महागठबंधन पर सीट शेयरिंग पर फंसा पेंच, मुश्किल में मुकेश, दिल्ली पहुंच रहे लालू-तेजस्वी
बिहार चुनाव में महागठबंधन के अंदर सीट बंटवारे को लेकर अभी भी पूरी सहमति नहीं बन सकी है. महागठबंधन में किस तरह की दिक्कतें चल रही है, क्यों मुकेश सहनी को कहना पड़ा कि महागठबंधन बीमार है और बड़े डॉक्टर दिल्ली में बैठे हुए हैं, दिल्ली में जब वह डॉक्टर मिलेंगे तो इलाज होगा और महागठबंधन स्वस्थ हो जाएगा. आपको बता दें कि आज (सोमवार) लैंड फॉर जॉब मामले में बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव, इन सबकी दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेशी है. इस दौरान यह तीनों नेता दिल्ली में होंगे और उनकी पेशी के बाद राहुल गांधी से इनकी मुलाकात होगी.
दरअसल कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू बेहद सख्त नेता हैं और वह अपनी पार्टी और टॉप लीडरशिप के लिए समर्पित हैं, इसलिए बिहार में वह हार्ड बारगेनिंग कर रहे हैं. कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू का मानना है कि बिहार में कांग्रेस को खोने के लिए कुछ नहीं है लेकिन पाने के लिए बहुत कुछ है. इसलिए अगर हमें झुकना है तो जनता और अपने काडर के सामने झुकेंगे.
कम सीटों पर लड़ने को तैयार नहीं कांग्रेस
वजह बहुत साफ है, आपको याद होगा कि भक्त चरण दास ने कुछ ऐसे ही मांग की थी तो लालू यादव ने उनको भकचोनर दास कह दिया था, जिससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं का भी मनोबल टूटा था. लेकिन कृष्णा अल्लावरू वह नहीं है. बता दें, कांग्रेस को यह भी लगता है कि हमारी तैयारी 2029 की होनी चाहिए, 2025 में तो तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनना है, हमें तो बनना नहीं है, इसलिए हम अपना वोट शेयरस जनाधार और अपनी सीटें क्यों कम करते रहें. कांग्रेस का कहना है कि अगर हम कम सीटों पर लड़ेंगे तो हमारा जनाधार सिकुड़ता जाएगा और ऐसा होना नहीं चाहिए.
लालू परिवार और राहुल गांधी की मुलाकात
दरअसल बात यहीं पर बिगड़ जा रही है. अब मौका इस तरीके से बना है कि राहुल गांधी, जो कि विदेश से लौटे हैं और आज दिल्ली के कोर्ट में लालू परिवार के मुख्य तीन लोगों की पेशी है. अब आप समझिए कि लालू परिवार और राहुल गांधी से मुलाकात के बाद क्या होगा. ऐसा माना जा रहा है कि राहुल गांधी तय करेंगे कि कितनी सीटों पर लड़ना है. क्योंकि कृष्णा अल्लावरू तो तैयार नहीं हो रहे हैं. वहीं इस बातचीत में मध्यस्थ की भूमिका डॉ. अखिलेश सिंह, पार्टी के पुराने नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष निभा सकते हैं. वह लालू परिवार से बेहतरीन संबंध रखने के लिए जाने जाते हैं.
अपने उम्मीदवार मैदान में उतार देगी कांग्रेस
आरजेडी इस चक्कर में थी कि इस चुनाव में सीट बंटवारे को अंतिम मुहाने तक ले जाए और कृष्णा अल्लावरू इस बात को पहले से भांप रहे थे और यह मान करके चल रहे हैं कि अगर सीट बंटवारे में देर किया गया तो कांग्रेस जहां अपने को मजबूत समझ रही है वहां अपने उम्मीदवारों को फ्री कर देगी की जाइए नॉमिनेशन फाइल करिए. उनका मानना है कि वह अपने उम्मीदवारों को रोकेंगे नहीं, उनकी नजर में जीत सकते हैं.
