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अमेरिका की नई यात्रा नीति: ‘हत्यारे, जोंक’ कहने वाली मंत्री के तीखे बयान के बाद 30+ देशों पर गाज गिरेगी

अमेरिका में यात्रा प्रतिबंध को लेकर एक बार फिर कड़ा रुख सामने आया है। मौजूद जानकारी के अनुसार अमेरिकी गृह सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम ने बताया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाला प्रशासन मौजूदा 19 देशों की सूची को बढ़ाकर 30 से अधिक देशों तक ले जाने की तैयारी में है। गौरतलब है कि नोएम ने सटीक संख्या और देशों के नाम बताने से इंकार किया, लेकिन यह स्पष्ट किया कि सूची 30 के आंकड़े से ऊपर जा रही है और राष्ट्रपति लगातार समीक्षा कर रहे हैं।
बता दें कि जून 2025 में जारी किए गए एग्ज़िक्यूटिव ऑर्डर के तहत अफ्रीका, मध्य पूर्व और कैरेबियन क्षेत्र के 19 देशों से प्रवेश पर रोक लगाई गई थी। इन देशों पर वेटिंग क्षमता की कमी, वीज़ा ओवरस्टे और ‘वापस आने’ में जटिलताओं को मुख्य कारण माना गया था। अब प्रशासन इस नीति को और कड़ा कर रहा है, जिसमें उन देशों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जिनकी सरकारें स्थिर नहीं मानी जातीं और जो यात्रियों की सही पहचान व सुरक्षा जांच में सक्षम नहीं हैं।
संदर्भ के तौर पर यह भी उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर 2025 को व्हाइट हाउस के पास हुई गोलीबारी में एक नेशनल गार्ड सदस्य की मौत और दूसरे के घायल होने के बाद सुरक्षा एजेंसियों पर दबाव और बढ़ा है। मौजूद रिपोर्टों के अनुसार हमलावर अफगान मूल का व्यक्ति था, जो 2021 में अमेरिका आया और उसे अप्रैल 2025 में शरण दी गई थी। इसी घटना ने ट्रंप प्रशासन को पिछले वेटिंग ढांचे और सुरक्षित प्रवेश नीति की पुनः जांच की दिशा में धकेला है।
गौरतलब है कि हाल ही में नोएम के तीखे बयान जिनमें उन्होंने कुछ देशों से आने वालों को “हत्यारे, जोंक और जंक ” कहकर कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया था ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना को जन्म दिया था। फिर भी प्रशासन की समीक्षा प्रक्रिया जारी है और राष्ट्रपति ने संकेत दिए हैं कि “तीसरी दुनिया के देशों” के लिए स्थायी प्रतिबंध भी विकल्पों में शामिल हैं।
फिलहाल व्हाइट हाउस या गृह सुरक्षा विभाग की ओर से सूची जारी होने की तारीख और विस्तृत मानदंड साझा नहीं किए गए हैं, लेकिन अधिकारियों का मानना है कि यह कदम सीमा सुरक्षा, प्रवास नियंत्रण और राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के अगले चरण का संकेत देने वाला है। नीति का स्वरूप कैसा होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन वैश्विक आवाजाही पर इसका प्रभाव गहरा होने की आशंका पहले ही जताई जा चुकी है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर नज़र बनाए हुए हैं।


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