रूस, अमेरिका से ब्रिटेन तक…6 देशों का सीधा सपोर्ट फिर UNSC में भारत को क्यों नहीं मिल पा रहा वीटो पावर?
भारत समय के साथ वैश्विक स्तर पर अहम भूमिका निभा रहा है. दुनिया के कई देश भारत की प्रतिभा को पहचान रहे हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध में भी शांति वार्ता को लेकर देश अहम रोल निभा रहा है. इस बीच कई देश अब इस समर्थन में आ गए हैं कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का प्रमानेंट सदस्य बनाया जाए.
हाल ही में रूस, भूटान, मॉरीशस, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका और खुद संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इस बात का समर्थन किया है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए. यह जानने से पहले की भारत को स्थायी सदस्यता क्यों नहीं मिली है. यह जानना जरूरी है कि सुरक्षा परिषद क्या है.
क्या है संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यूएन का सबसे शक्तिशाली अंग है. इसका काम है, दुनिया में शांति और सुरक्षा बनाए रखना, युद्ध और संघर्ष को रोकना, अंतरराष्ट्रीय विवादों को हल करना, जरूरत पड़ने पर प्रतिबंध (Sanctions) या सैन्य कार्रवाई की अनुमति देना.
सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य देश होते हैं. जिसमें से 5 स्थायी सदस्य (Permanent Members) होते हैं. यह स्थायी सदस्य अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन हैं. इन्हें वीटो पावर (Veto Power) होती है यानी अगर इनमें से कोई एक भी “ना” कह दे तो प्रस्ताव पास नहीं हो सकता.
वहीं, परिषद में 10 अस्थायी सदस्य (Non-Permanent Members) होते हैं. इनका चुनाव 2 साल के लिए किया जाता है और ये बदलते रहते हैं. भारत भी परिषद का अस्थायी सदस्य ही है.
परिषद की क्या हैं शक्तियां
किसी देश पर प्रतिबंध लगाना (जैसे आर्थिक, राजनीतिक, सैन्य)
शांति मिशन भेजना (Peacekeeping Forces) जरूरत पड़ने पर सैन्य बलों की मंजूरी देना. किसी देश या नेता को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) में भेजने की सिफारिश करना.
रूस ने किया स्पोर्ट
इस बीच अब तक कई देश भारत को परिषद का स्थायी सदस्य बनाने का समर्थन कर रहे हैं. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि UNSC में सुधार जरूरी है क्योंकि आज का वैश्विक संतुलन 80 साल पहले (UN की स्थापना के समय) जैसा नहीं है. रूस ने भारत और ब्राजील की स्थायी सदस्यता (Permanent Seat) की उम्मीदवारी का समर्थन किया.
मॉरीशस- भूटान ने किया समर्थन
मॉरीशस के विदेश मंत्री धनंजय रामफुल ने कहा कि भारत अब “एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी” बन चुका है और उसे स्थायी सीट मिलनी चाहिए. भूटान के प्रधानमंत्री त्शेरिंग तोबगे ने भी कहा कि भारत और जापान जैसे देशों को शामिल करना चाहिए.
फ्रांस
फ्रांस ने एक बार फिर भारत, जर्मनी, ब्राजील और जापान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के स्थायी सदस्य बनाने का समर्थन किया है. उसने कहा कि परिषद का ढांचा ऐसा होना चाहिए जिसमें नई उभरती ताकतों को शामिल किया जाए, जो स्थायी सदस्यता की जिम्मेदारी उठाने के लिए इच्छुक और सक्षम हैं.
संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस की उप स्थायी प्रतिनिधि नाथाली ब्रॉडहर्स्ट ने इसको लेकर शुक्रवार को कहा, फ्रांस की स्थिति स्थिर और प्रसिद्ध है. हम चाहते हैं कि परिषद आज की दुनिया का बेहतर प्रतिनिधित्व करे, ताकि उसकी अधिकारिता और प्रभावशीलता और मजबूत हो. उन्होंने आगे कहा, हमें असल में उन नई उभरती शक्तियों को ध्यान में रखना चाहिए, जो सुरक्षा परिषद में स्थायी उपस्थिति की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार और सक्षम हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि एक परिषद में 25 तक सदस्य हो सकते हैं.
अमेरिका
अमेरिका ने भी भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता के लिए अपना समर्थन जताया है. साल 2022 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि अमेरिका भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करता है.
G-4 देश
ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान- एक-दूसरे का UNSC की स्थायी सीटों के लिए लगातार समर्थन कर रहे हैं.
UN ने किया स्पोर्ट
UN महासचिव गुटेरेस ने कहा कि भारत को स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए और UNSC में सुधार की जरूरत है.