कितनी सीटों पर फंस रहा पेंच
अब ऐसा दिखाई पड़ रहा है कि दिल्ली में इन सब मामलों को तय करने के लिए और सभी दलों को एकजुट रखने के लिए मीटिंग रखा गया है. दूसरी तरफ कांग्रेस और आरजेडी के बीच जो लड़ाई है, राहुल गांधी उसको दूर करेंगे. लालू यादव और तेजस्वी राहुल गांधी के साथ बैठेंगे, तब तय हो पाएगा कि कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा. प्रदेश स्तर पर तो यह संभव नहीं हो पाएगा क्योंकि कृष्णा अल्लावरू ने उन्हें साफ मना कर दिया है. कांग्रेस 65 सीटें मांग रही है और 2020 की तुलना में 5 इसलिए छोड़ रही है क्योंकि कुछ नए दलों की एंट्री हो गई है. और उनको सीटें बड़े दलों के ही कोटे से देना होगा. लेकिन आरजेडी 53-55 सीटें देने का मन बनाकर बैठी है. अब मामला इन्हीं 10 सीटों पर फंस जा रहा, जिसको कम करने को कृष्णा अल्लावरू तैयार नहीं हैं.
मुकेश सहनी भी राहल गांधी से करेंगे मुलाकात
अब वीआईपी के मुखिया मुकेश सहनी को लेकर कहा जा रहा है कि वह भी दिल्ली आ गए हैं और अपने लिए बात करेंगे. वह महागठबंधन को बीमार बता रहे हैं और कह रहे हैं कि दिल्ली में डॉक्टरों की मौजूदगी है. इस हिसाब से दिल्ली में डॉक्टर कोई है तो वो राहुल गांधी ही हैं. और राबड़ी देवी, लालू यादव, तेजस्वी यादव, जो वर्तमान समय में आरजेडी के सबसे बड़े नेता हैं, वो भी आज दिल्ली में रहेंगे. तो अब सवाल है कि मुकेश साहनी को यहां आने की क्या जरूरत पड़ी, इस बात को भी गंभीरता से समझिए.
मुकेश सहनी कम से कम 30 सीटें चाहते हैं, ऐसे तो वह 60 की बात करते हैं और डिप्टी सीएम का पद चाहते हैं. अब डिप्टी सीएम बनेंगे या नहीं बनेंगे. तीन डिप्टी सीएम बनेंगे, इसको तो कई बड़े नेताओं ने खारिज कर दिया है. अब मुकेश सहनी के लिए स्थिति क्या बदली है जरा इस बात को समझिए. अभी कांग्रेस-आरजेडी के बीच में सीट का बंटवारा हो नहीं पा रहा है तो मुकेश का कैसे तय हो जाएगा कि उनके उम्मीदवार कितने सीटों पर लड़ेंगे.
महागठबंधन में आईपी गुप्ता की एंट्री
दूसरी बड़ी बात यह है कि महागठबंधन में आईपी गुप्ता की एंट्री हो गई है. जिनकी पान पार्टी है. आईपी गुप्ता तेजस्वी के साथ लंच भी कर चुके हैं. यहां तक की पहले से ही वह कांग्रेस के संपर्क में भी रहे हैं. राहुल गांधी से उनका संपर्क हो चुका है. कांग्रेस प्रभारी से कई दौर की मीटिंग हो चुकी है. अब आईपी गुप्ता के आने के बाद मुकेश सहनी की स्थिति क्या रहने वाली हैं यह भी बड़ा महत्वपूर्ण है. क्योंकि मुकेश वीआईपी पार्टी के सर्वोपरि नेता होने की वजह से निश्चित तौर पर चिंतित तो हैं कि कहीं उनके साथ 2020 का खेल तो नहीं हो जाएगा.
याद करिए 2020 में जब महागठबंधन की फाइनल प्रेस कॉन्फ्रेंस होने लगी तो इनके लिए ना तो डिप्टी सीएम की बात की गई और ना ही सीट के बंटवारे की बात की गई कि इनको कितनी सीटें मिलेंगी और यह बात मुकेश को परेशान करने के लिए काफी है. तो सवाल यह उठता है कि मुकेश सहनी को महागठबंधन यहां तक ले आया है, तो क्या यह रणनीति के तहत खेल किया जा रहा है. यह भी एक गंभीर सवाल है. क्योंकि लेफ्ट का तो पता है कि वह कहीं नहीं जाएगा, कांग्रेस भी कहीं नहीं जा सकती, बहुत होगा तो अलग चुनाव लड़ सकती है.
