दारुल उलूम देवबंद में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री को देखने उमड़ी भीड़, टूटा सुरक्षा घेरा; बिना स्पीच दिए वापस लौटे दिल्ली
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी सात दिवसीय भारत यात्रा पर हैं. शनिवार को वह दारुल उलूम देवबंद का दौरा करने पहुंचे, लेकिन भीड़ और सुरक्षा में बदइंतजामी के चलते उनका तय भाषण कार्यक्रम रद्द करना पड़ा. मुत्ताकी को दारुल उलूम में करीब पांच घंटे रुकना था, लेकिन वे ढाई घंटे पहले ही दिल्ली के लिए रवाना हो गए.
अफगान विदेश मंत्री मुत्ताकी का देवबंद पहुंचने पर फूल बरसाकर गर्मजोशी से स्वागत किया गया. दारुल उलूम परिसर में हजारों की संख्या में छात्र और स्थानीय लोग उन्हें देखने और सुनने के लिए उमड़ पड़े.
भीड़ इतनी बढ़ गई कि सुरक्षा घेरा टूट गया और पुलिस को छात्रों को पीछे हटाने के लिए धक्का-मुक्की करनी पड़ी. इस दौरान गार्ड ऑफ ऑनर भी नहीं दिया जा सका.
मुत्ताकी का मुख्य भाषण दारुल उलूम की लाइब्रेरी हॉल में होना था, लेकिन अफरातफरी और सुरक्षा कारणों से आखिरी समय में इसे रद्द करना पड़ा. दोपहर बाद वे सड़क मार्ग से दिल्ली लौट गए.
महिला पत्रकारों की एंट्री पर विवाद
इससे पहले, दिल्ली स्थित अफगान एंबेसी में हुई मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को अनुमति नहीं दी गई थी कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारत में हमारे ही देश की सक्षम महिला पत्रकारों का इस तरह अपमान कैसे होने दिया गया. अरशद मदनी ने कहा कि जो हुआ ठीक नहीं हुआ लेकिन ऐसा जान कर नहीं किया गया होगा .
इस बीच मुत्ताकी ने कहा कि भारत-अफगानिस्तान के रिश्तों का भविष्य उज्ज्वल है. देवबंद पहुंचने पर मुत्ताकी ने कहा, मैं इस गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए देवबंद के उलेमा और लोगों का शुक्रगुजार हूं. भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों का भविष्य बहुत उज्ज्वल दिखता है.
मुत्ताकी ने दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी समेत कई उलेमा से मुलाकात की.
दारुल उलूम देवबंद के दौरे के मायने
मदनी ने कहा कि दोनों देशों के बीच धार्मिक और ऐतिहासिक रिश्ता बहुत गहरा है. उन्होंने कहा कि हमारी बातचीत सिर्फ दीन और तालीम के मुद्दों पर हुई. कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई. अफगानिस्तान की धरती अब किसी आतंकवादी गतिविधि के लिए इस्तेमाल नहीं होगी.
दारुल उलूम देवबंद 156 साल पुराना इस्लामी शिक्षा संस्थान है, जिसे तालिबान की वैचारिक जड़ों से भी जोड़ा जाता है. मुत्ताकी की यह यात्रा 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के सत्ता में आने के बाद किसी वरिष्ठ तालिबानी नेता की देवबंद में पहली आधिकारिक उपस्थिति थी.
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