डीडीयू की ओर से इंटरनेशनल गर्ल्स डे का आयोजन:छात्राओं को समाज में उनकी सशक्त भूमिका, अधिकारों के लिए किया प्रेरित

गोरखपुर डीडीयू यूनिवर्सिटी के वुमेन स्टडीज सेंटर और होम साइंस डिपार्टमेंट की ओर से शनिवार को इंटरनेशनल गर्ल्स डे के अवसर पर एक स्पेशल प्रोग्राम का आयोजन किया गया। जिसमें ब्लॉक चारगांव के कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय के छात्राओं को भी शामिल किया गया। कार्यक्रम में छात्राओं को नेतृत्व क्षमता, शिक्षा, आत्मनिर्भरता और समाज में उनकी सशक्त भूमिका पर प्रेरक चर्चा की गई। साथ ही उन्हें अपने अधिकार और कर्तव्य के लिए भी जागरूक किया गया। कार्यक्रम में कस्तूरबा की छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया नैन्सी निषाद ने कविता, अंजलि ने गीत प्रस्तुत किए और लक्ष्मी की और से सांकेतिक भाषा का उपयोग करते हुए राष्ट्रगान प्रस्तुति दी‌ गई। उनकी सृजनात्मकता और आत्मविश्वास ने सभी को प्रभावित किया। इस साल का थीम
इस साल का इंटरनेशनल गर्ल्स डे की थीम ‘The Girl I am, the Change I lead: Girls on the frontlines of crisis’ जिसका मतलब है कि ‘मैं जो हूं वही मेरी पहचान है, परिवर्तन की अगुआ मैं हूं, संकट की घड़ी में अग्रिम पंक्ति की बालिकाएं।’ भविष्य की निर्माता हैं बालिकाएं कार्यक्रम की अभिवावक कुलपति प्रो. पूनम टंडन रहीं। उन्होंने अपने संदेश में कहा- लड़कियां केवल समाज की नहीं, बल्कि भविष्य की निर्माता हैं। हर लड़की में अपार संभावनाएं निहित हैं, आवश्यकता है उन्हें अवसर और दिशा देने की। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा इस प्रकार के आयोजनों से छात्राओं में सामाजिक उत्तरदायित्व और नेतृत्व भावना का विकास होता है, जो एक संवेदनशील समाज निर्माण के लिए आवश्यक है। शिक्षित करना ही असली सेलिब्रेशन
होम साइंस डिपार्टमेंट एचओडी प्रो. दिव्या रानी सिंह ने कहा- बच्चियों को सशक्त बनाना केवल एक सामाजिक दायित्व नहीं, बल्कि समानता और समृद्धि की दिशा में एक ठोस कदम है। उन्हें आत्मनिर्भर बनाना, सुरक्षित और शिक्षित करना ही सच्चा उत्सव है। वीएस फाउंडेशन का योगदान इस आयोजन में वीएस फाउंडेशन का उल्लेखनीय सहयोग रहा। फाउंडेशन की निदेशक संगीता मल्ल और रंजीता सिंह ने कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी की। उन्होंने छात्राओं के साथ बातचीत करते हुए मासिक धर्म स्वच्छता, स्वास्थ्य और आत्म देखभाल के महत्व पर चर्चा की। संगीता मल्ल ने कहा- ग्रामीण बालिकाओं में मासिक धर्म के विषय में खुलकर बात करने की आवश्यकता है। जब यह झिझक मिटेगी तभी सच्चा स्वास्थ्य और सम्मान संभव है। इस दौरान फाउंडेशन की ओर से सेनेटरी पैड वितरण भी किया गया, जिससे छात्राओं में स्वच्छता के प्रति जागरूकता और आत्मविश्वास दोनों को बढ़ावा मिला। कार्यक्रम में विभाग के शिक्षकगण, शोधार्थी, छात्राएं और कस्तूरबा विद्यालय की छात्राओं के साथ शिक्षिकाएं रीता यादव और सीमा सिंह उपस्थित रहीं।

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