ऐसा करके अमेरिका खुद के पैर पर मारेगा कुल्हाड़ी, भारत को नहीं पड़ेगा फर्क!
25 सितंबर 2025 को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया कि अमेरिका में बाहर बनी ब्रांडेड दवाओं पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा, जो 1 अक्टूबर 2025 से लागू होगा. इस खबर के बाद भारत की बड़ी फार्मा कंपनियों के शेयर बाजार में गिरावट देखी गई. साथ ही अमेरिकी विशेषज्ञों ने भारत से आने वाली जेनरिक दवाओं की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए, जिससे निवेशकों में चिंता और बढ़ गई.
इसी बीच, भारतीय फार्मा इंडस्ट्री का बड़ा संगठन इंडियन फार्मास्यूटिकल एलायंस (IPA) ने अमेरिकी सीनेट की एक विशेष समिति के सामने अपनी दलील पेश की है. IPA में सन फार्मा, सिप्ला, डॉ रेड्डीज़, जाइडस सहित 23 प्रमुख कंपनियां शामिल हैं. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि भारत की जेनरिक दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं और अमेरिका अगर इनपर टैरिफ लगाता है तो ये उनके लिए भी हित में नहीं होंगा. जानकारों का कहना है कि भारत की जेनरिक दवाओं पर टैरिफ लगाना अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा.
कुछ अमेरिकी रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया था कि भारत से आने वाली जेनरिक दवाओं की वजह से अस्पताल में भर्ती होने और गंभीर सेहत की समस्याएं बढ़ रही हैं. लेकिन इंडियन फार्मास्यूटिकल एलायंस (IPA) ने इन आरोपों को पूरी तरह गलत बताया है. FDA की रिपोर्ट और हाल ही में हुई जांचों से साफ हो गया है कि भारत की दवा फैक्ट्रियां अमेरिका और दुनिया के सबसे सख्त मानकों पर पूरी तरह खरी उतरती हैं. साथ ही, डिफेंस डिपार्टमेंट के टेस्ट में भी कई भारतीय दवाओं को सबसे बेहतरीन क्वालिटी दी गई है. IPA का कहना है कि भारत की जेनरिक दवाएं सुरक्षित और भरोसेमंद हैं और इन पर लगाए गए आरोप आधारहीन हैं.
भारत-अमेरिका के बीच दवा सहयोग बढ़ाने का प्रस्ताव
IPA ने अमेरिका को US-India Affordable Medicines Partnership (AMP) नाम की योजना का प्रस्ताव दिया है. इसके तहत दोनों देश मिलकर दवाओं के जरूरी हिस्से जैसे API और KSM का उत्पादन और स्टॉक बनाएंगे, ताकि दवा सप्लाई चेन मजबूत और निर्बाध बनी रहे. इसके अलावा, भारत की फार्मा कंपनियां अमेरिका में भी भारी निवेश कर रही हैं. फिलहाल 31 ऐसी फैक्ट्रियां हैं जिन्हें FDA की मंजूरी मिली है और ये फैक्ट्रियां अमेरिका के 14 राज्यों में चल रही हैं, जो हजारों अमेरिकियों को रोजगार भी देती हैं.
टैक्स से अमेरिका को होगा नुकसान
IPA ने चेतावनी दी है कि अगर भारत से आने वाली दवाओं पर टैक्स लगाया गया, तो अमेरिका की दवा सुरक्षा को बड़ा खतरा होगा और उसकी चीन पर निर्भरता बढ़ जाएगी. चीन दवाओं के उत्पादन में भारी सब्सिडी देता है और दुनिया के बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करता जा रहा है. भारत भी चीन पर निर्भरता कम करने के लिए अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने की योजना बना रहा है, जिससे घरेलू दवाओं की सप्लाई और बेहतर होगी.
जेनेरिक दवाइयों का सबसे बड़ा निर्यातक है भारत
भारत अमेरिका को जेनेरिक दवाइयों का सबसे बड़ा सप्लायर भी है. साल 2024 में भारत ने अमेरिका को लगभग 8.73 अरब डॉलर (लगभग 77 हजार करोड़ रुपए) की दवाइयां भेजीं, जो भारत के कुल दवा निर्यात का करीब 31% था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका में डॉक्टरों द्वारा लिखे जाने वाले हर 10 प्रिस्क्रिप्शन में से करीब 4 दवाइयां भारतीय कंपनियों द्वारा बनाई जाती हैं.
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