अरवल के पुलिस बर्बरता कांड में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मनीष कुमार पांडेय की अदालत ने डीएसपी कृति कमल सहित कई पुलिस अधिकारियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए हैं। यह कदम भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधानों के तहत उठाया गया है। आरोपितों की लगातार अनुपस्थिति के कारण अदालत का सख्त रुख न्यायालय ने पहले गैर-जमानती धाराओं में समन और जमानतीय वारंट भेजे थे। लेकिन मामले को कोई भी आरोपी उपस्थित नहीं हुआ।, जिसके बाद हालांकि अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए सभी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया। अ करपी थाना क्षेत्र से संबंधित है मामला यह पूरा मामला करपी थाना क्षेत्र से संबंधित है। परिवादनी तनीषा सिंह ने अदालत में एक गंभीर परिवाद दाखिल किया था। तनीषा सिंह प्रदेश राजद सचिव रामाशीष सिंह रंजन और अरवल जिला मुखिया संघ अध्यक्ष अभिषेक रंजन की बहू हैं। पुलिस अधिकारियों पर गंभीर आरोप उन्होंने डीएसपी कृति कमल, करपी थानाध्यक्ष उमेश राम, राघव कुमार झा, प्रीति कुमारी और रोहित कुमार सहित अन्य अधिकारियों पर आपराधिक साजिश, महिला के साथ अभद्रता, लज्जा भंग, मारपीट, गंभीर चोट पहुँचाने तथा अन्य अमानवीय कृत्यों के आरोप लगाए हैं। भारतीय न्याय संहिता की कठोर धाराओं के तहत मुकदमा पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता अनिल कुमार शर्मा और आयुष रंजन के अनुसार, यह मुकदमा भारतीय न्याय संहिता की कई कठोर धाराओं—74, 115(2), 126(2), 351(2), 332, 333, 352, 331(3)(4)(5)(6), 330 और 190—के तहत चल रहा है। इन धाराओं में 10 वर्ष या उससे अधिक की सजा का प्रावधान है। परिवाद संख्या 336/2024 पर सुनवाई के बाद आदेश तनीषा सिंह द्वारा दायर परिवाद संख्या 336/2024 पर सुनवाई के बाद अदालत ने यह महत्वपूर्ण आदेश दिया है। पीड़ित पक्ष का कहना है कि यह आदेश पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही तय करेगा और न्यायपालिका पर जनता का भरोसा और मजबूत होगा।
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