चिराग-मांझी, कुशवाहा-सहनी… गठबंधन के चार योद्धा BJP और RJD के लिए क्यों हैं जरूरी?

चिराग-मांझी, कुशवाहा-सहनी… गठबंधन के चार योद्धा BJP और RJD के लिए क्यों हैं जरूरी?

बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान के होने के बावजूद सीटों के बंटवारे को लेकर चाहे एनडीए हो या फिर इंडिया ब्लॉक या महागठबंधन, पार्टियों के बीच सीट बंटवारे को लेकर रार मची हुई है. राज्य में विधानसभा चुनाव 6 और 11 नवंबर को होंगे, जबकि मतों की गिनती 14 नवंबर को होगी, लेकिन सीट बंटवारे पर अभी तक फैसला नहीं हुआ है.

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी, राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी क्रमशः एनडीए और महागठबंधन से सीटों के बंटवारे पर जमकर खींचतान मची है. ऐसे में बिहार चुनाव से पहले सीट बंटवारे को लेकर चिराग-मांझी, कुशवाहा और सहनी पर लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं.

बिहार में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड), पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), मांझी की हम(एस) और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा शामिल हैं, जबकि मुकेश सहनी इस बार महागठबंधन के साथ हैं और उपमुख्यमंत्री के पद पर दावेदारी कर रहे हैं.

हालांकि गठबंधन अलग-अलग भले ही हो, लेकिन बिहार की सियासत कहें या गठबंधन की मजबूरी या फिर जाति समीकरण हर पार्टी की अपनी पकड़ है. किसी पार्टी का दलित तो किसी का अन्य पिछड़े वर्ग में मजबूत पकड़ है, ऐसे में कोई भी गठबंधन इन्हें साध नहीं छोड़ना चाहता है.

चिराग पासवान से सीटों पर खींचतान

बिहार विधानसभा चुनावों के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) द्वारा एक-दो दिन में सीट बंटवारे के फॉर्मूले की घोषणा किए जाने की उम्मीद है, ऐसे में गठबंधन का एक प्रमुख घटक केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) शनिवार को अपनी अहम बैठक कर रही है. बैठक में सीट बंटवारे पर विचार-विमर्श किया जाएगा और पार्टी के उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप दिया जाएगा.

लोजपा (RV) 30 विधानसभा सीटों की मांग की थी, जबकि भाजपा कथित तौर पर 22 से ज्यादा देने को तैयार नहीं थी. भाजपा सूत्रों ने संकेत दिया कि पार्टी इसकी भरपाई के लिए एक राज्यसभा और एक विधान परिषद सीट देने पर विचार कर रही है. वहीं ऐसा कहा जा रहा है कि सीटों के बंटवारे को लेकर लोजपा (RV) और भारतीय जनता पार्टी के बीच सहमति बन गई है. रिपोर्ट के अनुसार, चिराग की पार्टी को लगभग 25-26 सीटें मिलने की उम्मीद है.

चुनाव में अहम भूमिका निभाने की उम्मीद कर रहे चिराग ने भाजपा और नीतीश कुमार की जदयू से कम से कम 45 विधानसभा सीटों की मांग की थी, जिससे सीट बंटवारे पर बातचीत अधर में लटक गई थी. चिराग पासवान के कल के सोशल मीडिया पोस्ट से बवाल मच गया था.

क्या जीतन राम मांझी के तेवर हुए नरम?

उसी तरह से एनडीए के घटक दल केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सीटों के “सम्मानजनक” हिस्से की उनकी मांग पर स्पष्ट संकेत दिया था. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के संस्थापक मांझी ने रामधारी सिंह दिनकर की रश्मिरथी की कुछ पंक्तियां साझा की थी और कहा कि भाजपा दुर्योधन है, जो पांडवों को मात्र पांच गांव देने को तैयार नहीं थी.

पूर्व मुख्यमंत्री ने महाकाव्य महाभारत के पांच गांवों के संदर्भ को संशोधित करते हुए 15 गांव कर दिया था. इस साफ था कि वह सीट बंटवारे को लेकर संतुष्ट नहीं हैं. मांझी ने बार-बार कहा है कि इस बार उनका लक्ष्य 2015 में स्थापित हम(एस) को मान्यता दिलाना है, जिसके लिए कम से कम आठ सीटें जीतना जरूरी है. 2020 के चुनावों में, पार्टी को सात सीटें आवंटित की गई थीं और उसने चार सीटें जीती थीं. सूत्रों ने संकेत दिया है कि भाजपा ने हम(एस) को 10 से ज्यादा सीटों की पेशकश नहीं की है.

उपेंद्र कुशवाहा की मांग से बीजेपी परेशान

बिहार विधानसभा या विधान परिषद में कोई विधायक या विधान पार्षद न होने के बावजूद कुशवाहा की पार्टी को समान दर्जा मिलने पर भी असंतोष है. हालांकि शनिवार को उनका सुर थोड़ा नरम हुआ है. राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने शनिवार को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए सीट बंटवारे को लेकर बिहार में एनडीए के घटक दलों के बीच असंतोष की अटकलों को खारिज कर दिया और कहा कि बातचीत अभी पूरी नहीं हुई है. जानकारी के अनुसार उपेंद्र कुशवाहा सात सीटों की मांग कर रहे हैं.

सहनी के तेवर से तेजस्वी की बढ़ीं मुश्किलें

इसी तरह से महागठबंधन में सीट बंटवारे पर रार मची हुई है. राजद नेता तेजस्वी यादव और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) प्रमुख मुकेश सहनी के बीच देर रात हुई बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला. सहनी कथित तौर पर 20 सीटों से कम की मांग नहीं कर रहे हैं, जबकि राजद, कांग्रेस और वामपंथी दल 12 से 15 सीटों से ज्यादा देने को तैयार नहीं हैं. पिछले चुनाव में भी मुकेश सहनी ने सीटों की संख्या से असंतुष्ट होकर अंतिम समय में महागठबंधन से नाता तोड़ लिया था और एनडीए में शामिल हो गये थे.

सीटों के बंटवारे को लेकर राजद और कांग्रेस के बीच भी तनाव की स्थिति पैदा हो गई है. कांग्रेस ने राजद से जल्द से जल्द समझौते को अंतिम रूप देने को कहा है और चेतावनी दी है कि अगर कोई समझौता नहीं हुआ तो वह 13 अक्टूबर से अपने उम्मीदवारों की घोषणा शुरू कर देगी.

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