‘गर्दन में फंदा लगाकर तब तक लटकाएं, जब तक मृत्यु न हो जाए…’ रेप और मर्डर केस में कोर्ट का फैसला
‘संजय नट की गर्दन में फंदा लगाकर उसे तब तक लटकाया जाए, जब तक उसकी मृत्यु न हो जाए…’ गाजीपुर की विशेष पॉक्सो अदालत ने मंगलवार को यह टिप्पणी करते हुए दोषी को फांसी की सजा सुनाई. अदालत ने कहा कि आठ वर्ष के मासूम के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर देना दुर्लभतम से भी दुर्लभ श्रेणी का अपराध है, जिसमें फांसी से कम सजा संभव नहीं. सजा सुनाते समय विशेष न्यायाधीश ने परंपरा के अनुसार अपनी कलम तोड़ दी.
मंगलवार यानी 8 अक्टूबर को गाजीपुर जिले के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इस तरह का निर्णय लगभग 14 वर्ष बाद दोहराया गया है. मामला गहमर थाना क्षेत्र के एक गांव का है. फरवरी 2024 में 8 वर्षीय मासूम के साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी गई थी. हत्या के बाद शव को प्लास्टिक की बोरियों में बंद कर आरोपी ने अपने घर के लोहे के बक्से में छिपा दिया था.
करीब 20 महीने चली सुनवाई के बाद पॉक्सो कोर्ट के विशेष न्यायाधीश राम अवतार ने दोषी संजय नट को मृत्युदंड और ₹1,80,000 के जुर्माने की सजा सुनाई.
फुसलाकर ले गया था पड़ोसी
फरवरी 2024 में आरोपी संजय नट ने अपने पड़ोसी के 8 वर्षीय बेटे को बहला-फुसलाकर अपने घर बुलाया. उस समय घर में उसकी पत्नी और मां मौजूद नहीं थीं. संजय ने बच्चे के साथ जबरन दुष्कर्म का प्रयास किया और फिर गला दबाकर उसकी हत्या कर दी.
बच्चे के परिजनों ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई और दो दिनों तक उसकी तलाश की. पास की एक बालिका ने देखा था कि संजय बच्चे को अपने साथ ले गया था. उसने यह जानकारी पुलिस और परिजनों को दी.
सड़ी-गली अवस्था में मिला शव
पुलिस और परिजन संजय नट के घर पहुंचे और तलाशी ली, तो एक लोहे के बक्से में बच्चे का सड़ा-गला शव मिला. शव मिलते ही परिजन फूट-फूटकर रोने लगे. आरोपी की पत्नी और मां ने भी बताया कि पिछले दो दिनों से संजय उन्हें घर में प्रवेश नहीं करने दे रहा था, जिससे बदबू आने लगी थी. पुलिस ने आरोपी को मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार किया, जिसमें उसके पैर में गोली लगी थी.
20 महीने चली सुनवाई
शव की बरामदगी के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट और हत्या की धाराओं में केस दर्ज किया. शव पर सीमेन मिलने के बाद मामला और गंभीर हो गया. विवेचना के बाद चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की गई.
लगभग 20 महीने चली सुनवाई में विशेष लोक अभियोजक प्रभु नारायण सिंह ने गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर अभियोजन पक्ष को मजबूत तरीके से पेश किया. अदालत ने सभी गवाहों और प्रमाणों को सुनने के बाद 8 अक्टूबर को फैसला सुनाया.
14 साल बाद दोहराया गया फैसला
प्रभु नारायण सिंह ने बताया कि गाजीपुर जनपद न्यायालय के इतिहास में इससे पहले 2011 में चार लोगों की हत्या के मामले में दो आरोपियों को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी. उस समय भी वे शासकीय अधिवक्ता थे. अब 14 साल बाद एक बार फिर जनपद न्यायालय से फांसी की सजा सुनाई गई है.
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