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अदालतों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को गति देने की तैयारी:सबसे पहले चैट जीपीटी का संदर्भ लेने वाले जज को कमेटी से जोड़ा, 2023 में दिया था फैसला

देश में न्यायिक आदेश में पहली बार चैट जीपीटी का संदर्भ लेने वाले पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जज जस्टिस अनूप चितकारा को सुप्रीम कोर्ट की दोबारा गठित AI कमेटी में शामिल किया गया है। यह कमेटी भारत के चीफ जस्टिस सूर्यकांत की पहल पर न्यायपालिका के आधुनिकीकरण के उद्देश्य से बनाई गई है। इसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पी एस नरसिम्हा करेंगे। अन्य सदस्य एमपी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा, केरल कोर्ट के जस्टिस राजा विजया राघवन वी के और कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस सूरज गोविंद राज हैं। कमेटी कार्यप्रणाली को तेज करने के उपाय सुझाएगी
कमेटी अदालतों की कार्यप्रणाली को तेज, पारदर्शी व अधिक कुशल बनाने के उपाय सुझाएगी। कमेटी डिजिटल केस मैनेजमेंट, आटोमैटिक शेड्यूलिंग, दस्तावेज प्रबंधन में सुधार, डेटा आधारित वर्क फ्लो सिस्टम, मुकदमा दारों के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाने की दिशा में काम करेगी। कमेटी का उद्देश्य एआई टूल्स के विकास को गति देना
दोबारा गठित कमेटी का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट व अधीनस्थ अदालतों में एआई टूल्स के विकास, तैनाती को गति देना है। कमेटी एआई संचालित न्यायिक सुधारों की रणनीतिक दिशा तय करेगी। सभी तकनीकी पहलुओं की समीक्षा करेगी। इस तरह एआई से न्यायपालिका में बदलाव की तैयारी की जा रही है। चैट जीपीटी का उपयोग पहली बार जस्टिस चितकारा ने किया
देश में चैट जीपीटी का पहली बार इस्तेमाल पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जस्टिस अनूप चितकारा ने किया था। उन्होंने 2023 में एक जमानत आदेश में पहली बार AI टेक्स्ट जेनरेटर का संदर्भ लिया था। क्रूरता से जुड़े हमले के आरोप संबंधी मामले में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय न्यायशास्त्र की तुलना के उद्देश्य से चैट जीपीटी से सवाल पूछा था कि ऐसी परिस्थितियों में अन्य देशों में जमानत मानदंड कैसे निर्धारित होते हैं। जस्टिस चितकारा ने यह भी स्पष्ट किया था कि चैट जीपीटी का संदर्भ विश्व में प्रचलित कानूनी दृष्टिकोण को समझने का प्रयास था। ———— AI से जनरेट फर्जी फैसले कोर्ट में रखे जा रहे, सुप्रीम कोर्ट के जज बोले-युवा वकील इससे सावधान रहें सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस राजेश बिंदल ने कहा है कि भारत और अमेरिका में कुछ युवा वकील AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) टूल्स से कोर्ट के फर्जी फैसले खोज कर अदालत में पेश कर रहे हैं उन्होंने कहा कि कई बार युवा वकील AI पर सिर्फ दो-तीन शब्द डालकर सर्च करते हैं और जो भी फैसला सामने आता है। पूरी खबर पढ़ें…


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