क्यों ‘फिलिस्तीन के नेल्सन मंडेला मारवान बरघौती’ की रिहाई पर अड़ा है हमास? इजराइल का इनकार… बना गाजा शांतिवार्ता का बड़ा मुद्दा!

क्यों ‘फिलिस्तीन के नेल्सन मंडेला मारवान बरघौती’ की रिहाई पर अड़ा है हमास? इजराइल का इनकार… बना गाजा शांतिवार्ता का बड़ा मुद्दा!

जब इजराइल हमास के बीच शांति समझौते की चर्चा हो, लेकिन एक नाम सबकी जुबां पर हो- मारवान बरघौती (Marwan Barghouti) फिलिस्तीन का नेल्सन मंडेला – वह जेल में हैं, लेकिन राजनीति का केंद्र बने हुए हैं. Hamas कहता है- रिहाई होनी चाहिए और Netanyahu इनकार कर रहे हैं. आखिर क्यों मारवान बरघौती की रिहाई बनी है इस संघर्ष और शांति समझौते का अहम हिस्सा. जानिए क्या है पूरा मामला-

कौन हैं मारवान बरघौती? – राजनीतिक यात्रा और छवि

मारवान बरघौती (Marwan Barghouti) एक प्रमुख फिलिस्तीनी नेता हैं, जिन्होंने West Bank और पलेस्टीनियन राजनीति में दशकों से सक्रिय भूमिका निभाई, खास तौर से दूसरे इंतिफादा में. दूसरा इंतिफादा, जिसे अल-अक्सा इंतिफादा के नाम से भी जाना जाता है, इजरायली कब्जे के खिलाफ एक बड़ा फिलिस्तीनी विद्रोह था जो सितंबर 2000 और फरवरी 2005 के बीच हुआ था. यह पहले इंतिफादा की तुलना में कहीं ज़्यादा हिंसक और सैन्य संघर्ष था, और इसमें दोनों पक्षों को काफी नुकसान हुआ था.

इस दौरान बरघौती ने इजराइल के खिलाफ कई अभियान चलाए, जिसके चलते उन्हें साल 2002 में गिरफ्तार किया गया और बाद में कई आरोपों पर कोर्ट ने उन्हें सजा सुनाई. उनके जेल में बिताए गए लंबे दौर ने उन्हें एक प्रतिरोध का केंद्र और प्रतीकात्मक नेता बना दिया है – कई युवा, विपक्षी समूह और राजनीतिक विश्लेषक उन्हें “Palestinian Mandela” कहते हैं.

मिडिल ईस्ट मामलों के विशेषज्ञ फ्रेडरिक एन्सेल ने कहा था- “उनकी सजा की अवधि, उनका व्यवहार और उनका साहस उन्हें लाखों फिलिस्तीनियों के बीच प्रतिष्ठा दिलाते हैं.” उनके समर्थक मानते हैं कि बरघौती शायद भविष्य में फिलिस्तीनी प्रशासन के नेतृत्व की भूमिका निभा सकते हैं, अगर उन्हें रिहा किया जाए.

Hamas की मांगें और वर्तमान शांति समझौता

शांति वार्ता के ताजा दौर में हमास ने मारवान बरघौती की रिहाई की जरूरत को प्रमुख शर्तों में शामिल किया है. उनके नाम को इस समझौते में शामिल करना हमास के लिए सिर्फ राजनीतिक प्रतीक नहीं- बल्कि सार्वजनिक विश्वास और संवाद की बुनियाद है. लेकिन इजराइली सरकार ये साफ कर चुकी है कि इस समय बरघौती को इस सौदे में शामिल नहीं किया जाएगा. जानकार मानते हैं कि इजराइल का ये इनकार सिर्फ एक सुरक्षा-विचार नहीं है, बल्कि राजनीतिक संकेतों और आंतरिक दस्तावेजों और चुनावी संभावनाओं से जुड़ा मामला है.

मारवान बरघौती क्यों हैं इतने महत्वपूर्ण – प्रतीक, लोकप्रियता और प्रभाव

मारवान बरघौती न सिर्फ जेल में होने के बावजूद लोकप्रिय हैं, बल्कि वो कई राजनीतिक धड़ों को एकजुट करने की क्षमता रखते हैं. इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप की विश्लेषक तहानी मुस्तफा कहती हैं कि वे एक ऐसे नेता हैं जिन्हें फ़तह और हमास के बीच, युवाओं और अलग-अलग क्षेत्रीय समूहों के बीच, मिलन बिंदु के तौर पर देखा जाता है.

