दोबारा नहीं बनेगी 200 साल पुरानी तकिया मस्जिद, MP हाई कोर्ट ने खारिज की मुस्लिम पक्ष की याचिका
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने उज्जैन स्थित तकिया मस्जिद को दोबारा बनाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है. लगभग 200 साल पुरानी इस मस्जिद को प्रशासन ने महाकाल लोक परियोजना के विस्तार के दौरान भूमि अधिग्रहण के बाद ध्वस्त किया था. मुस्लिम समुदाय से जुड़े मोहम्मद तैयब सहित 13 याचिकाकर्ताओं ने इस कार्रवाई को असंवैधानिक बताते हुए पुनर्निर्माण और जांच की मांग की थी.
न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी की पीठ ने 7 अक्टूबर को यह निर्णय सुनाते हुए कहा कि संविधान नागरिकों को धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता देता है, लेकिन यह अधिकार किसी विशेष स्थान से जुड़ा नहीं है. अदालत ने स्पष्ट किया कि धार्मिक आस्था को बनाए रखने का अधिकार व्यक्ति के घर या किसी अन्य स्थान पर भी समान रूप से लागू होता है.
यह मस्जिद वक्फ संपत्ति
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सैयद अशहर अली वारसी ने दलील दी थी कि यह मस्जिद वक्फ संपत्ति है, जिसे 1985 की राजपत्र अधिसूचना में दर्ज किया गया था. उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्ति को हमेशा के लिए धार्मिक उपयोग के लिए ही रखा जा सकता है, इसलिए इसका अधिग्रहण और विध्वंस संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन है, जो धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देते हैं.
भूमि अधिग्रहण में कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद सोनी ने इन तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि प्रशासन ने भूमि अधिग्रहण की पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन किया है और प्रभावित पक्षों को मुआवजा भी दिया गया. उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक पूर्व निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि अगर किसी धार्मिक स्थल की भूमि सार्वजनिक परियोजना के लिए अधिग्रहित होती है तो उससे पूजा का अधिकार समाप्त नहीं होता, क्योंकि व्यक्ति को अपने धर्म का पालन किसी अन्य स्थान पर करने की स्वतंत्रता बनी रहती है.
हाई कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि अधिग्रहण प्रक्रिया वैधानिक थी और इसके तहत मुआवजा वितरण भी विधिसम्मत रूप से किया गया. न्यायालय ने यह दोहराया कि धर्म का पालन किसी विशिष्ट स्थल पर निर्भर नहीं करता. अतः मस्जिद के ध्वस्तीकरण से धार्मिक अधिकारों का हनन नहीं माना जा सकता.
महाकाल लोक परिसर के लिए हुआ था अधिग्रहण
अधिकारियों के अनुसार, उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के आसपास बने महाकाल लोक परिसर में पार्किंग और अन्य सुविधाओं के विस्तार के लिए यह भूमि अधिग्रहण किया गया था. तकिया मस्जिद उसी क्षेत्र में आती थी, जिसे 11 जनवरी को विधिसम्मत प्रक्रिया के बाद हटाया गया. उज्जैन, जो भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, वहां रोजाना हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
इस फैसले के साथ अदालत ने यह संदेश दिया कि सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए किए गए वैधानिक भूमि अधिग्रहण में धार्मिक संरचनाओं को लेकर संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता. अदालत के अनुसार, संविधान धर्म की स्वतंत्रता तो देता है, लेकिन उसे किसी विशिष्ट स्थान से नहीं जोड़ा जा सकता.
Curated by DNI Team | Source: https://ift.tt/JBx4wki
Leave a Reply