भास्कर न्यूज | खगड़िया.. जिले में रबी फसल की बुआई रफ्तार इस बार बेहद धीमी रही है। एक लाख हेक्टेयर बुआई का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब तक केवल 36,096 हेक्टेयर में ही खेती हो सकी है। कृषि विभाग के आंकड़े के मुताबिक महज 36 प्रतिशत भूमि पर ही 20 दिसंबर तक खेती हो पाई है, जबकि 64 हजार हेक्टेयर भूमि अब भी बिना बुआई के पड़ी है। रबी मौसम में मुख्य रूप से किसान मक्का तथा गेहूं की खेती अधिक करते रहे हैं। लेकिन इस साल अन्य फसलों के साथ- साथ इन दोनों फसलों की बुआई की रफ्तार भी काफी धीमी रही है। जानकारी के मुताबिक लक्ष्य के विरुद्ध गेहूं की बुआई 35 तथा मक्का की रोपनी 36 प्रतिशत हुई है.कुल मिलाकर रबी फसल की बुआई की रफ्तार निराशाजनक रही है।कृषि वैज्ञानिक निरंजन हजारी ने रबी बुआई की धीमी रफ्तार को देखते हुए किसानों को अहम सलाह दी है। उन्होंने कहा कि जिन खेतों में अब भी पानी भरा हुआ है या नमी अधिक बनी हुई है, वहां जल्दबाजी में लेट बुआई करना किसानों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। निरंजन हजारी के अनुसार, देर से की गई बुआई से फसलों का उत्पादन प्रभावित होता है और किसानों को अपेक्षित उपज नहीं मिल पाती। ऐसे में बेहतर होगा कि किसान थोड़ा धैर्य रखें और खेतों से पानी निकलने के बाद गरमा फसलों की योजना बनाएं। उन्होंने बताया कि गरमा मौसम में उड़द, मूंग, मक्का और सूर्यमुखी जैसी फसलें अच्छा विकल्प हो सकती हैं। समय पर सही फसल का चयन करने से किसान नुकसान से बच सकते हैं और बेहतर आमदनी हासिल कर सकते हैं। इन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में समझदारी भरा निर्णय ही किसानों के हित में होगा। खेत की स्थिति देखकर ही बुआई करें। अलौली प्रखंड में सबसे अधिक बुआई हुई है। अलौली में 19,788 हेक्टेयर का लक्ष्य था, जिसमें 14,059 हेक्टेयर भूमि में ही फसल बोई जा सकी, यानी 71 प्रतिशत। वहीं परबत्ता प्रखंड में स्थिति सबसे खराब रही। यहां 11,723 हेक्टेयर का लक्ष्य था, लेकिन केवल 1,184 हेक्टेयर भूमि में ही बुआई हो पाई, यानी मात्र 10 प्रतिशत। यह आंकड़ा 20 दिसंबर तक का है. जल-जमाव बना बड़ी चुनौती इस साल बारिश काफी अधिक हुई है। दुर्गा पूजा के दौरान भी जिले में लगातार बारिश हुई, जिसके कारण निचले इलाकों में पानी जम गया और बाढ़ फैल गई। अभी भी बहुत से खेतों में बारिश का पानी और नमी बनी हुई है, जिसके कारण हजारों हेक्टेयर भूमि पर रबी फसल की बुआई नहीं हो सकी। किसानों का कहना है कि लगातार जल-जमाव ने बुआई में बाधा डाल दी है। कई जगह खेतों में पानी जमा होने के कारण जमीन तैयार करना भी मुश्किल हो गया है। बुवाई अब अंतिम चरण में कृषि विशेषज्ञों के अनुसार रबी फसलों की उन्नत बुवाई अवधि गेहूं: 15 नवंबर से 15 दिसंबर जौ: 10 नवंबर से 30 नवंबर चना: 15 अक्टूबर से 30 नवंबर सरसों/राई: 1 अक्टूबर से 15 नवंबर मक्का (रबी): 15 अक्टूबर से 30 नवंबर
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