बिहार के सियासी शतरंज में जाति के मोहरे, ‘भूमिहार से भूमिहार’ को शह मात का खेल

बिहार के सियासी शतरंज में जाति के मोहरे, ‘भूमिहार से भूमिहार’ को शह मात का खेल

जाति है कि जाती ही नहीं. बिहार में चुनावी सियासत का आदर्श चाहे जो हो, यथार्थ जाति ही है. बिहार की सियासत की आखिरी सच्चाई. इस बार भी जाति का खेल शुरू हो गया है. कभी बिहार की सियासत में भूमिहार जाति का दबदबा रहा, फिर नेपथ्य में चले गए. लंबे समय बाद इस जाति की पूछ बढ़ी है. तेजस्वी हों या नीतीश, भूमिहार जाति के हाशिए पर गए कद्दावर नेताओं को चिराग लेकर ढूंढ़कर निकाल रहे हैं.

बिहार की सियासी शतरंज के खेल में एक जाति के मोहरे से उसी जाति के मोहरे को मात देने का खेल चल रहा है. राज्य का जहानाबाद दबंग प्रभावशाली भूमिहार जाति का प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है. यहां के कद्दावर भूमिहार नेता जगदीश शर्मा के बेटे राहुल शर्मा को तेजस्वी यादव ने जैसे ही पार्टी में शामिल कराया, जेडीयू की बेचैनी बढ़ गई.

भूमिहार नेता अरुण कुमार सिंह जेडीयू में शामिल

जेडीयू की बेचैनी का आलम ये रहा कि कभी नीतीश कुमार की छाती तोड़ने की बात कहने वाले जहानाबाद के कद्दावर भूमिहार नेता अरुण कुमार सिंह और उनके बेटे ऋतुराज को पार्टी में शामिल कराया गया. इनको पार्टी में शामिल कराने के लिए नीतीश कुमार को छोड़ कर पार्टी के सारे बड़े नेता मौजूद रहे.

केंद्रीय मंत्री ललन सिंह, जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, नीतीश के सबसे करीबी मंत्री विजय चौधरी, अशोक चौधरी और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा खुद मौजूद रहकर अरूण कुमार और उनके बेटे को पार्टी में शामिल कराया. यहां ललन सिंह ने कहा कि ये जहानाबाद में एक क्रांति होगी.

तेजस्वी यादव के भूमिहार कार्ड का काट

जेडीयू में अरुण कुमार को शामिल कराने को तेजस्वी यादव के भूमिहार कार्ड के काट के रूप में देखा जा रहा है. करीब दो महीने पहले की बात है कि जब पूर्व सांसद अरुण कुमार के जेडीयू में शामिल होने का ऐलान कर दिया था. 4 सितंबर 2025 को अरुण कुमार को जेडीयू में शामिल होना था. लेकिन ऐन वक्त पर उनको पार्टी में एंट्री देने से मना कर दिया गया था. उनके मिलन समारोह को रद्द कर दिया गया था. चर्चा थी कि ललन सिंह की नाराजगी के कारण अरूण कुमार को पार्टी में शामिल कराने से मना कर दिया गया था. अब अरुण कुमार कह रहे हैं जेडीयू उनका पुराना घर है और उनकी घर वापसी हो गईं है.

ऑपरेशन भूमिहार का असर

दरअसल ये तेजस्वी यादव के ऑपरेशन भूमिहार का असर है. तेजस्वी ने आज अपनी पार्टी में मगध क्षेत्र में भूमिहारों के सबसे कद्दावर नेता माने जाने वाले जगदीश शर्मा के बेटे राहुल कुमार को पार्टी में शामिल करा लिया था. तेजस्वी ने भाकपा (माले) पर प्रेशर बनाकर माले की सीटिंग सीट घोसी को अपने पास ले लिया. राहुल शर्मा इस चुनाव में घोसी से आरजेडी के उम्मीदवार होंगे. इधर जेडीयू ने भी इशारा कर दिया कि अरुण कुमार के बेटे ऋतुराज जेडीयू के घोषी से उम्मीदवार हो सकते हैं.

जेडीयू में भारी बेचैनी

जगदीश शर्मा और राहुल कुमार के पाला बदलने के बाद जेडीयू में भारी बेचैनी फैली. पार्टी के पास मगध क्षेत्र में जगदीश शर्मा की टक्कर का कोई भूमिहार नेता है ही नहीं. ऐसे में आनन-फानन में अरुण कुमार को बुलाने का फैसला लिया गया. अरुण कुमार जहानाबाद से सांसद रह चुके हैं और उनकी भी मगध क्षेत्र में पकड़ रही है. जेडीयू को लग रहा है कि अरुण कुमार को बुलाकर वह भूमिहार वोट बैंक में सेंधमारी को रोक लेगी.

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