केवल शेयर बाजार ही नहीं, ट्रंप टैरिफ से रुपया भी हुआ बेहाल; आप पर होगा ये असर
बीता हफ्ता भारत के इकोनॉमिक लिहाज से ठीक नहीं रहा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले H-1B वीजा के आवेदन शुल्क को बढ़ाने का फैसला किया, फिर उसके बाद ही उन्होंने फार्मा पर टैरिफ लगा दी है. इसका असर शेयर बाजार पर को पड़ा ही सेंसेक्स हफ्ते भर में 2000 अंकों से ज्यादा टूट गया. लेकिन इसके साथ ही भारतीय रुपये पर भी दबाव देखने को मिला शुक्रवार को रुपये अपने ऑल-टाइम लो पर पहुंच कर बंद हुआ.
शुक्रवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 88.7175 पर बंद हुआ. दिन में इसमें ज्यादा बदलाव नहीं हुआ, लेकिन हफ्ते के अंत में 0.7% की गिरावट दर्ज की गई, जो अगस्त के अंत के बाद से इसकी सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट थी. लेकिन क्या आपको पता है कि अगर रुपया ऐसे ही गिरता रहा तो इसका असर आपके ऊपर भी पड़ेगा.
- महंगाई- रुपये के गिरने से इंपोर्टेड सामान जैसे पेट्रोल, डीजल, इलेक्ट्रॉनिक्स, और खाद्य तेल की कीमत बढ़ जाती है, क्योंकि इन्हें खरीदने के लिए अधिक रुपये चुकाने पड़ते हैं. यह महंगाई को बढ़ाता है, जिससे रोजमर्रा की चीजें जैसे खाना, फ्यूल और अन्य सामान महंगे हो जाते हैं. उदाहरण के लिए, पेट्रोल की कीमत बढ़ने से परिवहन और उत्पादन लागत बढ़ती है, जो अन्य वस्तुओं की कीमतों को भी प्रभावित करती है.
- ट्रांसपोर्टेशन- भारत में पेट्रोल और डीजल का बड़ा हिस्सा आयात होता है. रुपये की कीमत गिरने से ईंधन की लागत बढ़ती है, जिसका सीधा असर ट्रांसपोर्टेशन पर पड़ता है. बस, ट्रक, और टैक्सी किराए बढ़ जाते हैं, जिससे आम आदमी की यात्रा और माल ढुलाई महंगी हो जाती है. इससे बाजार में सामान की कीमतें भी बढ़ती हैं.
- इंपोर्टेड सामान के दाम- कई रोजमर्रा की चीजें जैसे स्मार्टफोन, लैपटॉप, दवाइयां और कुछ खाने की चीजें जैसे ड्राई फ्रूट्स आयात किए जाते हैं. रुपये के कमजोर होने से ये सामान महंगे हो जाते हैं, जिससे मध्यम और निम्न-आय वर्ग के लिए इन्हें खरीदना मुश्किल हो जाता है.
- कर्ज और ब्याज दरें-रुपये के गिरने से सरकार और कंपनियों को विदेशी कर्ज चुकाने में अधिक रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इससे सरकारी खर्च बढ़ सकता है, और ब्याज दरें बढ़ने की संभावना रहती है. इससे आम आदमी के लिए होम लोन, कार लोन, और अन्य कर्ज महंगे हो सकते हैं, जिससे उनकी मासिक बचत पर असर पड़ता है.
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