र जारी करना अत्यंत आवश्यक है। जन्म प्रमाणपत्र के आधार पर ही आंकड़ों का सही विश्लेषण संभव होता है। यह बच्चों के स्कूल प्रवेश, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार संबंधी कार्यों और विभिन्न सरकारी जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए एक अनिवार्य दस्तावेज है। इसी प्रकार, मृत्यु प्रमाणपत्र का निबंधन भी महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से पैतृक संपत्ति संबंधी दावे, जीवन बीमा, बैंक खातों से जुड़े कार्यों में साक्ष्य के रूप में उपयोग और अन्य वैधानिक व सामाजिक लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य आम जनता को बिना किसी कठिनाई के जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्र की सेवा सुलभ कराना है। इसका लक्ष्य जिले में घटित सभी जन्म एवं मृत्यु की घटनाओं का शत-प्रतिशत निबंधन सुनिश्चित करते हुए लाभार्थियों को समय पर प्रमाणपत्र उपलब्ध कराना है। इस क्रम में बताया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में सभी पंचायतों के पंचायत सचिवों को, शहरी क्षेत्रों में सहायक सांख्यिकी पदाधिकारी/प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी को और सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को रजिस्ट्रार घोषित किया गया है। आम नागरिक इन रजिस्ट्रारों के माध्यम से आवश्यकतानुसार अपने जन्म एवं मृत्यु का निबंधन सरलता से करा सकते हैं।
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