बगराम एयरबेस पर क्यों है अमेरिका की नजर? कैसे यह चीन-भारत के लिए भी बन गया है खास

बगराम एयरबेस पर क्यों है अमेरिका की नजर? कैसे यह चीन-भारत के लिए भी बन गया है खास

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान को चेतावनी दी कि अगर उसने बगराम एयरबेस अमेरिका को वापस नहीं किया, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे, लेकिन अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने ट्रंप की धमकी को मानने से इनकार कर दिया है. इससे दुनिया की सियासत में गतिविधियां बढ़ गयी हैं. अमेरिकी सेना ने 2021 में अफगानिस्तान से अपनी वापसी से पहले इस बेस को खाली कर दिया था. उसके बाद अब अमेरिका की इस एयरबेस पर फिर से नजर गड़ाए हुए है और इसे वापस पाने की पूरी कोशिश कर रहा है.

इस बीच अन्य घटनाक्रम में भारत तालिबान, पाकिस्तान, चीन और रूस के साथ मिलकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अफगानिस्तान स्थित बगराम एयरबेस पर कब्जा करने के प्रयास का विरोध किया है. यह घटना तालिबान शासित अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की इस सप्ताह के अंत में होने वाली निर्धारित यात्रा से कुछ दिन पहले हुई है.

जानें क्यों खास है बगराम एयरबेस

बगराम एयरबेस, जिसके दो कंक्रीट रनवे हैं. इनमें एक 3.6 किमी और दूसरा 3 किमी लंबा है. यह काबुल से लगभग 50 किमी दूर स्थित है. अफगानिस्तान का ऊबड़-खाबड़, पहाड़ी इलाका इसके हवाई क्षेत्र को नियंत्रित करना मुश्किल बनाता है, जहां बड़े सैन्य विमानों और हथियारवाहक जहाजों के उतरने के लिए उपयुक्त जगहें कम ही हैं. ऐसे में यह एयरबेस काफी अहम है.

Bagram Airbase 1

बगराम एयरबेस, अफगानिस्तान का सबसे बड़ा एयरबेस है. ऐसे ही कुछ एयरबेसों में से एक है, जो इसे एक रणनीतिक गढ़ बनाता है. इसने 2001 के बाद अमेरिका के “आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध” में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

यह प्रांत एक रणनीतिक प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है, जहां 2.6 किलोमीटर लंबी सालंग सुरंग काबुल को मजार-ए-शरीफ और अन्य उत्तरी शहरों से जोड़ती है.

1950 के दशक में सोवियत संघ ने करवाया था निर्माण

इसके अलावा, परवान से राजमार्ग काबुल को दक्षिण में गजनी और कंधार और पश्चिम में बामियान से जोड़ते हैं, जिससे यह अफगानिस्तान की कनेक्टिविटी और नियंत्रण का केंद्र बन जाता है.

इस बेस का निर्माण 1950 के दशक में सोवियत संघ द्वारा किया गया था और शीत युद्ध तथा सोवियत-अफगान युद्ध (1979-1989) के दौरान इसकी प्रमुखता बढ़ी.

Bagram Airbase2

2001 में अमेरिका के नेतृत्व में अफगानिस्तान पर आक्रमण के बाद, बगराम अमेरिकी सेनाओं का मुख्य संचालन केंद्र बन गया, जिसने आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध के दौरान रसद, खुफिया और कमान केंद्र के रूप में कार्य किया. सामरिक महत्व: अमेरिकी सेनाओं की वापसी के बावजूद, बगराम का सामरिक महत्व अभी भी बहुत अधिक है.

चीन और तालिबान के बीच बढ़ती नजदीकियां

इसकी स्थिति क्षेत्रीय गतिशीलता पर एक महत्वपूर्ण नजर रखती है. चीन द्वारा तालिबान के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के साथ, इस एयरबेस की भूमिका नई प्रासंगिकता प्राप्त करती है.

चीन और तालिबान के बीच बढ़ती नजदीकी के कारण यह बगराम एयरबेस नई भू-राजनीतिक प्रासंगिकता रखता है. बगराम की स्थिति संवेदनशील चीनी परमाणु स्थलों के करीब है. लोप नूर परीक्षण स्थल (झिंजियांग) लगभग 2,000 किमी दूर और कोको नूर परमाणु केंद्र (क़िंगहाई प्रांत) भी अपेक्षाकृत नजदीक है. इस सामरिक स्थिति के कारण बगराम बेस क्षेत्रीय शक्ति संतुलन का अहम केंद्र बना हुआ है.

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री की भारत यात्रा से क्या कनेक्शन

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी इस सप्ताह के अंत में भारत की यात्रा करने वाले हैं, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उन्हें 9 से 16 अक्टूबर तक नई दिल्ली की यात्रा करने की अनुमति दे दी है. चूंकि मुत्ताकी प्रतिबंधित व्यक्तियों की सूची में हैं , जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1988 (2011) के तहत तालिबान नेताओं पर भी लागू होता है , इसलिए उन्हें मंजूरी की आवश्यकता थी.

Bagram Airbase3

दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय देशों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ अफगानिस्तान के आर्थिक और व्यापारिक आदान-प्रदान और निवेश सहयोग के विकास की आवश्यकता पर जोर दिया. दोनों देशों ने संयुक्त वक्तव्य में कहा गया, “उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान को क्षेत्रीय संपर्क प्रणाली में सक्रिय रूप से शामिल करने का समर्थन किया.” यह वक्तव्य भारत के दृष्टिकोण से अमेरिका के लिए एक संदेश था, जिसने ईरान के चाबहार बंदरगाह पर प्रतिबंधों में दी गई छूट हटा ली है, जिसका इस्तेमाल दिल्ली से अफगानिस्तान तक पहुंचने के लिए किया जाता था.

इसमें कहा गया कि दोनों पक्षों ने अफगान लोगों को मानवीय सहायता जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अफगानन लोगों को आपातकालीन मानवीय सहायता प्रदान करने में तेजr लाने का आह्वान किया, साथ ही इसके राजनीतिकरण के प्रयासों का विरोध करने की भी पुष्टि की.

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