एक और साजिश! NATO की तर्ज पर भारत के खिलाफ किलेबंदी में जुटा पाकिस्तान, कितना होगा असरदार

एक और साजिश! NATO की तर्ज पर भारत के खिलाफ किलेबंदी में जुटा पाकिस्तान, कितना होगा असरदार

पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर से मात खाने के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. वह भारत के खिलाफ लगातार साजिश रच रहा है और किलेबंदी करने की कोशिश कर रहा है. इसी कोशिश के तहत कुछ दिन पहले पाकिस्तान ने सऊदी अरब के साथ रक्षा समझौता किया था और अब पाकिस्तान नाटो की तर्ज पर एक सैन्य गठबंधन बनाने की तैयारी कर रहा है.

हाल में पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री इशाक डार ने दावा किया कि कई देशों ने इस्लामाबाद के साथ रक्षा समझौते में रुचि दिखाई है और सुझाव दिया कि अगर और देश सऊदी-पाकिस्तान आपसी रक्षा समझौते में शामिल होते हैं, तो “यह नाटो जैसा गठबंधन बन जाएगा”.

उनका कहना है कि अरब और गैर-अरब इस्लामी देशों ने पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए रक्षा समझौते में शामिल होने में रुचि दिखाई है. कई अन्य देशों ने भी पाकिस्तान के साथ रक्षा समझौते में शामिल होने में रुचि दिखाई है और कई देश संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान पाकिस्तान से संपर्क कर रहे हैं.

इस्लामी देशों की अगुवाई करने की चाहत

पाकिस्तान की इच्छा सदा से ही इस्लामी दुनिया का नेतृत्व करने की रही है. यह बात पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री के बयान से साफ है, जिसमें उन्होंने कहा कि ईश्वर की इच्छा से पाकिस्तान 57 इस्लामी देशों का नेतृत्व करेगा.

पाकिस्तान पहले से ही एक परमाणु और मिसाइल शक्ति है, लेकिन अब ऑपरेशन सिंदूर में मात खाने के बाद वह कई देशों को अपने साथ एकजुट करने में जुट गया है.

हाल में पाकिस्तान ने सऊदी सरकार के साथ रक्षा समझौता किया है. इसके तहत यह प्रावधान है कि किसी भी देश के विरुद्ध किसी भी आक्रमण को दोनों के विरुद्ध आक्रमण माना जाएगा. इस समझौते पर इजराइल द्वारा कतर पर हमले के कुछ दिनों बाद हस्ताक्षर किए गए थे, जिससे अरब देशों में इसी तरह के हमले की आशंका पैदा हो गई थी.

NATO जैसा संगठन बनाना आसान नहीं

पाकिस्तान नाटो जैसा संगठन बनाने की कोशिश कर रहा है,भारत के लिए, इसके निहितार्थ गहरे और बहुआयामी हो सकते हैं. पाकिस्तान ने लंबे समय से बहुपक्षीय गठबंधनों और मंचों का लाभ उठाया है, अरब फंडिंग और तकनीक का इस्तेमाल अपने आर्थिक संकट के दौरान किया है, और ओआईसी शिखर सम्मेलनों जैसे मंचों पर कश्मीर का मुद्दा बार-बार उठाया है.

अगर यह समूह नाटो की तर्ज पर बनाया जाता है, जहां एक पर हमला सभी सदस्यों पर हमला माना जाता है, तो पाकिस्तान का हौसला बढ़ सकता है. इससे इस्लामाबाद को भारत विरोधी गतिविधियों के लिए एक और बहुपक्षीय मंच मिल सकता है.

हालांकि यह करना बहुत आसान नहीं है. इसमें कई बाधाएं हैं. मुस्लिम देशों के बीच प्रतिद्वंद्विता-सऊदी अरब बनाम ईरान, कतर बनाम संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की बनाम मिस्र – सामूहिक कार्रवाई को कमजोर बनाती है. इस्लामिक नाटो” की मांग अक्सर खोखली लगती है, क्योंकि कई अरब शासक ईरान पर भरोसा नहीं करते हैं.

सैन्य गठबंधन की बात क्यों कर रहा है पाक?

हाल में सऊदी-पाकिस्तान रक्षा समझौते ने एक लंबे समय से उस विचार की चर्चा को फिर से हवा दे दी है, जिसमें एक सामूहिक मुस्लिम सैन्य गठबंधन का गठन शामिल है, जिसे अक्सर इस्लामी या अरब नाटो कहा जाता है. दशकों से इस पर चर्चा हो रही है, लेकिन अब इसकी मांग तेज हो गयी है.

इस्लाम के सबसे पवित्र स्थलों के संरक्षक सऊदी अरब ने औपचारिक रूप से अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी पाकिस्तान को सौंप दी है, जो एकमात्र मुस्लिम-बहुल परमाणु राष्ट्र है. अब सीधे हमले का शिकार कतर भी इसी तरह की गारंटी की मांग कर सकता है. तुर्की, जो पहले से ही नाटो का सदस्य है, लंबे समय से एक इस्लामी गुट गठन करने की मांग कर रहा है.

दूसरी ओर, वाशिंगटन द्वारा दोहा पर मिसाइलों के हमले को रोकने में विफल रहने के बाद, अमेरिकी सुरक्षा पर निर्भरता लगातार कमजोर होती जा रही है. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अरब देशों के पास अब “वास्तविक और ठोस उपाय” करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

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