कफ सिरप बनी बच्चों की मौत की वजह! 2019 से अब तक 300 से ज्यादा मासूमों ने गंवाई जान, गुनहगार पकड़ से बाहर
हाल फिलहाल के वर्षों की बात करें तो कई वजहों से बच्चे पर काल के गाल में बेशक समाए हों, लेकिन उनमें से एक सबसे बड़ी वजह कफ सिरप का इस्तेमाल भी है. दावा यह किया जाता है कि साल 2019 से लेकर अब तक देश और विदेश में भारतीय कफ सिरप के इस्तेमाल की वजह से लगभग 300 से अधिक बच्चों की मौतें हो चुकी है.
इस बीच, केंद्र सरकार ने इस बात का दावा किया है कि सामान्य फॉर्मूला वाली एलोपैथिक दवाओं के निर्माण के लिए फॉर्म 25 या लाइसेंस राज्य औषधि नियंत्रकों द्वारा दिया जाता है और उन्हीं के द्वारा नियंत्रित किया जाता है. केंद्र सरकार के इस बयान से पता चलता है कि उन्होंने इसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य के ऊपर डाल दी है. केन्द्र की दलील है कि CDSCO ने ‘कोल्ड्रिफ’ में DEG की मौजूदगी की पुष्टि होने के बाद, संबंधित फर्म का लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश पहले ही कर दी है. यह रद्दीकरण भी राज्य औषधि नियंत्रक द्वारा ही किया जाना है.
कई एजेंसियों के बावजूद गुनहगार पकड़ से बाहर
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च, नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, सीडीएससीओ और आईआईएमएस-नागपुर के साथ राज्य सरकार के विशेषज्ञों की टीम छिंदवाड़ा क्षेत्र में मौतों के कारणों का विश्लेषण कर रही है. हकीकत यह है कि इतनी मौतों के बाद भी गुनहगार पकड़ से बाहर है.
6 राज्यों में कफ सिरप बैन
मध्य प्रदेश और राजस्थान में जहरीला कफ सिरप पीने से अब तक 23 बच्चों की मौत हो चुकी है. मामला सामने आने के बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल, तमिलनाडु और पंजाब ने इस सिरप की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. मध्य प्रदेश में 17 बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार जहरीले कोल्ड्रिफ़ कफ सिरप बनाने वाली कंपनी श्रीसन फार्मास्युटिकल है. यह कंपनी 14 सालों से तमिलनाडु के कांचीपुरम की एक जर्जर इमारत में बेरोकटोक काम कर रही थी. मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में हुई मौतों के बाद तमिलनाडु के औषधि अधिकारियों की नींद खुली और उन्होंने 2011 से लाइसेंस प्राप्त निर्माण यूनिट का निरीक्षण किया और बाद में परिसर को सील कर दिया.
राज्य में लाइसेंसिंग और नियंत्रण प्राधिकारी ने 3 अक्टूबर को तमिलनाडु के औषधि नियंत्रण उपनिदेशक एस गुरुबरथी ने फार्मा कंपनी को दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण को रोकने का निर्देश दिया. यह तब किया गया जब लैब टेस्ट में पता चला कि यूनिट में निर्मित कोल्ड्रिफ घोल में 48.6% डायथिलीन ग्लाइकॉल था, जो एक औद्योगिक रसायन है, जो पीने से लीवर की समस्या हो सकती है.
गुजरात की दो कंपनियों के सिरप में भी जहर
वहीं कफ सिरप बनाने वाली गुजरात की दो कंपनियों के सैंपल में भी जहरीले डायएथिलिन ग्लायकॉल (DEG) और एथिलिन ग्लायकॉल (EG) की मात्रा ज्यादा मिली है. छिंदवाड़ा से 19 दवाओं के सैंपल लिए गए थे. गुजरात की रीलाइफ सिरप और रेस्पिफ्रेस टीआर सिरप में गड़बड़ी मिली है. मध्य प्रदेश में इन दोनों सिरपों के स्टॉक और बिक्री पर बैन लगा दिया गया है. गुजरात सरकार को जांच के लिए लेटर भी लिखा है.
तेलंगाना और केरल में सतर्कता, बिक्री पर रोक
तेलंगाना ड्रग्स कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन ने शनिवार को कोल्ड्रिफ सिरप (बैच नंबर SR-13) पर ‘पब्लिक अलर्ट-स्टॉप यूज नोटिस’ जारी किया. एजेंसी ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौतों की रिपोर्ट पर ध्यान देते हुए कहा कि सिरप में डीईजी की मिलावट पाई गई है, जो जहरीला पदार्थ है. केरल में भी ड्रग्स कंट्रोल विभाग ने कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री निलंबित कर दी है.
केंद्रीय औषधि नियामक यानी सीडीएससीओ ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौतों के बाद छह राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में दवा फैक्ट्री का निरीक्षण शुरू कर दिया है. 19 सैंपल, जिनमें कफ सिरप, एंटीपायरेटिक्स और एंटीबायोटिक्स शामिल हैं, लिए गए हैं. निरीक्षण का उद्देश्य दवा क्वालिटी में कमियों का पता लगाना और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकना है.
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