उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी का स्थापना दिवस समारोह ‘धरोहर’ गुरुवार को अकादमी परिसर स्थित संत गाडगे जी महाराज ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुंबई के पद्मश्री रोनू मजूमदार के बांसुरी वादन और पुणे के पंडित रघुनंदन पणशीकर की गायकी ने श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। अकादमी के निदेशक डॉ. शोभित कुमार नाहर ने अध्यक्ष प्रो. जयंत खोत और उपाध्यक्ष विभा सिंह का पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर अभिनंदन किया। 62 वर्षों में संस्थान ने नए कलाकारों को मंच दिया अध्यक्ष प्रो. खोत ने बताया कि अकादमी की स्थापना 13 नवंबर 1963 को हुई थी। उन्होंने कहा कि पिछले 62 वर्षों में संस्थान ने गायन, वादन, नृत्य और रंगकर्म के क्षेत्र में नए कलाकारों को मंच प्रदान किया है। ‘धरोहर’ इसी परंपरा की एक कड़ी है।कार्यक्रम का संचालन अलका निवेदन ने किया। पद्मश्री रोनू मजूमदार ने राग झिंझोटी में अलाप, जोड़ और झाला प्रस्तुत किया, जिसे दर्शकों ने सराहा। उनके साथ तबले पर सपन अंजरिया और बांसुरी पर अर्थव प्रताप सिंह ने संगत दी। बांसुरी वादन ने श्रोताओं को भाव विभोर किया इसके बाद, पं.रघुनंदन पणशीकर ने राग यमन में अपनी प्रस्तुति शुरू की। उन्होंने गुरु किशोरी अमोनकर को समर्पित रचना ‘मो मन लगन लागी’ प्रस्तुत की। पणशीकर ने ‘ए री आली पिया बिन’ और ‘बाजे रे मुरलिया बाजे’ भजन भी गाए। हारमोनियम पर क्षितिज सिंह, तबले पर विनोद लेले, तथा तानपुरे पर राजपाल सिंह और अपर्णा पणशीकर ने उनका साथ दिया। इस अवसर पर ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर संगीत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. साहित्य कुमार नाहर, बिरजू महाराज कथक संस्थान की अध्यक्ष डॉ. कुमकुम धर, पूर्व आईएएस अनीता भटनागर जैन और वरिष्ठ गायिका पद्मा गिडवानी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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