हरियाणा में करनाल के गांव संगोहा का 23 वर्षीय रजत पाल, आंखों में बड़े सपने लेकर अमेरिका गया था। अब कई रातों से ठीक से सो भी नहीं पा रहा। घर, प्लॉट, दुकान सब बिक गए। ऊपर से बैंक का 10 लाख रुपए का लोन सिर पर है। अमेरिका में सेटल होकर सब दोबारा बना लेगा, यह सोचकर रिस्क लिया था। सैकड़ों मील जंगल-नदियों के रास्ते से तकलीफें झेलकर पिछले साल 2 दिसंबर को डंकी रूट से अमेरिका में घुसा। उससे पहले एजेंट की फीस से लेकर अन्य खर्च मिलाकर 60 लाख रुपए स्वाहा हो गए। घुसते ही पकड़ा गया। 10 महीने कैंप में यातनाएं झेली। 29 अगस्त को डिपोर्ट की प्रक्रिया शुरू हो गई और 20 अक्टूबर को बेड़ियों के साथ भारत लौटा दिया गया। ये अकेले रजत की नहीं है बल्कि डिपोर्ट हुए हरियाणा के 54 युवाओं की कमोबेश ऐसी ही कहानी है। अवैध रूप से अमेरिका में घुसे युवाओं को अमेरिका की ट्रंप सरकार डिपोर्ट कर रही है। जनवरी से लेकर अब तक हरियाणा के 658 युवाओं को बेड़ियां पहनाकर लौटाया जा चुका है। इन्हीं युवाओं से दैनिक भास्कर एप ने बात करने का प्रयास किया। कई तो अभी भी डरे-सहमे हैं या सामाजिक शर्मिंदगी की वजह से ऑन कैमरा बात करने को तैयार नहीं। सिलसिलेवार पढ़ें, 8 महीने कैसे जंगलों-नदियों में भटके… फतेहाबाद की महिला को लौटाया, बेटा कैंप में फंसा
फतेहाबाद के साधनवास गांव की 41 वर्षीय जसवीर कौर भी डिपोर्ट होने वालों में हैं। हालांकि उनका 21 वर्षीय बेटा सिमरत अभी भी अमेरिका के एक कैंप में बंद है। मां-बेटा मई 2024 में कनाडा गए थे, जहां वे लगभग एक महीने तक रहे। इसके बाद उन्होंने किसी तरह अमेरिका में प्रवेश किया और वहां एक रेस्टोरेंट में काम करने लगे। उन्होंने अमेरिकी नागरिकता के लिए भी आवेदन किया था। ट्रंप सरकार बनने के बाद करीब दो-तीन महीने पहले अमेरिकी प्रशासन ने उन्हें पकड़ लिया और एक कैंप में भेज दिया। जमीन, गहने व पशु बेचकर जुटाए थे 70 लाख
जसवीर कौर मूल रूप से पंजाब के संगरूर जिले के मकोड़ साहिब की रहने वाली हैं। पति अवतार सिंह ने बताया कि मां-बेटे को विदेश भेजने के लिए उन्होंने अपनी 2 एकड़ जमीन में से लगभग 1.5 एकड़ जमीन, सोने-चांदी के आभूषण और पशु तक बेच दिए थे। इस पर कुल 70 लाख रुपए का खर्च आया था। परिवार अपने बेटे सिमरत के अभी भी अमेरिका में फंसे होने के कारण गहरी चिंता में है। अंबाला के हरजिंद्र के पैर सूजे, बेड़ियों की चुभन
अंबाला का 28 वर्षीय हरजिंद्र सिंह भी 35 लाख रुपए खर्च करके गया था। अमेरिका के फ्लोरिडा के जैक्सन वेल इलाके में कुक का काम मिला। हरजिंद्र बताते हैं कि जहाज में 25 घंटे बेड़ियों में बंधकर बिताए। हमें कैदियों की तरह बांधा गया। हाथों में हथकड़ियां, पैरों में बेड़ियां, कमर से एक मोटी चेन बंधी थी। 25 घंटे तक पूरा खाना-पीना भी नहीं मिला। अब न पैसे बचे न इज्जत। बेड़ियों की वजह से सूजे पैरों का चुभन मन में है।
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