जिस बच्चे को 13 साल की उम्र में बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला था, आज वही कोच बनकर पूरी टीम को चैंपियन बनने का मौका दे रहा है। कभी जो इंतजार उनका सबसे बड़ा दर्द था, वही अब उनकी पहचान बन गया है।
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