अररिया में कड़ाके की ठंड और शीतलहर के बीच अलाव सेंकने के दौरान झुलसने की घटनाओं में वृद्धि हुई है। अररिया सदर अस्पताल में इन दिनों गंभीर रूप से झुलसे हुए मरीजों की संख्या बढ़ गई है, जिससे स्वास्थ्यकर्मी चिंतित हैं। अस्पताल कर्मियों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां लापरवाही के कारण लोग आग की चपेट में आ गए। सदर अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. आकाश कुमार ने इस बढ़ते रुझान पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे लोगों की लापरवाही का नतीजा बताया। कई लोग घर के अंदर ही जला लेते हैं अलाव डॉ. कुमार ने बताया कि कई लोग घर के अंदर ही अलाव जला लेते हैं या कपड़े सुखाने के लिए आग के बहुत करीब रख देते हैं, जिससे अचानक आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। सिंथेटिक कपड़े पहनकर अलाव सेंकना या बच्चों को बिना निगरानी के आग के पास छोड़ना भी इन दुर्घटनाओं की प्रमुख वजह बन रहा है। कार्बन मोनोऑक्साइड गैस का खतरा डॉक्टरों के अनुसार, अधिकांश मामले ग्रामीण क्षेत्रों से आ रहे हैं, जहां गरीबी और जागरूकता की कमी के कारण लोग बंद कमरों में अलाव जलाते हैं। इससे कार्बन मोनोऑक्साइड गैस का खतरा भी बढ़ जाता है, हालांकि मुख्य समस्या आग की लपटों से होने वाली चोटें हैं। वार्ड में मरीजों की संख्या बढ़ने से स्टाफ पर दबाव अस्पताल के बर्न वार्ड में मरीजों की संख्या बढ़ने से स्टाफ पर दबाव बढ़ गया है। कुछ गंभीर मामलों में मरीजों को बेहतर इलाज के लिए हायर सेंटर या अन्य बड़े अस्पतालों में रेफर करना पड़ रहा है। डॉ. आकाश कुमार ने लोगों से अपील की है कि अलाव हमेशा खुली जगह पर जलाएं। बच्चों और बुजुर्गों पर विशेष नजर रखें, कपड़ों को आग से दूर रखें और रात में सोते समय आग को पूरी तरह बुझा दें। उन्होंने जोर देकर कहा, “सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव है। छोटी लापरवाही बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है।”
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