राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने बुधवार को कहा कि ‘वंदे मातरम्’ सिर्फ मातृभूमि की रक्षा करने के फर्ज के बारे में नहीं बल्कि अत्याचार का विरोध करने के बारे में भी है।
‘वंदे मातरम्’ की रचना के 150 साल पूरे होने पर राज्यसभा में हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए निर्दलीय सदस्य सिब्बल ने कहा कि अंग्रेजों के राज में आजादी के दीवानों को आतंकवादी कहा जाता था और ‘वंदे मातरम्’ उनका नारा था।
उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग अंग्रेजी सत्ता के ख़िलाफ़ लड़ रहे थे उन्हें आतंकवादी कहा जाता था। उन्हें क्यों ऐसा कहा जाता था? क्योंकि वे अपने हक़ के लिए लड़ रहे थे। आज हमारे छात्र आतंकवादी बन गए हैं। हमारे पत्रकार आतंकवादी बन गए हैं। उन पर यूएपीए लगाया गया है। वे लड़ रहे हैं। उनकी लड़ाई कौन लड़ेगा? सत्ता पक्ष के लोग उनके लिए नहीं लड़ेंगे।”
उन्होंने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि सत्तारूढ़ पार्टी ‘वंदे मातरम्’ की बात कर रही है, जो कथित तौर पर रोज लोगों पर अत्याचार करती है।
सिब्बल के भाषण के बाद भाजपा सदस्य राम चंद्र जांगड़ा ने इस बात पर आपत्ति जतायी कि निर्दलीय सदस्य सिब्बल सदन में आते या जाते समय आसन को नमन नहीं करते।
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