BJP-JDU को समान सीटें, HAM-RLP 6-6, NDA में सहयोगियों पर कैसे भारी पड़े चिराग?
बिहार विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ गठबंधन (NDA) ने सहयोगियों के बीच सीट बंटवारे के फॉर्मूला का ऐलान कर दिया है. जदयू और बीजेपी ने 2025 के विधानसभा चुनाव में बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. एनडीए के सहयोगियों पार्टियों के बीच सीट बंटवारे के ऐलान के अनुसार जदयू और भाजपा 101 सीटों पर लड़ेंगे. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) या एलजेपी (आरवी) 29 सीटें, राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) और हिंदुस्तानी आवाम पार्टी (सेक्युलर) या हम (एस) को क्रमशः 6 सीटें मिलेंगी.
संजय कुमार झा ने अपनी पोस्ट में लिखा, “एनडीए के सभी दलों के नेता और कार्यकर्ता इसका खुशी से स्वागत करते हैं और नीतीश कुमार को भारी बहुमत से फिर से मुख्यमंत्री बनाने के लिए एकजुट हैं.” दूसरी ओर, दिल्ली से पटना पहुंचने पर जीतन राम मांझी ने फॉर्मूले पर संतोष जताया और कहा कि उनकी कोई नाराजगी नहीं है.
भाजपा-जदूय में कोई बड़ा भाई नहीं
जदयू-भाजपा की बराबर सीटें तय कर NDA ने यह जताने की कोशिश की है कि बिहार में कोई बड़ा भाई नहीं है, बल्कि दोनों जुड़वां भाई हैं. संजय झा और अशोक चौधरी ने भी पहले ही कहा था कि बिहार में भाजपा-जदयू जुड़वां भाई हैं.
हालांकि सीट बंटवारे में चिराग पासवान दूसरे सहयोगियों से भारी पड़े हैं.अब देखना होगा कि 29 सीटों में उन्हें कितनी अपनी मन मुताबिक सीटें मिली हैं. सूत्रों का कहना है कि चिराग अपनी पसंद की 3 सीटें लेने में कामयाब रहे हैं. इन तीन सीटों पर सबसे ज्यादा माथापच्ची चल रही थी. हिसुआ, गोविंदगंज और ब्रह्मपुर तीनों सीट लोजपा(आर) के खाते में गई है.
सहयोगियों पर भारी पड़े चिराग
भाजपा चिराग पासवान को शुरू में 22 सीट से ज्यादा सीटें नहीं देना चाह रही थी, लेकिन आखिरकार चिराग पासवान अंत तक अपनी जिद पर अड़कर 29 सीट पाने में कामयाब रहे हैं. लेकिन चिराग पासवान के सामने अपना स्ट्राइक रेट बरकरार रखने की बड़ी चुनौती होगी.
पिछली बार चिराग पासवान बिहार में अकेले चुनाव लड़े थे और उनका एकमात्र उम्मीदवार ही विजयी हो पाया था. मटिहानी से राजकुमार सिंह जीते थे, जिनके बारे में भी यह माना जाता है कि यह उम्मीदवार की जीत थी ना कि लोजपा की. बाद में राजकुमार सिंह भी जदयू के पाले में चले गए थे, लिहाजा फिलहाल लोजपा का एक भी विधायक विधानसभा में नहीं है.
जदयू और भाजपा दोनों ने दी सीटों की कुर्बानी
हालांकि यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू के लिए एक बड़ी गिरावट है, जिसने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में 115 सीटों पर चुनाव लड़ा था. भाजपा भी 110 से नीचे आ गई है. 2020 में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), जो उस समय एनडीए का हिस्सा थी, ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ा था. फिलहाल मुकेश सहनी महागठबंधन के साथ हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली हम (एस) को सात सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला था, जबकि लोजपा (तब अविभाजित) ने अकेले 135 सीटों पर चुनाव लड़ा था. मांझी और पासवान दोनों अब 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री हैं.
राजद और कांग्रेस तथा कुछ अन्य विपक्षी दलों के महागठबंधन ने अभी तक अपने बंटवारे के फॉर्मूले की घोषणा नहीं की है. यह पहली बार है जब जदयू किसी विधानसभा चुनाव में भाजपा से ज्यादा सीटों पर चुनाव नहीं लड़ रही है, जो सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर ताकत के पुनर्गठन का स्पष्ट संकेत है.
सहयोगियों को मनाने में सफल रही भाजपा
एनडीए के घटक दलों, खासकर केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली हम और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोम) के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान खत्म हो गई है. हम ने 6 और 11 नवंबर को होने वाले दो चरणों के बिहार विधानसभा चुनावों में अकेले चुनाव लड़ने की धमकी दी थी.
सूत्रों ने पहले कहा था कि मांझी हाल ही में हुई सीट बंटवारे की बातचीत से असंतुष्ट थे और उन्होंने शुरू में उन्हें दिए गए फॉर्मूले को अस्वीकार कर दिया था. हम ने कम से कम 15 सीटों की मांग की है, जबकि पार्टी को कथित तौर पर केवल सात से आठ सीटों की पेशकश की गई थी, लेकिन नीतीश सरकार में मंत्री बेटे संतोष सुमन की वजह से बात बनी. शुरू में जदयू का रुख इतना लचीला नहीं था, लेकिन आखिरकार कहीं ना कहीं जदयू ने समझौता किया और 101 पर आने को तैयार हुए इसी की वजह से चिराग को ज्यादा सीटें दी गई हैं.
इससे पहले आज, दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ बातचीत के बाद मांझी एनडीए के सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर सहमत हो गए. उन्होंने सोशल साइट पर पोस्ट कर कहा कि वह आखिरी सांस तक पीएम मोदी के साथ रहेंगे. सूत्रों ने बताया कि सीट बंटवारे के समझौते के अनुसार, हम भविष्य में एक एमएलसी सीट पर चुनाव लड़ सकती है.
उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी को बराबर बराबर 6 सीटें दे कर ये भी मैसेज दिया है कि कोई अपने आप को गठबंधन में सबसे छोटा ना समझे. उपेंद्र कुशवाहा ने अगर क्वांटिटी से समझौता किया है तो सीटों की क्वालिटी बढ़ी है. उपेंद्र कुशवाहा को उजियारपुर, महुआ, दिनारा, सासाराम, बाजपट्टी और मधुबनी जैसी सीटें मिल सकती हैं.
इनपुटः आकाश वत्स
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