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अमेरिका के डंकी रूट का खौफनाक VIDEO:कीचड़-कीड़े, सड़क पर सोना, कंटेनर में 40 लोग उकड़ू बैठाए; ₹50 लाख गंवाकर भी डिपोर्ट

डंकी रूट से अमेरिका जाने वाले 13 खौफनाक वीडियो सामने आए हैं। ये वीडियो हरियाणा में कुरुक्षेत्र के उमरी गांव के रहने वाले योगेश ने दैनिक भास्कर से बातचीत के बाद शेयर किए। योगेश एजेंट को 50 लाख रुपए देकर अवैध रूप से अमेरिका में घुसे थे। हालांकि, कुछ समय पहले वह डिपोर्ट होकर भारत लौट आए। वीडियो में दिख रहा है कि काफी संख्या में युवा जंगल से गुजर रहे हैं। उनके पैर में छाले पड़े हैं। कीड़े चल रहे हैं। युवा सड़कों के किनारे पर जमीन पर लेटकर रात गुजार रहे हैं। एक कंटेनर में 40-50 लोग भरे हैं। सभी को घंटों उकड़ू बैठना पड़ता था और सांस लेना भी मुश्किल था। डोंकरों की मिनी बसों में अवैध प्रवासी भरे हैं। कहीं उफनती नदी के बीच छोटी सी नाव में कई लोगों को डंकी लगवाई जा रही है। कुछ वीडियोज में महिलाएं व बच्चे भी दिखे। हालांकि सुनहरे सपने लेकर चल रहे युवा एक-दूसरे का हौसला बढ़ाने के लिए जोश दिखा रहे हैं, जबकि चेहरों पर थकान, आखों के नीचे काले घेरे साफ दिखा रहे हैं, वो वहां क्या झेल रहे थे। इनका सफर 168 दिन में तय हुआ। पहले 5 पॉइंट में जानिए योगेश की कहानी…उसके साथ क्या हुआ
अब जानिए…डंकी रास्ते में 168 दिन के खौफनाक सफर की कहानी पनामा से शुरू हुआ डरावना सफर
ब्राजील से उनको गाड़ी के जरिए पनामा के जंगल तक पहुंचाया गया। फॉर सीटर गाड़ी में 10 लोग बैठे थे। गाड़ी की खिड़कियां खोलने की इजाजत नहीं थी। रात को बचते-बचाते गाड़ी ने उनको पनामा के जंगल में छोड़ दिया। यहां उनको दूसरे डोंकर के हवाले कर दिया। इन डोंकर के पास पिस्टल से लेकर AK-47 थी। सुबह उठते ही डोंकर ने चेतावनी दी कि साथ होकर चलना पड़ेगा। किसी ने भागने की कोशिश की तो गोली मार देंगे। जंगल में टॉर्चर किया, दो दिन खाना व पानी नहीं
जंगल में टॉर्चर किया गया। 2 दिन तक खाना और पानी नहीं दिया गया। पनामा के जंगल में उनको 1 या 2 दिन बाद तभी खाना मिल पाता था, जब डोंकर लेकर आते थे। खाने में सिर्फ एक टाइम चावल मिलते थे। नहर और नदी से पानी भरकर पीते थे। नदी के पास बारिश में काटी 4 रातें
जंगल पार करने के बाद वे नदी पर पहुंचे थे, लेकिन यहां 4 दिन उनको बोट का इंतजार करना पड़ा। यहां रात को उनको छिपकर रहना पड़ा। 4 दिन तक लगातार बारिश होती रही। इस कारण नदी में अपने उफान पर थी और ठंड अपने चरम पर। ​​​​​​
रात में करवाई नदी पार
उनके पास ओढ़ने के लिए कोई कपड़ा नहीं था, जबकि पनामा जंगल में उनके बैग खाली करवा दिए थे। ठंड में उनकी हालत काफी खराब थी। 4 दिन के बाद आधी रात को अचानक उनकी बोट आई तो उनको आधी नींद से उठाकर बोट में बैठा दिया। करीब 6 घंटे में बारिश, ठंड और उफनती नदी को पार किया। कोस्टा रिका में पुराने कपड़े लिए
नदी पार करके और 60 किलोमीटर का पैदल सफर करने के बाद कोस्टारिका पहुंचे। यहां ठंड काफी ज्यादा थी। यहां पहुंचकर उसने एक स्टॉल से पुराने कपड़े खरीदे। 2-3 दिन के बाद उनको एक गाड़ी में ठूंसकर निकारागुआ पहुंचाया। 17 घंटे बैठे रहे उकड़ू
मेक्सिको से अमेरिका बॉर्डर तक पहुंचाने के लिए उनको छोटे कैंटर में बैठा दिया। इस कैंटर में 40 से 50 लोग थे। सबको कैंटर में बैठाकर कैंटर को बाहर से बंद कर दिया। यहां सबको उकड़ू बैठना पड़ा, क्योंकि कैंटर में इतने लोगों के लिए जगह ही नहीं थी। वे करीब 17 घंटे तक कैंटर में उकड़ू बैठे रहे। कैंटर में सांस लेना मुश्किल हो रहा था। 10 जनवरी 2025 को दीवार पार की
17 घंटे का दमघोंटू सफर तय करने के बाद उनको 10 जनवरी को सीढ़ी की मदद से दीवार पार करवा दी, लेकिन यहां उतरने ही उनको आर्मी ने पकड़ कर हिरासत में ले लिया। एक कटोरी में उबले हुए राजमा दिए जाते थे। करीब 8 महीने हिरासत में रहने के बाद उनको 11 सितंबर को डिपोर्ट करके इंडिया भेज दिया।


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