TTP, पश्तून और डूरंड लाइन…अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच लड़ाई की क्या है वजह?
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर तनाव बढ़ गया है. शनिवार रात दोनों देशों के बीच भारी गोलीबारी हुई. तालिबान सरकार ने दावा किया कि उसने 58 पाकिस्तानी सैनिक मार गिराए. वहीं पाकिस्तान का कहना है कि उसने 200 से ज्यादा तालिबानी लड़ाके मारे हैं, जबकि उसके 23 जवान मारे गए और 29 घायल हुए. तालिबान ने कहा कि ये कार्रवाई पाकिस्तान की तरफ से अफगान सीमा और हवाई क्षेत्र में घुसपैठ का जवाब थी.
दोनों देशों के बीच झगड़े की वजह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को माना जा रहा है, जिसे पाकिस्तानी तालिबान भी कहा जाता है. हालांंकि अफगानिस्तान-पाकिस्तान संघर्ष की जड़ें लगभग 130 साल पुरानी है. इसमें डूरंड लाइन, TTP को पनाह देने का सवाल और पश्तून लोगों की आजादी की मांग भी शामिल है. तालिबान के सत्ता में आने के बाद यह संघर्ष को और बढ़ावा मिला है. तीनों कारणों को विस्तार से समझते हैं…
डूरंड लाइन क्या है?
1893 में ब्रिटेन ने अफगानिस्तान और भारत के बीच 2,640 किमी सीमा रेखा खींची, जिसे डूरंड लाइन कहते हैं. यह रेखा सर मॉर्टिमर डूरंड के नाम पर रखी गई थी. इससे पश्तून जनजाति 2 हिस्सों में बंट गई. आधे पश्तून पाकिस्तान में रह गए और आधे अफगानिस्तान में चले गए. अफगानिस्तान सरकार ने कभी भी डूरंड लाइन को स्वीकार नहीं किया. उसका कहना है कि यह सीमा ब्रिटिश शासन के समय जबरदस्ती थोपी गई थी. अफगानिस्तान और पाकिस्तान में कुल 5 करोड़ पश्तून आबादी रहती है. इनमें से लगभग 4 करोड़ पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत, बलूचिस्तान और कुछ अन्य इलाकों में रहते हैं. वहीं लगभग 1 करोड़ अफगानिस्तान में रहती है.
TTP क्या है?
TTP पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के पास सक्रिय आतंकी संगठन है. अलग पश्तून राष्ट्र की मांग को लेकर 2007 में इसकी स्थापना हुई थी. TTP को स्वतंत्र राष्ट्र चाहिए, जहां पश्तून लोग शासन कर सकें. नवंबर 2022 में TTP ने पाकिस्तान से शांति समझौता भी तोड़ दिया. पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार इन आतंकियों को छिपने की जगह देती है और वे वहीं से पाकिस्तान पर हमले करते हैं. हालांकि अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी का कहना है कि कि अफगानिस्तान की जमीन पर TTP का कोई सदस्य मौजूद नहीं है.
TTP की शुरुआत कैसे हुई?
TTP की शुरुआत 2007 में हुई थी. इसके पहले सरगना का नाम बैतुल्लाह मेहसूद था. मेहसूद ने 13 विद्रोही गुटों को मिलाकर TTP बनाया. संगठन का मकसद पाकिस्तान की सेना से लड़ना था. इसमें पाकिस्तानी सेना के विरोधी गुट भी शामिल थे. ये संगठन तब बना जब पाकिस्तान की सेना ने अपने उत्तर-पश्चिमी कबायली इलाकों (FATA) में आतंकियों के खिलाफ अभियान शुरू किया था. पाक आर्मी का कहना था कि इसने ये अभियान अल-कायदा से जुड़े आतंकियों के खिलाफ चलाया था. अब इसकी कमान नूर वली मेहसूद के पास है.
TTP क्या चाहता है?
TTP पाकिस्तान की सरकार को हटाकर वहां एक इस्लामी शासन (इस्लामिक अमीरात) बनाना चाहता है, जो कड़े शरिया कानून पर आधारित हो. इसकी सोच अफगान तालिबान जैसी ही है, लेकिन दोनों संगठन अलग हैं और उनकी लीडरशिप भी अलग-अलग है. TTP का कहना है कि पाकिस्तान सरकार सच्चा इस्लाम नहीं मानती. TTP फिलहाल पाकिस्तान के किसी हिस्से पर पूरी तरह कब्जा नहीं किए हुए है, लेकिन खैबर पख्तूनख्वा जैसे इलाकों में इसका असर बढ़ा है.
TTP ने 6 महीने में हजार से ज्यादा हमले किए
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने बीते 6 महीने में पाकिस्तान में हजार से ज्यादा हमले किए हैं. इनमें 300 से ज्यादा हमले जुलाई में हुए थे. 2024 में TTP ने 856 हमले किए, जो 2023 के 645 हमलों से कहीं ज्यादा हैं. यानी हर दिन 2-3 हमले हो रहे हैं. ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स 2025 के मुताबिक, 2024 में TTP की गतिविधियों से 558 मौतें हुईं, जो कि कुल आतंकवाद से होने वाली मौतों का 52% था.
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