कहां फंसा है पेंच
अब इसको लेकर बात कर लेते हैं कि आखिर भारत को स्थायी सदस्य बनाने में कहां पेंच फंस रहा है. साल 2024 में इसको लेकर राज्यसभा में सवाल पूछा गया था. अब्दुल वहाब ने विदेश मंत्री से पूछा था कि भारत के UNSC स्थायी सदस्य बनने की मौजूदा स्थिति क्या है? पिछले तीन सालों में सरकार ने इस दिशा में क्या प्रयास किए हैं?
इस पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने जवाब दिया था. उन्होंने कहा था, भारत के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की स्थायी सदस्यता प्राप्त करना सर्वोच्च प्राथमिकता है. भारत का मानना है कि उसके पास सभी योग्यताएं और क्रेडेंशियल्स हैं ताकि वो एक विस्तारित और इंप्रूव्ड (expanded and improved) UNSC का स्थायी सदस्य बन सके.
भारत लगातार द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तर पर इस दिशा में एक्टिव है. भारत Inter-Governmental Negotiations (IGN) में एक्टिव रूप से भाग ले रहा है. भारत G-4 समूह (भारत, जापान, ब्राज़ील, जर्मनी) और L.69 समूह (एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के विकासशील देशों का समूह) के साथ मिलकर सदस्य देशों का समर्थन जुटा रहा है. साथ ही, भारत Global South के देशों के साथ भी लगातार बातचीत कर रहा है.
UNSC में सुधार करने के लिए UN चार्टर में संशोधन करना जरूरी है. UN चार्टर का आर्टिकल 108 कहता है कि कोई भी संशोधन तभी लागू होगा जब महासभा के दो-तिहाई सदस्य उसे मंजूरी दें, और सभी P5 स्थायी सदस्यों सहित दो-तिहाई सदस्य उसे ratify करें. यानी, किसी एक स्थायी सदस्य (P5) के विरोध से भी यह प्रक्रिया रुक सकती है. जहां हम यह समझ चुके हैं कि किसी एक स्थायी सदस्य के विरोध से यह प्रक्रिया रुक सकती है. वहीं, चीन भी मुश्किल बन रहा है. चीन स्थायी सदस्य है और चीन नहीं चाहता कि भारत को स्थायी सदस्यता और वीटो पावर दोनों मिलें, क्योंकि इससे एशिया में भारत का प्रभाव बढ़ जाएगा.
भारत का पक्ष
भारत लंबे समय से कहता आ रहा है कि UNSC की वर्तमान संरचना (1945 की) आज की वास्तविकताओं को नहीं सामने रखती है. UNSC में अभी पांच स्थायी सदस्य (P5) हैं अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस. लेकिन इनमें न तो कोई अफ्रीकी देश है और न ही लैटिन अमेरिका/दक्षिण एशिया का प्रतिनिधित्व है. इसलिए, भारत का तर्क है कि उसकी जनसंख्या, अर्थव्यवस्था, शांति अभियानों (UN Peacekeeping) और वैश्विक भूमिका को देखते हुए, उसे स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए.
भारत UN Security Council (UNSC) का स्थायी सदस्य तो नहीं है, लेकिन कई बार अस्थायी सदस्य (Non-Permanent Member) रह चुका है.
अब तक भारत की सदस्यता-
- भारत कुल 8 बार अस्थायी सदस्य चुना जा चुका है
- 19501951
- 19671968
- 19721973
- 19771978
- 19841985
- 19911992
- 20112012
- 20212022
यानि आज तक भारत ने 8 कार्यकाल (terms) पूरे किए हैं. भारत लगातार स्थायी सदस्यता (Permanent Seat) की मांग भी कर रहा है, खासकर G4 देशों (भारत, जर्मनी, जापान, ब्राजील) के साथ मिलकर.
क्या भारत को मिलेगा वीटो पावर
वीटो पावर काफी अहम पावर है. अगर भारत सदस्य बन भी गया तब भी यह तय नहीं है कि उसको वीटो पावर मिलेगा या नहीं. वीटो पावर सिर्फ P5 के पास है. अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन इन पांच देशों के पास ही वीटो पावर है. मतलब वे किसी भी बड़े प्रस्ताव को रोक सकते हैं.
नए सदस्यों पर असहमति
कुछ देश मानते हैं कि नए स्थायी सदस्यों को वीटो नहीं देना चाहिए, वरना UNSC और भी जटिल हो जाएगा. कुछ देश कहते हैं कि अगर स्थायी सीट मिले तो वीटो भी मिलना चाहिए, वरना सदस्यता अधूरी होगी. भारत चाहता है कि अगर वह स्थायी सदस्य बने तो बराबरी का दर्जा मिले, यानी वीटो पावर भी मिले.
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