अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के मौके पर पटना के ज्ञान भवन में दो दिवसीय राज्यस्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आज दिन भर दिव्यांग कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। इस दौरान बेहतर प्रदर्शन करने वाले दिव्यांगों को सम्मानित भी किया गया। इसके साथ ही उन दिव्यांगजनों को भी सम्मानित किया जाएगा, जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शानदार उपलब्धियां हासिल की हैं। समाज कल्याण विभाग की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में पूरे बिहार से दिव्यांगजन और संस्थाएं शामिल हुए। दिव्यांगों ने सराहना के साथ उठाया सवाल कार्यक्रम में शामिल हुए दिव्यांगों ने सरकार के कामों को सराहते हुए कहा कि समाज कल्याण विभाग ने आश्वासन दिया है कि जो स्कूल दिव्यांगों के लिए 8वीं तक है, उसे 12वीं तक किया जाएगा। साथ ही कॉलेज जाने वाले सभी दिव्यांगों को स्कूटर दिया जाएगा, जो सराहनीय है। साथ ही सवाल खड़ा करते हुए दिव्यांगों ने कहा कि अंत्योदय योजना के अंतर्गत दिए जाने वाले अनाज दिव्यांगों तक नहीं पहुंच रहा है। वहीं, दानापुर आंचल में रोजमर्रा के काम दिव्यांगों को नहीं पूरा किया जा रहा है, जिससे दिव्यांगों में निराशा है। सरकार इसे सक्रियता के साथ देखें। दिव्यांगों के लिए लगाए गए 24 अलग अलग स्टॉल कार्यक्रम में विभाग, विशेष विद्यालयों, बुनियाद केंद्रों, ALIMCO, CRC, UNICEF और कई एनजीओ ने मिलकर कुल 24 स्टॉल लगाए। इन स्टॉलों पर दिव्यांगजनों की बनाई गई चीजों को प्रदर्शित की गईं और उनकी बिक्री भी हुई। विभागीय स्टॉल पर योजनाओं की जानकारी दी गई और कई लोगों की छोटी–बड़ी समस्याओं का मौके पर समाधान भी किया गया। 700 से ज्यादा दिव्यांग बच्चों ने जमाया रंग पेंटिंग, कैरम, लूडो, गायन, नृत्य, फैशन शो और नाइट-इन सभी प्रतियोगिताओं में 700 से ज्यादा दिव्यांग बच्चों ने हिस्सा लिया। वहीं, दिव्यांगजनों के समाज में समावेशन पर विशेषज्ञों ने बात की। नेत्रहीन गायक घुरहू प्रजापति और बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने माहौल को और भी खुशनुमा बना दिया। इस साल का थीम—दिव्यांगता समावेशन पर फोकस इस बार दिव्यांगजन दिवस का थीम है— “Fostering disability inclusive societies for advancing social progress” यानी सामाजिक प्रगति के लिए ऐसा समाज बनाना, जिसमें दिव्यांगजन पूरी तरह शामिल हों। कार्यक्रम में वंदना प्रेयसी ने कहा कि ‘दिव्यांगजन सिर्फ सहानुभूति नहीं, बल्कि बराबरी का हक और सम्मान चाहते हैं। समाज और सरकार दोनों को मिलकर ऐसा वातावरण बनाना होगा।’
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