हाफिज़ अजहरी बोले- मुसलमान देश के दुश्मन नहीं, रीढ़ हैं:गृहमंत्री के ‘डिटेक्ट-डिलीट-डिपोर्ट’ बयान पर सियासी घमासान

पीलीभीत में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हालिया ‘डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट’ बयान को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बयान पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष हाफिज़ नूर अहमद अजहरी का एक वीडियो बयान रविवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने शाह के बयान को “नाइंसाफी और हकीकत से परे” बताया है। अजहरी ने कहा कि गृहमंत्री का यह दावा कि 1951 से मुसलमानों की आबादी बढ़ने का कारण घुसपैठ है, पूरी तरह गलत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जनसंख्या वृद्धि केवल धार्मिक कारणों से नहीं होती, बल्कि यह सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक कारणों से जुड़ी एक जटिल प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, शिक्षा का प्रसार और गरीबी में कमी जैसे कारक भी जनसंख्या वृद्धि को प्रभावित करते हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि घुसपैठ देश की सुरक्षा से जुड़ा एक गंभीर विषय है, लेकिन किसी एक समुदाय को इसकी आड़ में निशाना बनाना संविधान की भावना और भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब के खिलाफ है। अजहरी ने कहा कि हर जिम्मेदार नागरिक चाहता है कि देश की सीमाएं सुरक्षित रहें और अवैध रूप से आने वालों पर कार्रवाई हो — चाहे वे किसी भी धर्म या देश के हों, लेकिन पूरे समुदाय को संदेह की निगाह से देखना एकतरफा और अन्यायपूर्ण रवैया है। उन्होंने यह भी कहा कि “मुसलमान इस देश के विरोधी नहीं, बल्कि इसकी मजबूती का अहम हिस्सा हैं। आजादी की लड़ाई में मुसलमानों ने कुर्बानियां दी हैं और वे हमेशा देश की एकता व अखंडता के लिए खड़े रहे हैं। अजहरी ने गृहमंत्री से अपील की कि बयान देते समय राजनीतिक लाभ से ऊपर उठकर सामाजिक सौहार्द और संवैधानिक जिम्मेदारी को प्राथमिकता दें। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह के बयान देश की एकता और सांप्रदायिक सौहार्द को चोट पहुंचा सकते हैं। अजहरी ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी पहचान इसकी विविधता में एकता है — और यही भावना देश को जोड़ती है।

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