उनकी जीवन-गति ने उन्हें खास बना दिया है: वे जेल में हैं, सजा सुनाई गई, लेकिन उन्होंने लोकतंत्र और दो-राज्य (Two-State Solution) की वकालत की है। उनकी पत्नी फदवा बरघौती ने अंतरराष्ट्रीय अभियान भी चलाया था: “Freedom for Marwan Barghouti, the Mandela of Palestine” नाम से. बरघौती की प्रतिष्ठा सिर्फ राजनीतिक नहीं- बल्कि नैतिक और प्रतीकात्मक भी है. उनकी रिहाई का मतलब होगा संवाद का पुनरुद्धार, विश्वास का निर्माण और मुमकिन है कि इससे शांति प्रक्रिया में एक नया अध्याय शुरू हो.

विरोध, चुनौतियाँ और नेतन्याहू की स्थिति

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनके सुरक्षा मंत्रियों ने भी बारघौती की रिहाई को स्वीकार करने से फिलहाल इनकार कर दिया है. उनका तर्क है कि बरघौती को छोड़ना “आतंकवाद को इनाम” देना होगा, और इससे सुरक्षा संस्थाओं और जनता में खौफ बढ़ सकता है. इजराइल के एक प्रवक्ता ने कहा है कि फिलहाल समझौते के पहले चरण में बरघौती को शामिल नहीं किया जाएगा. इसके अलावा, राजनीतिक रुझान स्पष्ट हैं- नेतन्याहू के समर्थक और राइट विंग नेता इस मामले को अपनी ताकत की पहचान के तौर पर देखते हैं.

क्या बरघौती की रिहाई शांति प्रक्रिया के लिए ट्विस्ट हो सकती है?

विश्लेषकों का मानना है कि बारघौती की रिहाई समझौते की दिशा को बदल सकती है- अगर वार्ता जारी रहती है. तो उनकी रिहाई से हमास को अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर एक बड़ा राजनीतिक फायदा भी हो सकता है- इससे हमास का समर्थन बढ़ेगा, संवाद की स्थिति भी मजबूत होगी। लेकिन यह आसान नहीं है.

यहां कई और भी पहलू हैं- जैसे सुरक्षा, न्याय और राजनीतिक विश्वास का और इजराइल के लिए यह सवाल है कि क्या वह इतना जोखिम उठा सकता है कि बरघौती जैसे लोकप्रिय लेकिन कैद नेता को सार्वजनिक जीवन में वापस लाया जाए. इसके साथ ही यह भी देखना होगा कि दूसरे मशहूर फिलिस्तीनी बंदियों जैसे अहमद सआदत वगैरह को इस समझौते में कैसे शामिल किया जाता है और क्या यह सामूहिक रिहाई होगी या चरणबद्ध.

अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण और भविष्य के संभावित परिणाम

दुनिया इस मामले पर नज़र रख रही है. बहुत से देश और संगठन मानते हैं कि बरघौती की रिहाई एक शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकती है, लेकिन कुछ अन्य विश्लेषक चेतावनी दे रहे हैं कि अगर इजराइल ऐसा करता है, तो इजराइल में घरेलू राजनीतिक प्रतिक्रिया तेज होगी- जिनमें सुरक्षा बलों, दक्षिणपंथी पार्टियों और उन लोगों की आवाज़ शामिल होगी जो आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत बरघौती को दोषी मानते हैं.

एक और संभावना यह है कि बरघौती की रिहाई से फिलिस्तीनी प्रशासन में बदलाव आ सकता है – नए चुनाव, नई राजनीति और संभावित नेतृत्व। अगर यह भूमिका स्वीकार हो, तो बरघौती “Unity Figure” बन सकते हैं – लेकिन जेल से निकलने के बाद भी उनका असर कैसे रहेगा, यह देखना होगा. तो मारवान बरघौती की कहानी सिर्फ़ एक बंदी की नहीं है – बल्कि यह उन लाखों लोगों की कहानी है जिन्होंने संघर्ष, उम्मीद, जेल और प्रतीकवाद के बीच अपनी पहचान तलाश की है, लेकिन नेतन्याहू और इजराइल की स्थिति बताती है कि यह कदम आसान नहीं होगा. इसकी राजनीतिक, कानूनी और भावनात्मक कीमत होगी.

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