मुकेश सहनी के पास क्या है विकल्प?
अब मुकेश सहनी के विकल्प की बात करें तो वैसे एनडीए ने तो सीट का बंटवारा कर दिया है. अब सीटें बंट गईं हैं तो मुकेश सहनी के लिए भी ऑप्शन कम हो गया है. हालांकि सीटें बंट भी गईं तो क्या बीेजेपी अपनी सीटें मुकेश सहनी के साथ शेयर करेगी. या कुछ दिन पहले जेडीयू के सर्वोपरि नेता नीतीश कुमार के साथ मुकेश सहनी की मीटिंग हुई तो उसका कुछ असर दिखेगा. लेकिन ऑप्शन कम तो हो रहा है. अब आरजेडी-कांग्रेस कहेगी कि हमारे पास इतनी ही सीटें हैं, आपको लेना है तो लीजिए.
तेजस्वी यादव और राहुल गांधी पर भरोसा
निश्चित तौर पर इसीलिए मुकेश साहनी ने यह कहना शुरू कर दिया है कि महागठबंधन बीमार है और डॉक्टर दिल्ली में है. जो मुकेश साहनी के साथ 2020 में हुआ. क्या महागठबंधन के कुछ घटक दल ऐसा ही करना चाहते हैं या ऐसी स्थिति पैदा कर देना चाहते हैं कि मुकेश सहनी खुद ही नाराज होकर चले जाए. अंदरखाने बहुत सारी खबरें हैं. हालांकि यह बात आप जान लीजिए कि मुकेश सहनी को तेजस्वी यादव और राहुल गांधी पर बहुत भरोसा है, पर राजनीति में भरोसे जैसी चीज बहुत लंबी नहीं चलती.
राजनीति में अपना दांव खेला जाता है और अपने इंटरेस्ट के हिसाब से ही लोगों पर भरोसा किया जाता है. इसीलिए मुकेश सहनी ने कहा कि महागठबंधन बीमार है और डॉक्टर दिल्ली में बैठे हैं. इसका इलाज दिल्ली में ही किया जाएगा. तो 10 सीट को लेकर आरजेडी और कांग्रेस में पेंच फंस रहा है, इसका उपचार राहुल गांधी ही करेंगे. अब राहुल गांधी ही वह डॉक्टर है जो इसका इलाज कर सकते हैं.
अब मुकेश सहनी कितनी सीटों पर लड़ेंगे, कांग्रेस और आरजेडी के बीच समझौता कहां अटक रहा है, 10 सीट पर समझौता नहीं हो पा रहा है, उसको राहुल गांधी कैसे बाटेंगे यह देखना दिलचस्प होगा. बड़ी चुनौती यह है कि पहले चरण के चुनाव के लिए 17 तक नॉमिनेशन फाइल करना है. जरा सोचिए अभी तक महागठबंधन में सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया. ऐसे में क्या महागठबंधन आज सीटों का बंटवारा कर लेगी और अगर कर लेती है तो मुकेश सहनी कितनी सीटों पर लड़ेंगे, झारखंड मुक्ति मोर्चा को एंट्री मिलेगी या नहीं.
आज मिल जाएंगे सभी सवालों के जवाब
इन सब में आईपी गुप्ता शांत दिखाई पड़ रहे हैं. पान पार्टी पान चबाते हुए मजे लेती दिखाई पड़ रही है. लेकिन मुकेश को दिल्ली दौड़ना पड़ रहा है. यही वह सवाल हैं, जिनके जवाब ढूंढने के लिए मुकेश साहनी भी दिल्ली आ गए हैं, लालू परिवार के जो प्रमुख तीन नेता हैं वह भी पहुंच रहे हैं. अब राहुल गांधी इन सवालों का जवाब निकलेंगे और निश्चित तौर पर अगर सब कुछ ठीक हो जाता है तो शाम तक आप यह उम्मीद कर सकते हैं कि महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर बड़ा फैसला हो सकता है.
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