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अयोध्या में 44वां रामायण मेला 24 से 27 नवंबर तक:मणिराम दास की छावनी में हुई बैठक में कार्यक्रम तय, CM को आमंत्रित किया जाएगा

राम नगरी अयोध्या में एक बार फिर धर्म, संस्कृति और अध्यात्म का संगम देखने को मिलेगा। आगामी 24 से 27 नवंबर 2025 तक 44वां रामायण मेला भव्य रूप से आयोजित किया जाएगा। इस आयोजन की तैयारियों को लेकर मणिराम दास की छावनी में गुरुवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इसकी अध्यक्षता रामायण मेला समिति के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास महाराज ने की। बैठक में मेले को ऐतिहासिक सांस्कृतिक और जनसंपर्क की दृष्टि से और अधिक प्रभावी बनाने के लिए विस्तृत चर्चा की गई। मेला संयोजक आशीष मिश्र ने कार्यक्रमों, बजट और व्यवस्थाओं की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि इस वर्ष रामायण मेला में धार्मिक प्रवचन, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, नाट्य मंचन और भक्ति संगीत कार्यक्रम प्रमुख आकर्षण रहेंगे। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मेले के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाएगा। वहीं, देशभर से संत-महात्माओं, विद्वानों और कलाकारों को आमंत्रित करने के लिए अलग-अलग टीमें गठित की जाएगी। महामंत्री कमलेश सिंह ने बताया कि समिति की चुनाव प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और नए पदाधिकारियों का चयन सर्वसम्मति से किया गया है। बैठक के दौरान पदाधिकारियों का चयन किया गया इस दौरान पदाधिकारियों को चयन किया गया। महंत नृत्य गोपाल दास को अध्यक्ष, जगद्गुरु रामानुजाचार्य डॉ. राघवाचार्य, जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी दिनेशाचार्य , डॉ. निर्मल खत्री को संरक्षक बनाया गया है। महंत जनमेजय शरण, महंत कमल नयन दास, स्वामी अवधेश दास, डॉ. सुनीता शास्त्री, नागा रामलखन दास, प्रो. वीएन अरोरा को उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। कमलेश सिंह को महामंत्री और सूर्य नारायण सिंह को संयुक्त महामंत्री बनाया गया है। कार्यक्रम के संयोजक आशीष मिश्र और कोषाध्यक्ष प्रभात टंडन को बनाया गया है। डॉ. जनार्दन उपाध्याय को संपादक (तुलसी दल पत्रिका) की जिम्मेदारी सौंपी गई है। शैलेन्द्र मोहन मिश्रा “छोटे”, महंत शरदपति त्रिपाठी, आलोक बंसल, श्रीनिवास शास्त्री, प्रभात शर्मा को भी समिति में स्थान दिया गया है। जिम्मेदारी निभाने को कहा गया संरक्षक डॉ. निर्मल खत्री ने सभी सदस्यों से अपील की कि वे अपनी भूमिका को जिम्मेदारी से निभाते हुए रामायण मेले को सफल बनाएं। बैठक में संरक्षक राजा विमलेन्द्र मोहन मिश्र के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया गया। उनके योगदान को याद करते हुए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर महंत जनमेजय शरण, डॉ. सुनीता शास्त्री, पेड़ा महाराज, आलोक बंसल, प्रभात शर्मा, सूर्य नारायण सिंह सहित कई प्रमुख सदस्य उपस्थित रहे।


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