रिहा कैदी ने जेल के खाते से निकाले 30 लाख:मां-पत्नी के अकाउंट में किए ट्रांसफर, 18 महीने बाद खुला राज, 4 पर केस दर्ज

आजमगढ़ में जेल से रिहा हुए एक कैदी ने जेल अधीक्षक के खाते से 30 लाख रुपए से अधिक की धोखाधड़ी की है। आरोपी अपनी पत्नी की हत्या के मामले में जेल में था। इस दौरान उसने जेल की चेकबुक चुरा ली। 24 मई 2024 को उसे जमानत मिल गई। रिहा होने के बाद आरोपी 18 महीनों तक पैसे निकालता रहा। इस दौरान जेल प्रशासन को भनक तक नहीं लगी। घटना 22 सितंबर 2025 को उजागर हुई, जब कैदी ने खाते से 2.60 लाख रुपए निकाले। जैसे ही जेल अधीक्षक के फोन पर मैसेज पैसे निकालने का मैसेज आया तो उन्होंने अकाउंटेंट से पूछा, लेकिन उनके पास कोई रिकॉर्ड नहीं था। इसके बाद बैंक स्टेटमेंट निकलवाने पर पूरा धोखाधड़ी का मामला सामने आया। मामले के खुलासे के बाद जेल अधीक्षक ने कोतवाली में चार लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस अब पूरे मामले की जांच में जुटी है।
विस्तार से जानिए पूरा मामला
साल 2011 में हत्या के मामले में गया था जेल
कैदी की पहचान रामजीत यादव के रूप में हुई है और वह जमुआ शाहगढ़ थाना बिलरियागंज का रहने वाला है। साल 2011 में वह अपनी पत्नी अनीता की हत्या के मामले में जेल गया था। साल 2017 में उसे जमानत मिल गई। जेल से रिहा होने के बाद रामजीत ने नीतू नाम की महिला से दूसरी शादी कर ली। 24 फरवरी 2023 को कोर्ट ने उसे पत्नी की हत्या का दोषी करार देते हुए सजा सुनाई, जिसके बाद उसे दोबारा जेल भेजा गया। रामजीत यादव को जेल के अंदर कामकाज की जिम्मेदारी मिली। इसी दौरान उसने जेल प्रशासन के कामकाज और बैंक चेक पर दस्तखत करने का तरीका समझ लिया। 20 मई 2024 को जब वह जमानत पर जेल से रिहा हुआ, तो उसने अकाउंटेंट के कमरे से केनरा बैंक की चेकबुक चुरा ली। जेल खाते से लगातार निकालता रहा पैसा
रामजीत यादव ने जेल से रिहा होने के अगले दिन यानी 21 मई 2024 को खाते से 10 हजार रुपए निकाले। 22 मई को 50 हजार रुपए और कुछ दिन बाद 1.40 लाख रुपए खाते से निकाले। इस दौरान जेल प्रशासन को इस चोरी की भनक तक नहीं लगी, और न ही चेकबुक चोरी की शिकायत दर्ज कराई गई। आरोपी ने लगभग 18 महीनों तक पैसे निकालते रहा।
22 सितंबर 2025 को खाते से 2.60 लाख रुपए निकाले गए। इस दौरान जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सिंह के फोन पर पैसे निकाले जाने का मैसेज आया। लेकिन जब उन्होंने जेल अकाउंटेंट मुशीर अहमद से जानकारी ली, तो उनके पास कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं था। फर्जी हस्ताक्षर से बैंक के खाते से निकाल रहा था पैसे
इसके बाद के जेल खाते का स्टेटमेंट निकाला गया, तब पूरे मामला सामने आया। जांच में पता चला कि रिहा कैदी रामजीत यादव उर्फ संजय खुद को जेल का ठेकेदार बताकर अधीक्षक के फर्जी दस्तखत से बैंक खाते से पैसे निकाल रहा है। मामले के खुलासे के बाद जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सिंह ने कोतवाली आजमगढ़ में 4 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया। इस धोखाधड़ी में रामजीत यादव उर्फ संजय (मुख्य आरोपी), शिवशंकर उर्फ गोरख (पूर्व कैदी), वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद और चौकीदार अवधेश कुमार पांडेय का नाम शामिल है। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। लखनऊ के अधिकारियों ने दी कड़ी फटकार
घटना की जानकारी मिलते ही लखनऊ के उच्च अधिकारियों ने आजमगढ़ के जेल अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। मां-पत्नी और अपने खाते में ट्रांसफर किए पैसे
जांच में सामने आया कि रामजीत यादव ने नीतू यादव के खाते में 2.40 लाख रुपए, सेटॉमी देवी के खाते में लगभग 3 लाख रुपए और अपने खाते में 30 लाख रुपए जमा कराए। सूत्रों के अनुसार इस खेल में बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत की संभावना है। जेल अधीक्षक के नाम से चलता है सरकारी खाता
आजमगढ़ जेल का सरकारी खाता जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सिंह के नाम से संचालित होता है। इस खाते में सरकार का भेजा पैसा जमा होता है और जेल में काम करने वाले कैदियों का भुगतान इसी खाते से किया जाता है। कभी-कभी कैदी अपने परिजनों को भी चेक के माध्यम से भुगतान कर देते हैं। जेल के अकाउंटेंट इस पूरे काम में कभी-कभी कैदियों की मदद भी ले लेते हैं। इसी तरीके को रामजीत यादव ने भुनाया। जेल अकाउंटेंट के भरोसे रहते हुए उसने सिस्टम में सेंधमारी कर 30 लाख रुपए से अधिक की धोखाधड़ी की। जेल अधीक्षक बोले-मुकदमा दर्ज कर दिया गया
इस मामले में दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए आजमगढ़ जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सिंह ने बताया- आरोपी रामजीत यादव ने जेल के सरकारी खाते की चेकबुक का दुरुपयोग कर 30 लाख से अधिक रुपए की धोखाधड़ी की है। 4 आरोपियों के खिलाफ कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर दिया गया है। साथ ही, इस पूरी घटना की जानकारी लखनऊ के अधिकारियों को भी दे दी गई है। ——————– ये भी पढ़ें- खोपड़ी का सूप पीने वाला राजा कोलंदर रिहा नहीं होगा:राज्यपाल ने रिहाई मंजूर की थी; पत्रकार का बेटा बोला- ये रहम का हकदार नहीं यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने इंसानी खोपड़ी का सूप बनाकर पीने वाले राम निरंजन कोल उर्फ राजा कोलंदर की रिहाई मंजूर की है। मंजूरी मिलने के बाद शासन ने 4 सितंबर को रिहाई का आदेश भी जारी कर दिया, जिसमें उत्तर प्रदेश प्रिजनर्स रिलीज ऑन प्रोबेशन एक्ट, 1938 की धारा-2 और संबंधित नियमों का हवाला दिया गया है। लेकिन राजा कोलंदर की रिहाई अटक गई है। पढ़िए पूरी खबर…

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